हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत ही महत्वपूर्ण महत्व माना जाता है। पितृ-तर्पण, श्राद्ध आदि कार्यों के लिए यह दिन बहुत शुभ होता है। यह अमावस्या साल में प्रत्येक महीने के हिसाब से 12 अमावस्याएें आती हैं, लेकिन उनमें से कुछ श्राद्ध कर्म, पितृ-तर्पण आदि कार्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। फाल्गुन अमावस्या उन्ही में से एक है। बुधवार 6 मार्च को पड़ने वाली इस अमावस्या के दिन आवश्यक सावधानियाँ बरतना बहुत जरूरी हैं जैसे-👇
👉फाल्गुन अमावस्या तिथि पर सूर्य उदय होने से पहले उठें और घर की साफ सफाई अवश्य करें।
👉मकान-दुकान में किसी भी तरीके से तामसिक भोजन या मांसाहार का प्रयोग ना करें।
👉मकान-दुकान में पितरों की तस्वीर दक्षिण दिशा में जरूर लगा दें।
👉मकान-दुकान में सुबह के समय नमक का पोछा जरूर लगवाएें।
👉माह की किसी भी अमावस्या तिथि पर बाल न कटवाएें और ना ही दाढ़ी बनवाएें।
👉माह की अमावस्या तिथि पर पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें।
👉माह की प्रत्येक अमावस्या तिथि पर पितरों के लिए भोजन रसोई घर को साफ-सुथरा करके ही बनाएें और भोजन में शुद्ध चीजों का इस्तेमाल करें।
👉महिला अशुद्धि (मासिक धर्म) के दिनों में मानसिक भंड़ारा कर सकती हैं या घर में अन्य कोई भी पितरों के लिए भोजन ग्रास निकाल सकता है|
नोट👉इस आलेख में दी गई जानकारियाँ धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।