मोबाइल टॉवर से निकलने वाले रेडिएशन पक्षियों को बीमार करते हैं, और उनके मस्तिष्क व स्वास्थ्य सुरक्षा क्षमता पर बुरा प्रभाव डालते हैं। शहरी क्षेत्रों में जहाँ मोबाइल टावरों की संख्या ज्यादा है उन क्षेत्रों में पक्षियों की संख्या अधिक घटी है और कई क्षेत्रों में तो इनकी संख्या अब न के बराबर रह गई है। अभी नाइजीरिया में 5जी टेस्टिंग के दौरान लगभग 300 पक्षियों की जो मौत हुई हैं, उसको लेकर यह माना जा रहा है कि टेस्टिंग के दौरान रेडिएशन का प्रभाव इतना तीव्र था कि निकलने वाली रेडिएशन के प्रभाव से बेजुबान पक्षी तड़प-तड़पकर अकाल मौत का शिकार हुए हैं।
आज के आधुनिक दौर में पक्षियों को अपना घौसला बनाने के लिए सुरक्षित जगह नहीं मिल पा रही। वहीं, ऋतु बदलने के दौर में प्रवासी पक्षियों ने हमारे भारतीय क्षेत्र में आने से दूरी बना ली है जबकि ऋतु परिवर्तन सीजन तक प्रवासी पक्षियों की बहुत-सी प्रजातियाँ भारतीय क्षेत्र में दिखाई दिया करती थी|
बॉलीवुड फिल्मीस्टार अक्षय कुमार की रिलीज हुई फिल्म 2.0 रोबेट में इस मुद्दे को उठाया गया है। इस में सेव बर्ड का संदेश देते हुए पक्षी राजन अक्षय कुमार का कहना है कि सैलफोन का पमता पर प्रभाव पडऩे के प्रयोग करने वाला हर व्यक्ति पक्षियों का हत्यारा है। अगर हम पक्षियों को बचाना चाहते है तो हमें सैलफोन का प्रयोग बंद कर देना चाहिए या कम से कम करना चाहिए।
फिल्म साफ संदेश देती है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड रेडिएशन के प्रभाव से पंक्षियों की मौत हो रही है। सूत्रों के मुताबिक इसी बीच नीदरलैंड में 5जी सर्विस की टेस्टिंग से जुड़ी चौंकाने वाली खबर सामने आई है कि 5जी टेस्टिंग पंक्षियों के लिए यमराज बनकर आया इस टेस्टिंग के दौरान करीब 300 बेजुबानों की जान चली गई है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत में भी इस रिपोर्ट से किसी प्रकार की सीख ली जाएगी।
एक वेबसाइट खबर के मुताबिक कुुुछ दिनों पहले नीदरलैंड के शहर हेग के पार्क शुरु जांच में सामने आया कि डच रेलवे स्टेशन पर 5G की टेस्टिंग की गई। टेस्टिंग के तत्काल बाद आसपास के पक्षी पेड़ों से गिरने लगे। आसपास के तालाबों की बतखों में अजीब व्यवहार देखने को मिला। रेडिएशन से बचने के लिए वह बार-बार अपना सिर पानी में डुबोती नजर आईं। कुछ वहाँ से भाग गईं। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। डच फूड एंड कंज्यूमर प्रोडक्ट सेफ्टी अथॉरिटी का कहना है कि मरे हुए पक्षियों की लैब में टेस्टिंग की गई जिसके चलते मृत पंक्षियों में जहर के कोई निशान नहीं मिले लेकिन भारी मात्रा में आंतरिक रक्तस्राव होनेेके कारण इन पंक्षियों की मौत हुई है।