धर्म-कर्म
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देव शास्त्र गुरु अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी सम्पन्न
गुरुग्राम, हरियाणा। श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर जैकमपुरा गुरुग्राम (हरियाणा) में आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज ससंघ के मंगल सान्निध्य में देव शास्त्र गुरु ... -
भौतिकवादी संसार में शांत, सुखी जीवन का मार्ग*दशलक्षणपर्व* -डॉ निर्मल जैन (से.नि.) न्यायाधीश नई दिल्ली
विज्ञान के सुविधाजनक आविष्कारों और भौतिकवाद ने लोभ और मिथ्याकर्षणों से हमारे जीवन को पूरी तरह सम्मोहित कर दिया है । चारों तरफ अनैतिकता ... -
जैन पर्व अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी सफलतापूर्वक संपन्न
जैन पर्व विशुद्धि के लिए होते हैं, ये हमें जोड़ना सिखाते हैं : श्रुत संवेगी मुनि श्री आदित्यसागर जी महाराज मुनिश्री बोले विकृतियों से ... -
मंगल प्रवेश चातुर्मास हेतु श्रुताराधक संत क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर जी
परम पूज्य श्रुताराधक सन्त क्षुल्लक श्री प्रज्ञांशसागर जी गुरुदेव का चातुर्मास हेतु भजनपुरा दिल्ली में हुआ भव्य मंगल प्रवेश। गोहाना सोनीपत से विहार करते ... -
आध्यात्मिक व धार्मिक साधना के साथ समाज को एक सूत्र में पिरोने का सुयोग -चातुर्मास
आध्यात्मिक व धार्मिक साधना के साथ समाज को एक सूत्र में पिरोने का सुयोग -चातुर्मास डॉ निर्मल जैन (से.नि.न्यायाधीश) पावस काल उपलब्धियों का समय ... -
आचार्य श्री 108 ज्ञानभूषण जी मुनिराज का गुरुग्राम में संसघ चातुर्मास सुनिश्चित होने से मेवात क्षेत्र के सर्व समाज में हर्ष की लहर
गुरूग्राम- गुरु द्रोण की धार्मिक नगरी गुरुग्राम की पावन पवित्र धरा में जैन दिगंबर आचार्य श्री 108 ज्ञान भूषण महाराज रत्नाकर का संसघ चातुर्मास ... -
उपदेश वही सार्थक जिसका स्वयं के जीवन के साथ सीधा तालमेल हो -महावीर
महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव उपदेश वही सार्थक जिसका स्वयं के जीवन के साथ सीधा तालमेल हो –महावीर डॉ निर्मल जैन (से.नि.न्यायाधीश) सभी धर्मों का प्रारंभ ... -
शांति, शाश्वत आनन्द के लिए सभी पूर्वाग्रहों, दुराग्रहों से मुक्त हों -महावीर, डॉ. निर्मल जैन (से.नि.न्यायाधीश)
तीर्थंकर महावीर का निर्वाण कल्याणक महोत्सव अहिंसा और अपरिग्रह के आलोक में जीव, दया, करुणा समेटे समानता और शांति के ऐसे उजाले की कल्पना है जो ... -
सम्प्रदायवाद,जातिवाद से दूर सभी संत,पंथ को स्वीकार्य धर्म के दशलक्षण-डॉ निर्मल जैन (से.नि.) जज
धार्मिक जीवन व्यक्ति का आंतरिक जीवन है। धर्म से उसका अंत:करण निर्मल होता है। अंतःकरण की निर्मलता का मुख्य हेतु है –मैत्री। यह मैत्री भावना ... -
*दिव्य मंत्र महाविज्ञान*
जिन लोगों को मंत्रों पर भरोसा न हो, वे मात्र दस दिन तक रोजाना केवल ‘ ऊँ ’ का मंत्र 50 माला रोज जपें। ...