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Home›देश›लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल को भूकम्प भी नहीं हिला सकता

लौह पुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल को भूकम्प भी नहीं हिला सकता

By पी.एम. जैन
November 2, 2018
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नई दिल्ली -: 31 अक्टूबर!! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लौह पुरूष सरदार श्री वल्लभभाई पटेल के सम्मान में दुनियाँ की सबसे ऊँची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया|

जानकारी के लिए बता दें कि 2.182 मीटर (597 फुट) ऊँची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ दुनियाँ की सबसे ऊँची प्रतिमा है, इसके बाद चीन की स्प्रिंग बुद्ध मंदिर (153 मीटर) दुनियाँ की सबसे ऊँची प्रतिमा है । जापान की उशिकु दायबुत्सु (120 मीटर) और अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) ऊँची है।

लौह पुरूष के ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को बनाने में 5,700 मीट्रिक टन यानी करीब 57 लाख किलोग्राम स्ट्रक्चरल स्टील का इस्तेमाल हुआ। साथ ही 18,500 मीट्रिक टन छड़ का इस्तेमाल किया गया है। 18 हजार 500 टन स्टील नींव में और 6,500 टन स्टील मूर्ति के ढाँचे में लगी है।

इस प्रतिमा में 4.17 सौ टन कांसे का इस्तेमाल मूर्ति में, जबकि 1,850 टन कांसा बाहरी हिस्से में लगा। 1 लाख 80 हजार टन सीमेंट कंक्रीट का इस्तेमाल निर्माण में किया गया, जबकि 2 करोड़ 25 लाख किलोग्राम सीमेंट का इस्तेमाल किया गया।

“स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” को ऐसे डिजाइन किया गया है कि भूकम्प का झटका या 60 मीटर/सेकेंड जितनी हवा की रफ्तार भी इस प्रतिमा को हिला तक नहीं सकती है। 6.5 रिक्टर पैमाने पर आए भूकम्प के झटकों में भी मूर्ति की स्थिरता बरकरार रहेगी। यह लौह पुरूष की प्रतिमा 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को झेल सकती है।

प्रतिमा निर्माण में गाँवों के किसानों ने मूर्ति के लिए लोहे का दान दिया। इसमें 135 मीट्रिक टन लोहे का दान मिला, जो इसमें इस्तेमाल हुआ है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है और ऊँचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है। प्रतिमा अपने आप में अनूठी और अनोखी है, इसके पैर की ऊँचाई 80 फिट, हाथ की ऊँचाई 70 फिट, कंधे की ऊँचाई 140 फिट और चेहरे की ऊँचाई 70 फिट है|

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने मे चार धातुओं का प्रयोग किया गया है। जिसमें तांबे के साथ-साथ जिंक, लेड और टीन शामिल है, इससे प्रतिमा हजारों साल तक खराब नहीं होगी। इस पर धूल, धूप, बारिश व जंग का भी कोई असर नहीं होगा। प्रतिमा में 153 मीटर की ऊँचाई तक पर्यटक जा सकेंगे और वहाँ से 12 किमी दूरी तक देखा जा सकता है। 200 लोग एक साथ मूर्ति के ऊपरी तले में बनी गैलरी में आ सकते हैं।

वर्ष 1999 में पद्मश्री से सम्मानित 92 वर्षीय शिल्पकार राम वी. सुतार ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) को डिजाइन किया है। संसद भवन परिसर में लगी महात्मा गाँधी की 17 फिट उँची प्रतिमा भी सुतार ने ही डिजाइन किया था । इसके अलावा पटना के गाँधी मैदान, कर्नाटक विधानसभा के साथ-साथ उनकी बनाई बापू की प्रतिमा 300 से ज्यादा देशों में लग चुकी हैं|

जानकारी के लिए बता दें कि मुंबई के समुंदर में लगने वाली शिवाजी की प्रतिमा की डिजाइन भी सुतार तैयार कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि यह प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को भी पीछे छोड़ देगी और दुनियाँ की सबसे ऊँची प्रतिमा होगी जो 2021 में बनकर तैयार होगी। प्रतिमा का स्टील फ्रेमवर्क बनाने का ठेका मलेशिया स्थित कम्पनी एवरसेनडाई को दिया गया है इसी कम्पनी ने दुबई के मशहूर बुर्ज खलीफा और बुर्ज अल-अरब जैसी इमारतें बनाई हैं।

‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ बनाने के लिए लोहे की पूर्ति हेतु पूरे भारत के गाँव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने व अनुपयोग औजारों का संग्रह किया गया। इस कार्य को कार्यवान्वित करने के लिए “सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट” भी बनाया गया। इस ट्रस्ट ने देशभर के छह लाख गाँवों से करीब 5000 मीट्रिक टन लोहा इकट्ठा किया।

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