लेख-विचार
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जीवन संगिनी यानी धर्म पत्नी की अंतिम विदाई-मुझे जाने दो
अगर पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है। राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊँचा रखने के लिए अपनी ... -
{लेख अधूरा है}👉डा.निर्मल जैन”जज”
लेख अधूरा है! 👉डॉ. निर्मल जैन (जज) एक बहुरूपिया राजा भोज के दरबार में पहुँचा ... -
{कहने का तरीका}📢
{कहने का तरीका} डॉ. निर्मल जैन (जज) बोलचाल। प्रकृति द्वारा प्रदत्त हम इंसानों के पास बोलचाल एक कमाल का उपहार है। जिसकी वजह से एक दूसरे ... -
सुविधाओं पर इतनी निर्भरता न हो कि वे दुख का कारण बन जायें-डा.निर्मल जैन(से.नि.जज)
सुविधाओं पर इतनी निर्भरता न हो कि वे दुख का कारण बन जायें। डॉ निर्मल जैन (जज) खुशी एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ... -
अधकचरे धनाढ्यों ने फैला दिया हाहाकार- पी.एम.जैन
दुनिया में जो लोग अपने कर्मक्षेत्र में परिपूर्ण नहीं हैं वह सब अधकचरों की श्रेणी में आते हैं चाहे वह धनिक हो, योगी हो, ... -
पुण्य-संचय के मामले में हम भी दिहाड़ी मजदूर हैं👉डा.निर्मल जैन(से.नि.जज)
पुण्य-संचय के मामले में हम भी दिहाड़ी मजदूर हैं 👉कोरोना से बचने के लिए एक मात्र बचाव, लॉकडाउन हुआ। लॉकडाउन के कारण सारे व्यापारिक प्रतिष्ठान, उद्धोग, निर्माण, आवागमन, विक्रय ... -
लड़ने के बाद क्षमा माँगने की परम्परा क्यों?👉 क्षुल्लिका ज्ञानगंगा जी
लोग कहते हैं *जितना ज्यादा लड़ोगे उतना प्रेम बढ़ेगा”* फिर लड़ने के बाद क्षमा माँगने की परम्परा क्यों?* मेरा मानना है लड़ने में कोई ... -
क्षमा अतीत को तो नहीं किन्तु भविष्य अवश्य बदल देती है👉डा.निर्मल जैन(से.नि.जज)
क्षमा अतीत को तो नहीं किन्तु भविष्य अवश्य बदल देती है 👉अगर मैं अपने आप से प्यार करता हूँ और हमेशा खुश रहना चाहता ... -
मेरी तो बस हथेली ही गीली हुई👉डा.निर्मल जैन(से.नि.जज)
मेरी तो बस हथेली ही गीली हुई 👉डॉ. निर्मल जैन (जज) दशलक्षण पर्व का समापन हो गया। कोरोना-काल में भी अपने परिवार और साथियों ... -
अपरिग्रह व्रत, स्वयं को प्रकृति से जोड़े रखने का आश्वासन है-डा.निर्मल जैन(से.नि.जज)
अपरिग्रह व्रत, स्वयं को प्रकृति से जोड़े रखने का आश्वासन है। पर्युषण पर्व का नवां अंग, उत्तम आकिंचनधर्म। आकिंचन और परिग्रह परस्पर पूरक हैं। अपरिग्रह व्रत है, अकिंचन ...