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Home›धर्म-कर्म›नौका विहार के समय किया त्याग चमत्कार नहीं बल्कि सच्चे संतों की पहचान है -पी.एम.जैन

नौका विहार के समय किया त्याग चमत्कार नहीं बल्कि सच्चे संतों की पहचान है -पी.एम.जैन

By पी.एम. जैन
December 5, 2018
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नई दिल्ली -:3 दिसम्बर!! चौकिए मत यह कोई चमत्कार नहीं है कि 21वीं सदी के युगसूर्य 🌞परम पूज्य संतशिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर सागर जी महाराज ने नौका से विहार किया तो वायरल समाचार के अनुसार नाविक ने शाकाहार अपनाते हुए जीव हत्या के व्यापार का भी त्याग कर दिया है| वैसे तो यह पंचमकाल यानी कलयुग में चमत्कार नहीं है लेकिन आज के दौर में चमत्कार से कुछ कम भी नहीं है | लेकिन…
यह तो अहिंसामयी जैनधर्म परम्परा के भगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर स्वामी तक सच्ची मोक्ष साधना और सच्चे मोक्ष साधक की पहचान कराने वाली उत्कृष्ट और अद्भुत एक पुरानी सच्चाई है! जिसके अंतर्गत जैनधर्म के तीर्थंकर भगवंतों के पुदगल (शरीर) के आस-पास से सात्विक और शाँतिदायक एक ऐसा “आभा मण्ड़ल” निर्मित होता है जिसके अन्दर आते ही भयंकर से भयंकर शेर, विषधर जैसे सर्प भी सात्विक और शाँत स्वभाव को धारण कर लेते हैं, जिसके तहत तीर्थंकर भगवंतों के अतिरिक्त  पंचमकाल में भी आगमचर्या के धनी और सच्चे मोक्षमार्गी जैनमुनियों के अनेकों प्रमाण जैन ग्रंथों में वर्णित हैं|
➡ऐसा ही कुछ रामयुग में केवट नामक केवटिया के साथ हुआ था वैसा ही वायरल नौका विहार समाचार के अनुसार कलयुग में रणजीत सिंह सिकरवार रामलला राजा निवासी ढिमरोली मुंगावली के केवटिया के साथ घटित हुआ जोकि राजघाट बांध के ठेकेदार है जिनका ललितपुर में भी निवास है आज (3 दिस.) जब पूज्य गुरुदेव विद्यासागर जी महाराज उनके स्टीमर नौका में बैठकर जैसे ही बेतवा नदी के उस पार पहुँचे वैसे ही नाविक रणजीत ने 21 वीं सदी के युगसूर्य 🌞 परम पूज्य गुरुदेव के चरण पकड़ लिए, गुरूदेव के चरण कमल पकड़़ते ही उन्होंने आजीवन मछली पकड़ने के व्यापार को त्याग दिया बताते हैं कि उन्होंने मछली पकड़ने का 14 करोड़ का ठेका भी छोड़ दिया है और उन्होंने गुुुरूदेव से जीवन भर के लिए शुद्धशाकाहारी जीवन जीने का संकल्प लिया है| यह रणजीत सिंह नामक केवटिया तो गुरूदेव के लिए 3 किलोमीटर की नदी पार कराने का मात्र निमित्त कारण बना लेकिन गुरूदेव,रणवीर के लिए भवसागर से पार कराने के केवटिया बन गये |धन्य हैं ऐसे जीव जो कलयुग में भी वर्तमान के वर्धमान (भगवान महावीर) जैसी चर्या के धनी युगसूर्य गुरूदेव के सान्निध्य में सेवाभाव से दिन-रात रहते हैं 🔚|

यही पूज्य गुरुदेव के चरणों का अद्भुत प्रताप है तभी तो कहा है कि 👉”पानी पीना छानकै गुरू बनाना जानकै” एक सच्चे मोक्षमार्गी साधु-संत द्वारा किसी चमत्कार रूपी आश्चर्य के लिए जादूटोना व टोटकेबाजी करने की जरूरत नहीं होती क्योंकि उनके पुदगल -परमाणु अर्थात शरीर से निकलने वाली ऊर्जा ही इतनी सात्विक, शाँतिदायक और सकारात्मक ऊर्जा होती है कि ऐसे महान पूज्यवरों का सान्निध्य और मात्र आशीर्वाद प्राप्त करना स्वत: ही कल्याणकारी हो जाता है 🙌|-पी.एम.जैन “ज्योतिष विचारक” दिल्ली मो. व्हाटसप नं. 9718544977

नोट-मेरे द्वारा उपरोक्त लेख में कोई त्रुटि हुई हो तो मै अल्पज्ञ करूणावान -क्षमावान पाठकगणों से क्षमायाचना करता हूँ |🙏🙏🙏

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