धर्म-कर्म
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स्वयं के मान के मर्दन का नाम है मार्दव धर्म
स्वयं के मान के मर्दन का नाम है मार्दव धर्म -डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर मृदुता का भाव मार्दव है, सरलता है। सरल स्वभावी ... -
करोड़ों पूजा,जप,स्तुतियों से महान् है क्षमा
करोड़ों पूजा,जप,स्तुतियों से महान् है क्षमा -डॉ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर जैन परम्परा में दशलाक्षणिक धर्म पर्यूषण पर्व सबसे महत्वपूर्ण है। इन दिनों में ... -
पर्यूषणपर्व (दशलक्षण पर्व) अर्थात आत्म-शुद्धि की उत्कृष्ट प्रेरणा-डॉ.निर्मल जैन (जज)
सभी प्राणी सुखी होना चाहते हैं। क्रोध,विषय-विकार हर काल में दुख के कारण हैं। विकारी-भावों कापरित्याग और उदात्त भावों का गृहण सभी केलिए सामान ... -
करोड़ों पूजा, जप, स्तुतियों से महान् है क्षमा
जैन परम्परा में दशलाक्षणिक धर्म पर्यूषण पर्व सबसे महत्वपूर्ण है। इन दिनों में समाज के आबालवृद्ध स्वशक्ति अनुसार धर्माराधना, व्रत, उपवासादि करते हैं। त्योहार ... -
आचार्य श्री अतिवीर मुनिराज के सानिध्य में रानी बाग दिल्ली में चढ़ाया गया निर्वाण लाडू
दिल्ली-प्रशममूर्ति आचार्य श्री 108 शांतिसागर जी महाराज (छाणी) परंपरा के प्रमुख संत परम पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज के पावन सान्निध्य में ... -
मात्र परम्पराओं के निर्वाहन से मोक्ष नहीं मिलेगा -आचार्य अतिवीर मुनि
परम पूज्य आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज का तीन वर्ष पश्चात पुनः एक बार राजधानी दिल्ली में मंगल चातुर्मास धर्मप्रभावनापूर्वक संपन्न हो रहा ... -
रक्षाबंधन 22 अगस्त 2021पर विशेष : रक्षा के संकल्प का पर्व रक्षाबंधन
रक्षा के संकल्प का पर्व रक्षाबंधन -डॉ सुनील जैन संचय, ललितपुर रक्षाबंधन का पर्व 22 अगस्त को है। आज के दौर में जब ... -
जैन समाज स्वतंत्रता दिवस एवं भगवान पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक धूमधाम से मनाएंगा।
कोरोना प्रोटोकॉल का पूर्णतया पालन किया जाएगा। इंदौर:- कल 15 अगस्त को जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर श्री 1008 पारसनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक ... -
24 जुलाई 2021 को गुरु पूर्णिमा है। इस अवसर पर वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी का जीवन परिचय
श्री शांति वीर शिव धर्माजीत वर्द्धमान सुर्रिभ्यो नमः श्री शांति सिंधु सी निर्भयता हो वीर सिंधु सी निर्मलता श्री शिव सागर जी सा अनुशासन ... -
मंगल कलश या मायाचारी- पी.एम.जैन,दिल्ली
आज अधिकाँश समाजों द्वारा धार्मिक कार्यक्रम वह किये जाते हैं जिनमें 9 लगाकर 100 का धन्धा हो,नि: स्वार्थ भाव से किये जाने वाले कार्यक्रम ...