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जैन समाचार
Home›जैन समाचार›गोम्मटसार कर्मकांड शिक्षण-शिविर (प्रथम)

गोम्मटसार कर्मकांड शिक्षण-शिविर (प्रथम)

By पी.एम. जैन
September 16, 2019
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गोम्मटसार कर्मकाण्ड जैसे दुर्लभ ग्रन्थ का आद्योपांत स्वाध्याय का स्वर्णिम अवसर

गोम्मटसार कर्मकांड शिक्षण-शिविर (प्रथम)

21 दिसम्बर से 29 दिसम्बर2019

मोदीजी की नसिया, इन्दौर

 आचार्य नेमीचन्द्र के सान्निध्य में श्रवणबेलागोला मेंराजा चामुण्डराय के द्वारा 57 फीट उत्तुंग भगवान् बाहुबली की स्थापना की गई थी | उन्हीं आचार्य नेमीचन्द्र के द्वारा राजा चामुण्डराय के प्रश्न पर विशालगोम्मटसार ग्रन्थ की रचना की गयी थी | हम सब श्रवणबेलागोला तीर्थ से परिचित हैं, परन्तु गोम्मटसार ग्रन्थ से अब भी अपरिचित हैं | आइये, श्रवणबेलागोला के समान अब हम उन्हीं आचार्य-शिष्य के द्वारा रचित-व्याख्यायित गोम्मटसार को भी जानें |

गोम्मटसार ग्रन्थ के अध्ययन के उद्देश्य से हमने गोम्मटसार के शिविरों का आयोजन किया था जिसमें पिछले चार शिविरों के माध्यम से आपने जीवकाण्डजी ग्रन्थ का आद्योपांत स्वाध्याय किया, परीक्षा दी और अनुभव किया कि जिनागम कितना अद्भुत है, ज्ञान कितना विशाल है, कैसे-कैसे जीव संसार में कहाँ-कहाँ पाए जाते हैं इत्यादि । इस ग्रन्थ की पूर्णता के पश्चात् इसी का अगला भाग कर्मकांडजी ग्रन्थ है जिसका प्रथम शिविर आगामी दिसम्बर माह में प्रारंभ किया जा रहा है । इसमें जीव और कर्म के बारे में हम विशेष रूप से सीखेंगे जिससे कर्म के चक्र से छुटकारा पा सकें ।

 इस शिविर की विशेषताएँ हैं—

Ø  इसमें 9 दिनों तक प्रतिदिन सुबह, दोपहर और रात्रि को 2-2 घंटे, इस तरह प्रतिदिन 6 घंटे कर्मकांडजी का अध्ययन कराया जाएगा |

Ø  पूरे शिविर में एक ही ग्रन्थ का अध्ययन कराया जाएगा – यह इस शिविर की सबसे ख़ास बात है |

Ø  नवीनतम साधनों जैसे प्रोजेक्टर, टेबल्स आदि के द्वारा अध्ययन कराया जाएगा |

Ø  Software Engineer, विदेशों में सेवायें दे चुके युवा विद्वानों के द्वारा अत्यंत सरल और सुन्दर विधि से पढ़ाया जाएगा |

Ø  आकर्षक नवीनतम स्टडी मटेरियल

Ø  शिविर के बाद भी प्रश्न-पत्रों के माध्यम से ग्रन्थ का अभ्यास चालु रहता है |

इस शिविर के विषय

प्रकृति समुत्कीर्तन अधिकार — कर्म का स्वरूप, भेद-प्रभेद, कर्म के विभिन्न विभाग, कर्म की सहयोगी सामग्री – नोकर्म आदि

बंध-उदय-सत्त्व अधिकार — 4 प्रकार के बंध, व्युच्छित्ति आदि

हर शिविर में 400 से भी अधिक साधर्मीयों ने भाग लिया था एवं विषय को बहुत अच्छे ढंग से सिखा था | आप भी पिछले शिविर के विडियो इस साईट पर देख सकते हैं –www.jainkosh.org । जिन लोगों ने पूर्व शिविरों में भाग नहीं लिया था, वे भी इस शिविर में शामिल हो सकते हैं | शिविर में आने के पहले कर्मों के नाम,14 मार्गणाओं का सामान्य स्वरूप आप पढ़कर आयें । इससे शिविर के विषय सीखने में आसानी होगी ।

शिविर में भाग लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है | रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 31 ऑक्टोबर है | रजिस्ट्रेशन करने हेतु आप ऑनलाइन फॉर्मwww.jainkosh.org पर दी गयी लिंक से भर सकते हैं । शिविर सम्बन्धी जानकारी :https://youtu.be/LCcmkDPmuCU

इन्दौर के बाहर से आने वाले शिविरार्थियों हेतु आवास एवं शुद्ध भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था रहेगी | आप इस ज्ञान-यज्ञ में अवश्य आयें और अन्य साधर्मियों को भी जानकारी देवें |👉 विकास जैन (छाबड़ा)

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