टोंक । सृष्टि के आधार ओर रचियता स्त्री-पुरूष शिव एवं शक्ति के ही स्वरूप है, इनके मिलन एवं सृजन से यह संसार जीव प्राणी संचालित तथा सतुलित है, नारी प्रकृति एवं नर-पुरूष दोनों एक-दूसरे के पुरक है। अद्र्धनारीश्वर शिव इसी पारस्परिकता के प्रतीक है। जिनका मधुर मिलन चन्द्र स्त्री सूर्य पुरूष का कर्क राशि में श्रावण कृष्ण पक्ष अमावस को होता है। भगवान शिव की पूजा लिंग के रूप में की जाती है, संस्कृत में लिंग का अर्थ है चिन्ह, शिव यानी परम पुरूष का प्रकृति स्त्री के साथ सम्मानित चिन्ह, अत: शक्ति के अभाव में शिव, शिव न होकर शव रह जाता है। अत: श्रावण मास कृष्ण पक्ष हरियाली अमावस्या को शिव व शक्ति की पूजा का उत्तम विशेष योग है। 125 वर्ष पूर्व 1 अगस्त बुधवार सन् 1894 में सूर्य, चन्द्र, पुष्य नक्षत्र में बुध पुनर्वसु नक्षत्र कर्क राशि में विचरण के समय योग बना था, इस वर्ष 1 अगस्त गुरूवार को पूजा आराधना का पंच महायोग का उत्तम संयोग साथ ही चतुर्थ गृही योग बन रहा है।
मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध के निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि 31 जुलाई बुधवार को दिन में 11.57 बजे तक चौदस उपरांत अमावस पितृ कार्य, 1 अगस्त गुरूवार प्रात: 8.41 बजे तक, देव कार्य की बताई गई है। एकम तिथि का क्षय है, गुरू पुष्यामृत योग दिन में 12.11 बजे तक है। हरियाली अमावस्या का पंच महायोग, सिद्धि योग, शुभ योग, गुरू पुष्यामृत योग, स्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है, जिसमें भक्ति आराधना, साधना का विशेष संबंध होने से सुवृष्टि सुभिक्ष कल्याणदायक एवं फलदायक है। पंच महायोग के संयोग में शिव व शक्ति पितृ देव, कुल देव, देवताओं की पूजा करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है एवं दैविक, दैहिक, भौतिक, दुखों से छुटकारा एवं मुक्ति मिलती है। शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
काल गणना अनुसार गृहों का समन्वय किसी पर्व योग में होता है तो मानव जीवन का कल्याण स्वत: ही हो जाता है। कर्क राशि में शुक्र, चन्द्र, सूर्य पुष्य नक्षत्र में मंगल आश्लेषा नक्षत्र में विचरण कर चतुर्थ गृही योग बना रहे है, देव गुरू बृहस्पति, वृश्चिक राशि में बैठकर कर्क राशि पर नवम दृष्टि डाल रहे है, जिससे गृहों को शुभाशुभ बल मिल रहा है। गृहों के प्रभाव से सम्पूर्ण भारत में मानसून सक्रिय योग बनाकर वर्षा योग बना रहा है।
बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि श्रावण मास में शिव व शक्ति की आराधना हरियाली अमावस्या को देवी-देवता भी पृथ्वी पर आकर करते है। इस वर्ष पंच महायोग का संयोग एवं चतुर्थ गृही योग बन रहा है जो शिव आराधना का विशेष उत्तम समय है। अत: शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए बिल्व पत्र, केसर युक्त चन्दन, पंच मेवा, आकड़े, धतूरे के फूल, भांग, पंचामृत आदि से अभिषेक कर पूजा करना चाहिये एवं ओम नम: शिवाय का जाप करना चाहिये।