पर्दाफ़ाश 👉 आखिर क्यों बनते हैं अनावश्यक मन्दिर?.
“कुछ तो सल्लो बाबरी और कुछ लीं भूतों ने घेर” -पी.एम.जैन नई दिल्ली -: आज भरत जी के भारत देश में इतने अधिक प्राचीन मन्दिर और शाश्वत तीर्थ विद्यमान होते हुए भी अनावश्यक नवनिर्मित मन्दिर इतनी अधिक संख्या में गली-गली, मौहल्ले-मौहल्ले में विद्यमान आखिर क्यों हैं, कि जिनकी देखभाल के लिए भी फजियते पड़़े रहते हैं| आज लेख के माध्यम से इस फजियते बाजी का पर्दाफ़ाश करने की कोशिश करते हैं जोकि आम जनता की नजरों से छिपा हुआ एक वास्तविक राज है|
आज के दौर में कुछ धार्मिक बाबा तो अदृश्य रूप से बिल्ड़र बाबा बने बैठे हैं जोकि धार्मिक अनावश्यक नवनिर्माण जैसे गोलमाल के व्यापार से जुड़े मिलते हैं और सिर्फ धार्मिक भेष के आधार पर ही सामाजिक तौर पर पुजतें भी हैं! जबकि बिल्ड़र तो संसारिक तौर पर व्यापारी ही होता है उसका क्या दोष! लेकिन कुछ बाबा संसार से विरक्त होते हुए भी भोलीभाली जनता की आँखों में धर्म नाम की धूल झौंककर, कुछ बिल्ड़रों के साथ मिलकर पर्दे के पीछे से व्यापारी होते हैं !क्योंकि कुछ “बिल्ड़रों के इशारे पर ही अनावश्यक मन्दिर बनते हैं और फिर होता है मिलजुल कर दोनों का धर्म के नाम पर करोडों का गोलमाल व्यापार”|

