प्रवचन
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*पुज्यपाद स्वाध्याय तपस्वी वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनंदी जी गुरुराज द्वारा समस्त श्रावको को हितोपदेश -*
जो संतवाद,मतवाद,गुरु परंपरावाद से रहित होकर किसी भी वीतरागी श्रमण की सेवा वैयावृत्ति करता है वह जीव समस्त अरिहंत,सिद्ध सहित पंच परमेष्ठि व तीन ... -
*शक्ति का स्रोत साधन नहीं संकल्प है*-पं.जयपाल शर्मा
संकल्प” का संबंध सत्य और धर्म से होता है। उसका प्रयोग अधर्म और अत्याचार के लिए नहीं हो सकता। अधर्म पतन की ओर ले ... -
आज लोग ढंग का धर्म कम ढोंग का धर्म अधिक कर रहे-आचार्य सौरभ सागर
आगरा, 9 मई । 9 मई को आचार्य सौरभसागर जी महाराज ने शांतिसागर सभागार आगरा में आयोजित छहढाला प्रवचन सभा में बोलते हुये आगे ... -
भावों की निगरानी से होगा बेड़ा पार-आर्यिका पूर्णमति माताजी
इंदौर /व्यक्ति यदि सही ज्ञान रखें व सही समझ से कार्य करें तो सभी समस्याएं सुलझ सकती हैं। अज्ञानी की शरण में अज्ञान और ... -
धर्म के बिना किसी का कल्याण नहीं हो सकता है:आचार्य विमदसागर मुनिराज
धर्म के बिना किसी का कल्याण नहीं हो सकता है : आचार्य विमदसागर मुनिराज इन्दौर । 27 जून । इस भव में नहीं तो ... -
चरण पूज्यनीय नहीं होते आचरण पूज्य होता है :आचार्य विमदसागर मुनिमहाराज
इंदौर। पूज्यनीय नहीं होते आचरण पूज्य होता है, चर्म की पूजा नहीं होती चरित्र की पूजा होती है, हम रूप की पूजा नहीं करते ... -
पिच्छिधारी के चक्कर रोटी लगाती है :आचार्य विमदसागर
रतलाम। जिन्होंने पिच्छि को हाथ में ग्रहण किया है, धारण किया है उन्होंने तीर्थंकर भगवान की धर्म ध्वजा को अपने हाथों में लिया है। ... -
रूप से नहीं आचारण से सुन्दर होना चाहिए -आचार्य विमदसागर
रतलाम!! व्यक्ति को रूप से नहीं आचारण से सुन्दर होना चाहिए।भगवान की भक्ति से सुंदरता प्राप्त होती है, ब्यूटी पार्लर से नहीं। श्रावक श्रद्धावान, ... -
जीवन में हर पल करें स्वाभाविक शांति का विकास👉आचार्य सुनीलसागर
जीवन में हर पल करें स्वाभाविक शांति का विकास – आचार्य सुनीलसागर जियो और जीने दो ऐसे सिद्धांतों की बारी है। माना कि मानवता ... -
{शब्द नहीं भाव का जादू : आचार्य विरागसागर}
शब्द नहीं भाव का जादू : आचार्य विरागसागर मूर्ति में मूर्तिमान, आत्मा में परमात्मा देखने वाले की श्रद्धा सही है। अन्यथा लोग मूर्ति पकड़ते ...