लेख-विचार
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भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ का सकारात्मक संकेत-प्रो.उदयभान सिंह
18 मई 2022 को संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं नामक अपनी रिपोर्ट जारी ... -
*संयुक्त परिवार से होती है बच्चों में नैतिक मूल्यों की स्थापना :महेंद्र पाटनी*
लाडनू 14 मई 2022। शनिवार को नगर की प्रमुख सामाजिक संस्था युवक परिषद के तत्वावधान में “पीढ़ियों के बीच में गहराता द्वंद्व: समाधान के ... -
अपने से भी तो पूछ कर देखें क्या हम भी अपने हैं?- डा.निर्मल जैन *जज*
कोई किसी का नहीं होता, यह कह देना आम हो गया है। लेकिन कभी अपने से भी तो पूछ कर देखें -क्या हम भी अपने ... -
शॉर्टकट हमें दुखों केचक्रव्यूह में फंसाता है-डा.निर्मल जैन (जज)
हम मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों आदि सभी पूजा स्थलों में अपने आराध्य को पूजते हैं। सर्वत्र महापुरुषों के स्थूल शरीर के गुण-गान चलते हैं। किंतु उन महापुरुषों ... -
आखिर हम चाहते क्या हैं?-डॉ. निर्मल जैन (जज)
इन दिनों प्रबुद्ध वर्ग सोशल मीडिया पर अनगिनत समस्याओं से जूझ रहा है। हमारी नई पीढ़ी उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त कर वैज्ञानिक बने, अच्छा अधिवक्ता, न्यायाधीश, चार्टर्ड ... -
सास कभी माँ नहीं होती-🙏पढ़ें-पढाऐं और शेयर करें 🙏
इतने सरल शब्दों में *माँ और सास* का भेद समझाया है कि इस कथानक को घर घर में बार बार पढ़ा जाना चाहिए…. आप ... -
मधुर बोलने में कैसी कंजूसी-डॉ. निर्मल जैन (जज)
हमारा व्यक्तित्व एक बहुत बड़े प्रतिष्ठान की तरह है। हमारे अधर उस प्रतिष्ठान के मुख्य द्वार हैं और वाणी उस द्वार पर लगा हुआ ... -
गुरुजी ने कहा कि”माॅं के पल्लू”पर निबन्ध लिखो
क्या खूब लिखा- आदरणीय गुरुजी जी… माँ के पल्लू का सिद्धाँत माँ को गरिमामयी छवि प्रदान करने के लिए था. ... -
*हम ऐसे ही बिखरते रहेंगे।*-डॉ निर्मल जैन (जज)
अगर हम झरोखे में से आकाश को देखें तो हम सारा आकाश नहीं देख सकते। तब क्यों हमने उस सर्वव्याप्त प्रभु को भी खिड़की, ... -
हममें तो वे मानवीय गुण भी नहीं जो रावण में थे-डॉ.निर्मल जैन(न्ययाधीश)
पर्व एक नाम दो -विजयदशमी और दशहरा। अर्थात् जिन दस प्राणों -स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु, कर्ण (पाँच इन्द्रियाँ), मनबल, वचनबल, कायबल, आयु और श्वासोच्छवास ...