मुम्बई/अ.भा.जैन पत्र संपादक संघ के तत्वावधान में पूज्य मुनि श्री प्रमुख सागर जी ससंघ के पावन सान्निध्य में आ.शांतिसागर स्मारक त्रिमूर्ति जिनालय पोदनपुर में आ.शांतिसागर जी के व्यक्तित्व व कर्तृत्व को रेखांकित करती हुई संगोष्ठी सानन्द सम्पन्न हुई।
संगोष्ठी का प्रथम सत्र 11 अक्टूबर को अपरान्ह 2 बजे समागत विद्वानों के सम्मान के साथ सत्र का शुभारंभ हुआ।प्रथम सत्र की अध्यक्षता जैन संदेश के संपादक श्री अनूपचंद जी एडवोकेट फिरोजाबाद ने की।इस सत्र के सारस्वत अतिथि डा. शुद्धात्मप्रकाश जैन डायरेक्टर सोमैया संस्थान मुम्बई थे।मंगलाचरण डा.अल्पना जैन-देवलाली ने किया। सत्र में डा.अरविंद जैन-भोपाल, डा.सुशील जैन-कुरावली,डा.राजीव प्रचण्डिया-अलीगढ़, श्रीमती दीप्ति जैन-ललितपुर, डा.बी.एल.सेठी-जयपुर, श्री प्रदीप जैन-दिल्ली तथा श्री कमल हाथीशाह-भोपाल ने आ.शांतिसागर जी के प्रति विनयांजलि प्रस्तुत करते हुए अपने-अपने आलेख का वाचन किया।सत्र के अंत में मुनि श्री प्रमुख सागर जी का मंगल उद्बोधन हुआ।दोनों सत्रों का संचालन महामंत्री अखिल बंसल ने किया।
रात्रिकालीन सत्र की अध्यक्षता संगठन के अध्यक्ष श्री शैलेन्द्र जैन-अलीगढ़ ने की। सत्र के सारस्वत अतिथि डा.बी.एल.सेठी- जयपुर थे। सत्र का शुभारंभ श्रीमती दीप्ति जैन के मंगलाचरण से प्रारंभ हुआ। सर्वप्रथम श्रीमती रश्मि जैन ने भजन के माध्यम से मुनि श्री प्रमुख सागर जी के प्रति भावांजलि प्रस्तुत की ।इस सत्र में श्री शैलेष कापडिया-सूरत,डा.अल्पना जैन-देवलाली, पं.विजयकुमार जैन-मुम्बई, श्रीमती मीना जैन-उदयपुर, श्री संदीप जैन-बडागांव तथा श्री भरत कुमार जी काला आदि ने अपने आलेखों का वाचन किया।दोनों सत्रों के अध्यक्षों तथा सारस्वत अतिथियों ने अपने उद्गार व्यक्त किये।इस अवसर पर डा.माणिक चंद जी उदयपुर ने धर्मरत्नाकर समाचार पत्र के नवीन अंक का विमोचन कराया तथा अजित बंसल-जयपुर ने समन्वय वाणी की प्रति मुनि श्री को भेंट की।
12 अक्टूबर को प्रातः जैन गजट के संपादक श्री भरतकुमार जी काला के निवास पर समागत विद्वानों ने स्वल्पाहार का रसास्वादन लिया उपरांत मुम्बई भ्रमण का लाभ मिला। इस अवसर पर सम्पन्न हुई बैठक में जैन संवाद के नियमित प्रकाशन का निर्णय लिया गया साथ ही कार्यकारिणी में दो नावों पर सवारी करने वाले सदस्यों के स्थान पर कार्यकारिणी में नये सदस्यों का मनोनयन किया गया।पण्डित प्रवर टोडरमल जी का 300 सौ वां जन्म जयन्ती समारोह मनाने के लिए एक समिति के गठन का निर्णय लिया गया।पू.आ.श्री विद्यानंद जी के समाधिस्थ होने पर विनयांजलि समर्पित की गयी।