नई दिल्ली -: (3 फरवरी) 23 जनवरी गिरनार जी (गुजरात) से लापता जैनमुनि की खोज के लिए समस्त साधु समाज और जैन श्रावक समाज सभी चिंतित थी, जिसके चलते जैन समाज द्वारा समाचार पत्र,सोशल मीड़िया के माध्यम से राज्य सरकार, केन्द्र सरकार से उच्च स्तरीय खोजबीन की गुहार गतिदिनों से लगाई जा रही थी| अब👇👇
शनिवार 2फरवरी को सोशल मीडिया पर वायरल एक ख़बर के अनुसार जैनमुनि को गुजरात पुलिस ने रायपुर छत्तीसगढ़ पुलिस की सहायता से खोज निकाला है |
सोशल मीडिया पर वायरल खबर का सार यह है कि मुदित सागर नामक जैन मुनि अपनी स्व-इच्छा से लापता हुए थे|
वायरल पेपर कटिंग में लिखा है कि “घुटन हो रही थी अब सांसारिक होना चहाता हूँ!” कहने का तत्पर्य यह है कि उनको संन्यासी जीवन से घुटन हो रही थी| लेकिन.👇
विचारणीय विषय यह है कि यह तो चलो “पुण्य- पाप” का समय चक्र है जोकि सांसारिक तौर पर प्रत्येक प्राणी के जीवन काल में चलता रहता है परन्तु कम से कम एक बार तो “भूतकालीन जैैैैनमुुुनि मुदितसागर” अपने गुरू से इस “घुटन” के निवारण के लिए चर्चा करते तो गुरू अवश्य कोई ना कोई उपाय बताते लेकिन अपनी घुटन जैसे विघ्न को गुरू से छिपाना और स्व-इच्छा से लापता होकर समस्त साधु समुदाय और जैन समाज को चिंतित व दुखी करना एक अमानवीय विषय है जोकि किसी भी मायने से उचित नहीं था|
मनुष्य के जीवन काल में गुरू का महत्व इसी लिए महत्वपूर्ण होता है कि कोई भी व्यक्ति समयचक्र के चँगुल में फँसकर अपने लक्ष्य से भटक ना जाये,इसी लिए गुरूओं का आशीर्वाद एवं मार्गनिर्देशन समय- समय पर लेते रहना चाहिए! विशेष कर जब व्यक्ति विशेष उलझन में फंसा हो, उसका विवेक काम न कर रहा हो तो इस परिस्थिति में हमें बिना हिचकिचाहट के अपने उद्धारक पूज्य गुरूओं का निर्देशन अवश्य लेना चाहिए|-पी.एम.जैन दिल्ली
नोट-:पारस पुँज सोशल मीडिया पर वायरल इस👇👇वीड़ियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है|इस वायरल वीडियो में जैनमुनि का इंटरव्यू किसने लिया, कहाँ पर लिया और किस दबाब में लिया गया है क्योंकि जैनमुनि के इंटरव्यू वाले वीड़ियो में ना तो इंटरव्यू लेने वाले को और ना ही इंटरव्यू के स्थान को दर्शाया गया है जोकि एक विचारणीय विषय बना हुआ है |