लोहड़ी पंजाब और हरियाण के लोग बहुत उल्लास के साथ कई दशकों से आज मनाते आ रहे हैं|लोहड़ी का यह पावन त्यौहार देश के उत्तर प्रान्त में अधिकाँश तौर पर मनाया जाता है| लोहड़ी का यह पावन त्यौहार हिन्दी माह के पौष माह की अन्तिम रात को एवं मकर संक्राति की सुबह तक मनाया जाता है|अंग्रेजी कलैण्ड़र 13 जनवरी को प्रतिवर्ष मनाया जाता हैं!
अधिकाँश तौर पर भारतीय त्यौहार प्रकृति में होने वाले परिवर्तन के साथ मनाये जाते हैं इस समय किसानों के लिए भी उल्लास का समय माना जाता हैं! खेतों में अनाज से लेकर मासाले तक की नई फसलें लहराने लगती हैं और मौसम भी सुहाना सा लगता है इस दौर के समय को देश की जनता के साथ मिल जुलकर एक त्यौहार रूप में मनाया जाता है| भारतीय पौराणिक कथाओं की बात करें तो इसे सती के त्याग के रूप में प्रतिवर्ष याद करके मनाया जाता है| “कथानुसार जब प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती के पति महादेव शिव का तिरस्कार किया था और अपने जामाता को यज्ञ में शामिल ना करने से उनकी पुत्री ने अपनी आपको को अग्नि में समर्पित कर दिया था! उसी दिन से एक पश्चाताप रूप में प्रतिवर्ष लोहड़ी त्यौहार मनाया जाता हैं और इसी कारण घर की विवाहित बेटी को इस दिन तोहफे दिये जाते हैं और भोजन पर आमंत्रित कर उसका मान सम्मान किया जाता हैं ! इसी ख़ुशी में श्रृँगार का सामान सभी सुहागिन महिलाओ को बाँटा जाता हैं|
पंजाबियों का विशेष त्यौहार है लोहड़ी जिसे वह धूमधाम से मनाते हैं|नाच, गाना और ढोल तो पंजाबियों की शान होते हैं और इसके बिना इनके त्यौहार अधूरे होते हैं |
भारत देश में हर त्यौहार के विशेष व्यंजन होते हैं. लोहड़ी में गजक, रेवड़ी, मुंगफली आदि खाई जाती हैं और इन्ही के पकवान भी बनाये जाते हैं. इसमें विशेषरूप से सरसों का साग और मक्का की रोटी बनाई जाती हैं और खाई एवं प्यार से अपनों को खिलाई जाती हैं
इस त्यौहार पर बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता हैं और उनका आदर सत्कार किया जाता हैं|पुराणिक कथा के अनुसार इसे दक्ष की गलती के प्रयाश्चित के तौर पर मनाया जाता हैं और बहन बेटियों का सत्कार कर गलती की क्षमा माँगी जाती हैं!. इस दिन नव विवाहित जोड़े को भी पहली लोहड़ी की बधाई दी जाती हैं और शिशु के जन्म पर भी पहली लोहड़ी के तोहफे दिए जाते हैं|
लोहड़ी त्यौहार के कई दिनों पहले से कई प्रकार की लकड़ियाँ इक्कट्ठी की जाती हैं. जिन्हें नगर के बीच के एक अच्छे स्थान पर जहाँ सभी एकत्र हो सके वहाँ सही तरह से जमाई जाती हैं और लोहरी की रात को सभी अपनों के साथ मिलकर इस अलाव (अग्नि) के आस पास बैठते हैं तरह-तरह के गीत गाते हैं, खेल खेलते हैं, आपसी गिले सिकवे भूल कर एक दुसरे को गले लगाते हैं और लोहड़ी की बधाई देते हैं!. इस लकड़ी के ढेर पर अग्नि देकर इसके चारों तरफ परिक्रमा करते हैं और अपने लिए और अपनों के लिये दुआयें माँगते हैं. विवाहित लोग अपने साथी के साथ परिक्रमा लगाती हैं! इस अलाव के चारों तरफ बैठकर रेवड़ी, गन्ने, गजक आदि का सेवन किया जाता हैं|लोहड़ी के त्यौहार पूरे उत्साह से मनाया जाता हैं! देश के लोग विदेशों में भी बसे हुए हैं जिनमे पंजाबी ज्यादातर विदेशों में रहते हैं इसलिये लोहड़ी विदेशों में भी मनाई जाती हैं|