गृह प्रवेश हेतु महत्वपूर्ण जानकारियाँ
गृह प्रवेश हेतु महत्वपूर्ण जानकारियाँ-पी.एम.जैन
नई दिल्ली -: मनुष्य के लिये अपना घर होना किसी सपने से कम नहीं होता। अपना घर यानि कि उसकी अपनी एक छोटी सी दुनियाँ, जिसमें वह तरह-तरह के सपने संजोता है। पहली बार अपने घर में प्रवेश करने की खुशी कितनी होती है इसे सब समझ सकते हैं महसूस कर सकते हैं लेकिन बयां नहीं कर सकते। लेकिन क्या होता है कि कई बार अचानक आपको आपकी यह दुनिया रास नहीं आती, घर में क्लेश रहने लगता है और धीरे-धीरे आपके सपने बिखरने लगते हैं। इसका एक मुख्य कारण हो सकता है कि आपने अपने गृह प्रवेश के दौरान जाने अंजाने वास्तु नियमों का पालन न किया हो। इसलिये यदि आप धार्मिक हैं, शुभ-अशुभ में विश्वास रखते हैं तो गृह प्रवेश से पहले पूजन जरुर करवायें। हम आपको बताते हैं कि गृह प्रवेश के दौरान पूजा कैसे करें। लेकिन उससे पहले बताते हैं कि गृह प्रवेश कितने प्रकार का होता है।
कितने प्रकार का होता है गृह प्रवेश
शास्त्रों के अनुसार गृह प्रवेश तीन प्रकार से बताये गये हैं, जो कि इस प्रकार है👇
अपूर्व गृह प्रवेश – जब पहली बार बनाये गये नये घर में प्रवेश किया जाता है तो वह अपूर्व ग्रह प्रवेश कहलाता है।
सपूर्व गृह प्रवेश – जब किसी कारण से व्यक्ति अपने परिवार सहित प्रवास पर होता है और अपने घर को कुछ समय के लिये खाली छोड़ देते हैं तब दुबारा वहाँ रहने के लिये जब भी जाया जाता है तो उसे सपूर्व गृह प्रवेश कहा जाता है।
द्वान्धव गृह प्रवेश – जब किसी परेशानी या किसी आपदा के चलते घर को छोड़ना पड़ता है और कुछ समय पश्चात दोबारा उस घर में प्रवेश किया जाता है तो वह द्वान्धव गृह प्रवेश कहलाता है।
उपरोक्त तीनों ही स्थितियों में गृह प्रवेश पूजन का विधान धर्म ग्रंथों में मिलता है। माना जाता है कि इससे घर में सुख-शाँति बनी रहती है।
गृह प्रवेश की पूजा विधि
सबसे पहले गृह प्रवेश के लिये दिन, तिथि, वार एवं नक्षत्र को ध्यान मे रखते हुए, गृह प्रवेश की तिथि और समय का निर्धारण किया जाता है। गृह प्रवेश के लिये शुभ मुहूर्त का ध्यान जरुर रखें। इस सब के लिये एक विद्वान ब्राह्मण अथवा ज्योतिषी की सहायता लें, जो विधिपूर्वक मंत्रोच्चारण कर गृह प्रवेश की पूजा को सम्पूर्ण करता है।
ध्यान योग्य तथ्य-
माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ माह को गृह प्रवेश के लिये सबसे सही समय बताया गया है। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष इसके लिहाज से शुभ नहीं माने गए हैं। मंगलवार के दिन भी गृह प्रवेश नहीं किया जाता विशेष परिस्थितियों में रविवार और शनिवार के दिन भी गृह प्रवेश वर्जित माना गाया है। सप्ताह के बाकि दिनों में से किसी भी दिन गृह प्रवेश किया जा सकता है। अमावस्या व पूर्णिमा को छोड़कर शुक्लपक्ष 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, और 13 तिथियां प्रवेश के लिये बहुत शुभ मानी जाती हैं।
पूजन सामग्री- कलश, नारियल, शुद्ध जल, कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, धूपबत्ती, पाँच शुभ मांगलिक वस्तुयें, आम या अशोक के पत्ते, पीली हल्दी, गुड़, चावल, दूध आदि।
कैसे करें गृह प्रवेश
पूजा विधि संपन्न होने के बाद मंगल कलश के साथ सूर्य की रोशनी में नए घर में प्रवेश करना चाहिए।
घर को बंधनवार, रंगोली, फूलों से सजाना चाहिए। मंगल कलश में शुद्ध जल भरकर उसमें आम या अशोक के आठ पत्तों के बीच नारियल रखें। कलश व नारियल पर कुमकुम से स्वस्तिक का चिन्ह बनायें। नये घर में प्रवेश के समय घर के स्वामी और स्वामिनी को पाँच मांगलिक वस्तुऐं नारियल, पीली हल्दी, गुड़, चावल, दूध अपने साथ लेकर नए घर में प्रवेश करना चाहिए।
गृह प्रवेश कर्ता को अपने -अपने धर्मोनुसार अपने भगवान की तस्वीर अर्थात धार्मिक वस्तुऐं आदि गृह प्रवेश वाले दिन घर में ले जाना चाहिए। मंगल गीतों के साथ नए घर में प्रवेश करना चाहिए। पुरुष पहले दाहिना पैर तथा स्त्री बांया पैर बढ़ा कर नए घर में प्रवेश करें। इसके बाद भगवान का ध्यान करते हुए धार्मिक वस्तुओं को मंत्रों के साथ घर के ईशान कोण में या फिर पूजा घर में कलश की स्थापना करें। इसके बाद रसोई घर में भी पूजा करनी चाहिये। चूल्हे, पानी रखने के स्थान और स्टोर आदि में धूप, दीपक के साथ कुमकुम, हल्दी, चावल आदि से पूजन कर स्वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिये। रसोई में पहले दिन गुड़ व हरी सब्जियाँ रखना शुभ माना जाता है। चूल्हे को जलाकर सबसे पहले उस पर दूध उफानना चाहिये, मिष्ठान बनाकर उसका भोग लगाना चाहिये। घर में बने भोजन से सबसे पहले भगवान के नाम एवं पितरों के नाम से भोग रूप में कुछ अंश निकालना चहिएे साथ ही साथ गौ माता, कौआ, कुत्ता, चींटी आदि के निमित्त भोजन निकाल कर रखें। इसके बाद कुवॉरी कन्याओं और ब्राह्मण को भोजन करायें या फिर किसी गरीब भूखे आदमी को भोजन करा दें। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख, शाँति व समृद्धि आती है व हर प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं।पी.एम.जैन “ज्योतिष विचारक” दिल्ली