मोदीनगर(गाजियाबाद) !! 21वीं सदी के वात्सल्य मूर्ति आचार्य 108 श्री ज्ञानभूषण जी महाराज के पावन ससंघ में आचार्य श्री का पावन सान्निध्य एवं वाणी प्रखर👉क्षुल्लिका 105 श्री ज्ञानगंगा माता जी के आगमानुकूल नेतृत्व में संघस्थ अनेकों त्यागीव्रतियों की दिनचर्या और “मोक्षमार्ग परीक्षा” हेतु पढ़ाई-लिखाई एवं अभ्यास निरन्तर चलता रहता है|
आज कलयुगी दौर में क्षुल्लिका ज्ञानगंगा माता जी धार्मिकता व दृड़ता की एक ऐसी जीवंत मिसाल हैं जिनके बचपन में वैराग्य ने एक बार दस्तक दी और उन्होंने उसे जीवन भर के लिए “जकड़” लिया! क्योंकि क्षुल्लिका जी को पता था कि “पकड़ा हुआ छूट सकता है, भाग सकता है लेकिन “जकड़ा” हुआ ना तो “स्वत: छूट” सकता है और ना ही “स्वत: भाग” सकता है|”
इसी सन्दर्भ में 👉आचार्य श्री वीतरागियों के अनुयायिओं से सदैव कहते हैं कि “वैराग्य तो वीतरागियों का सहपाठी होने के साथ -साथ जनमानस का हितैषी है” जो निरन्तर निर्विकार हृदय के साथ एकाँत तलाशता है लेकिन आज के दौर में इंसान कुछ क्षण के लिए शमशानों में स्वच्छ हृदय के साथ निर्विकार मिलता है तो यह हितैषी वैराग्य वहाँ पर भी तुरन्त प्रकट हो जाता है लेकिन इंसानी दृड़ता की कमी के कारण वह क्षणभंगुर वैराग्य बनकर रह जाता है|
आचार्य श्री ज्ञानभूषण मुनिराज के इस पावन ससंघ में मोक्षमार्ग के इच्छुक विद्यार्थी को दृडसंकल्प द्वारा एक “अद्भुत कला” को उदित-घटित करने -कराने पर विशेष जोर दिया जाता है! कहते हैं कि 👉 चतुर्थकाल में “भगवान महावीर स्वामी” अपने संघस्थ विद्यार्थियों को मोक्षमार्ग हेतु तब तक दीक्षित नहीं करते थे जब तक ध्यानयोग इत्यादि के माध्यम से दीक्षार्थी को अपना पूर्वभव याद न आ जाए !
आज के कलयुगी दौर में आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज भी भगवान महावीर से मिलती-जुलती प्रक्रियाओं के विभागों की इकाइयों का अनुसरण कराकर ही दीक्षार्थी को दीक्षा प्रदान करते हैं|
आचार्य श्री के सान्निध्य और क्षुल्लिका जी के नेतृत्व में “मोक्षमार्ग परीक्षा” के अन्तर्गत “प्रैक्टीकल परीक्षा” उत्तीर्ण करना “परीक्षा” का एक अभिन्न अंग है|
आचार्य श्री कहते हैं👉कि आज के दौर में मोक्षमार्ग हेतु व्रत- उपवास करना, प्रवचनकारी करना, ध्यानयोग इत्यादि जैैैसे अनेेक योग करना अत्यन्त आसान है लेकिन स्व-पर के कल्याण के लिए “भावना योग” सर्वोपरि है! इसे उदित-घटित करके सिद्ध करना बहुत कठिन है क्योंकि “हम जैसे विचार रखते हैं और जैसी भावना हम ब्रह्मांड की ओर प्रेषित करते हैं वैसा ही हमारे जीवन में होने लगता है! सांइस में इसे “लॉ अॉफ अट्रैक्शन” (Law Of Attraction) कहते है इसके द्वारा एक व्यक्ति अपने निश्चित लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है|कहते भी हैैं👉”जाकी रही भावना जैैैैसी, प्रभु मूूर्तिया देेेखी वैैैसी”
आचार्य श्री साधुसमाज व श्रावक समाज दोनों के बीच सांकेतिक तौर पर सदैव कहते हैं कि👉आज के दौर में “संघ में मात्र संख्या बढ़ोत्तरी” को महत्व ना देतें हुए “पढ़ा तो बहुत पर गुना नहीं” वाली कहावत का विश्लेषण करना चाहिए और मोक्षमार्ग के इच्छुक व्यक्ति की”भावनाओं”का विशेष तौर पर परीक्षण-निरीक्षण करके ही आगामी निर्णय लेना चाहिए|
कहीं ऐसा ना हो कि👉 “पंडिताई पल्ले पडी़ पूर्व जन्म का पाप औरन को उपदेश दें कौरे रह गये आप|”
आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज अपने सभी विद्यार्थियों को “मोक्षमार्ग परीक्षा” सम्बन्धित सभी शिक्षा व प्रक्रियाओं से शिक्षित करते हैं साथ ही साथ मोक्षमार्गी के मार्ग में अचानक आने वाली प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बनाने की “कला” भी बखूबी सिखाते हैं|
👉आचार्य श्री के मुखारबिंदु पर मंद-मंद मुस्कान वात्सल्य के अतिरिक्त प्राकृत से निरन्तर अंत: करण से जुड़े रहने को परिभाषित करती है इसीलिए आज वह हमारे बीच “21वीं सदी के वात्सल्यमूर्ति” रूप में विराजमान हैं|
आचार्य श्री के सर्वोच्च सान्निध्य और क्षुल्लिका जी के कुशल नेतृत्व ने ब्र.कृष्णा दीदी (रामगढ़,राजस्थान) एवं ब्र. कुसुम दीदी (हथीन,हरियाणा) को “मोक्षमार्ग परीक्षा” में उत्तीर्ण किया है |जैनधर्म की ऐसी वीरांगनाओं को आचार्य श्री दिनाँक 03 नबम्वर 2019 के दिन क्षुल्लिका दीक्षा प्रदान करेंगे| हमें पूर्ण विश्वास है कि “सोने से कुन्दन” बनने जैसी प्रक्रिया से गुजर कर मोक्षमार्ग की राह पर चलने वाली यह वीरांगनाऐं भी निज आत्मकल्याण के साथ -साथ जीवमात्र व जनमानस का कल्याण करेंगी|
आचार्य श्री ज्ञानभूषण जी महाराज ने दीक्षा से पूर्व दीक्षार्थियों की “गोद भराई” जैसी रस्म का आगाज👇
09 अक्टूबर 2019 को बाल ब्रह्मचारिणी क्षुल्लिका श्री ज्ञानगंगा माता जी के 31वें अवतरण दिवस पर श्री शाँतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, मोदी नगर,जिला गाजियाबाद (उ.प्र) से कर दिया है|
👈आचार्य श्री का वर्षायोग 2019, यहीं मोदीनगर में धर्मप्रभावना व निजसाधना के साथ बड़ी धूमधाम से चल रहा है यह वर्षायोग समस्त स्थानीय निवासियों और समस्त देशवासियों के लिए एक
ऐतिहासिक वर्षायोग सिद्ध हुआ है|👉पारसमणि जैन
“ज्योतिष विचारक एवं चीफ एडिटर *पारस पुँज* नई दिल्ली|”