“रिफाइंड़ तेल तुम नहीं खा रहे, तुम्हें रिफाइंड़ तेल खा रहा है”
नई दिल्ली -: भारतीय लोगों को खाने का शौक कुछ ज्यादा ही होता है| मौसा जी के घर आने पर ऐसा हो नहीं सकता कि बाजारू समोसे-पकौड़े घर न आये| लेकिन यह रिफाइंड़ रूपी तेल आपके शरीर के लिए मीठे जहर का कार्य करता है। जिसके कारण कुछ चंद दिनों में व्यक्ति मौत का शिकार बन जाता है। अर्थात “तुम रिफाइंड़ तेल नहीं खा रहे तुम्हें रिफाइंड़ तेल खा रहा है” सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रिफाइंड तेल के विषय में पता चला है कि इससे कई लोग मौत का शिकार हो चुके हैं।
केरल की एक आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी ऑफ रिसर्च केंद्र के अनुसार, हर साल भारत में रिफाइंड तेल के कारण लगभग 20 से 25 लाख लोग मर जाते हैं। रिफाइंड तेल के उपयोग से डीएनए डैमेज, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, आँखों का कमजोर होना,बीपी, शुगर, नपुंसकता, घुटनों का दर्द अर्थात जोड़ों में दर्द कमर दर्द, लीवर खराब, आँखों की रोशनी कम होना जैसी कई बीमारियां होती है। प्राप्त जानकारी में बताया गया है कि बीजों का तेल निकाला जाता है और तेल की अशुद्धियों को साफ करने के लिए इसे रिफाइंड किया जाता है। इस रिफाइंड़ तेल की वाशिंग के लिए नमक, पानी, कास्टिक सोडा, पोटेशियम, गंधक, तेजाब और अन्य खतरनाक चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे इस तेल की अशुद्धियों को निकाला जा सके और इस प्रक्रिया में तारकोल जैसा गाढ़ा वेस्ट निकलता है |एसिड के कारण यह तेल जहर बन जाता है।
न्यूट्रलाइजेशन-तेल को कास्टिक या साबुन के साथ मिलाकर 180 डिग्री फारेनहाइट पर गर्म करते हैं जिससे इसके सारे पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
तेल की ब्लीचिंग के लिए पी ओ ब्लीचिंग/ पीओपी का उपयोग करते हैं तेल में कलर और केमिकल मिलाकर 130 डिग्री फारेनहाइट पर गर्म करके साफ किया जाता है। इस तेल को निकोल और हाइड्रोजन के साथ मिलाकर हिलाया जाता है और सात-आठ बार गर्म और ठंडा किया जाता है। जिससे तेल में पांलीमर्स बन जाते हैं और यह व्यक्ति के पाचन तंत्र को पूरी तरह से खराब कर देते हैं| यदि व्यक्ति के पेट में भोजन नहीं बचेगा तो इससे कई तरह की बीमारियां होती हैं। निकोल एक प्रकार का उत्प्रेरक धातु है जो हमारे शरीर की श्वसन प्रणाली, लीवर, डीएनए, आरएनए को भयंकर नुकसान पहुँचाता है। इस प्रकार रिफाइंड तेल व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।