Author: पी.एम. जैन
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अहिंसा की मिठाई, जुड़ाव की लक्ष्मी, सहिष्णुता के दीप(तीर्थंकर महावीर निर्वाण कल्याणक)-श्रीमती सरोज जैन
दीपों का उत्सव दीपावली हमारे दरवाजे पर एक नई उम्मीद, एक नई प्रेरणा लिए दस्तक दे रहा है। जिसमें तीर्थंकर महावीर के सूत्र समानता के ऐसे उजाले की ... -
भगवान महावीर के 2549 वे निर्वाणोत्सव(दीपावली)पर विशेष:दीपमालिकायें केवलज्ञान की प्रतीक,करें अंतःकरण प्रकाशित-डॉ सुनील जैन संचय,ललितपुर(उ.प्र )
भगवान महावीर स्वामी का 2549 वां निर्वाणोत्सव देश-विदेश में श्रद्धा पूर्वक धूमधाम से मनाया जा रहा है। भगवान महावीर जैन धर्म के वर्तमानकालीन 24वें तीर्थंकर हैं। ... -
ऐसा होना होता है राम होना- डॉ. निर्मल जैन (जज)
अनुकरण और अनुसरण दो शब्द एक अक्षर के भेद से बने दिखाई देते हैं। पर दोनो के मूल तात्विक अर्थ में बहुत अंतर है। देवताओं, महापुरुषों का ... -
बीसपंथी दिगंबर जैन मंदिर में नवरात्रि उत्सव का ध्वजारोहण व कलश स्थापना।
इंदौर:- नवरात्रि के पुनीत पावन अवसर पर संपूर्ण शहर मां की आराधना के रंग में रंगा हुआ है इस अवसर पर शांतिनाथ दिगंबर जैन बीस पंथी ... -
आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी महाराज ससंघ सान्निध्य में महावीर जी में प्रभावना जनकल्याण परिषद (रजि.) के तत्वावधान में संगोष्ठी, अधिवेशन व पुरस्कार अलंकरण समारोह अभूतपूर्व सफलता के साथ संपन्न
जिनवाणी को जनवाणी न बनाएं : आचार्य वर्द्धमान सागर समाज में खानपान-खानदान में आ रही गिरावट पर आचार्यश्री ने चिंता जतायी आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी ... -
*निराश्रितों का आश्रय बनेगा नवागढ़*
ललितपुर शहर से 65 किलोमीटर दूर महरौनी विकासखंड में सोजना के निकट मध्य प्रदेश की सीमा से 500 मीटर प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़ तीर्थक्षेत्र स्थित है ... -
समय की आराधना के साथ सम्पन्न हुआ समयसारोपासक साधना संस्कार शिविर
विदिशा। परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य प . पू . मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य में 31 ... -
जिसके दिल में क्षमा, वह सबके दिल में जमा-आचार्य अतिवीर मुनि
परम पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज ने क्षमावाणी महापर्व की व्याख्या करते हुए कहा कि क्षमा मांगने की वस्तु नही बल्कि धारण करने की ... -
क्षमा,अहिंसा की अंगूठी में मानवता का मोती है-डॉ. निर्मल जैन (जज)
तत्समय भारत के उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार पटेल के चेहरे पर दंगों के दौरान एक व्यक्ति ने थूक दिया। सरदार पटेल ने अंगोछे से हाथ ... -
लोभ का अभाव शौच धर्म है-डॉ.महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’
शौच अर्थात् शुचिता, पवित्रता। तन की पवित्रता नहीं, शरीर की पवित्रता नहीं, मन की शुचिता को शौच धर्म कहा है। ऋषि-मुनियों ने मन को लोभ से ...