गाँधी जी की “150 वीं जन्म जयंती” पर आयोजित”सर्व धर्म प्रार्थना सभा” में भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ,माननीय पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह
गाँधी जी की “150 वीं जन्म जयंती” पर आयोजित इस “सर्व धर्म प्रार्थना सभा” में भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद , पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह एवं देश-विदेशों से आए कई गणमान्य अतिथियों के साथ करीब एक हजार बच्चों ने महात्मा गाँधी जी को याद करते हुए नमन किया। “सर्व धर्म प्रार्थना” में जैन समाज के प्रतिनिधि के रूप में “जैन प्रार्थना” “मंगलाष्टक” डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव ने प्रस्तुत की।”150 वीं गाँधी जयंती” के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह में डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव को ‘Faith Leader’ के रूप में सम्मानित किया गया ।
●”माननीय राष्ट्रपति जी से डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव ने “मिच्छा मे दुक्कडम” एवं “उत्तम क्षमा” कहा ।●
★ *2 अक्टूबर “गांधी जयन्ती” पर सभी ने गांधी जी को याद किया तथा “सर्वधर्म प्रार्थना सभा” में डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव ने “जैन प्रार्थना” प्रस्तुत करते हुए “विश्व शांति” के लिए “भगवान महावीर के अणुव्रत के सिद्धांत”, “अहिंसा परमो धर्म:” और “जियो और जीने दो” को प्रत्येक मानव के लिए महत्त्वपूर्ण बताया।
डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव जी ने “सर्वधर्म प्रार्थना” के अंतर्गत जैन प्रार्थना “मंगलाष्टक” का सस्वर पाठ किया और कहा कि ” मैं महात्मा गाँधी जी की 150वीं जयंती पर उन्हें शत-शत नमन करती हूं । आज मैं गाँधी जी के गुरु “जैन संत” श्रीमद् राजचंद जैन जी को भी नमन करती हूँ जिन्होंने जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के अहिंसा,सत्य,अस्तेय,ब्रम्हचर्य,अपरिग्रह तथा सर्वोदय आदि सिद्धांतों से गाँधी जी का मार्ग दर्शन किया ।गुरु द्वारा बताए हुए सर्वोदय अहिंसा,सत्य आदि इन सभी सिद्धांतों को अपनाकर गाँधी जी ने सम्पूर्ण विश्व को ‘”सर्व धर्म समभाव”,शांति,मैत्री एवं एकता का संदेश दिया और राष्ट्रपिता के रूप में वे सदा के लिए अमर हो गए । सत्य अहिंसा का संदेश देने के पश्चात्य “जैन प्रार्थना” के रूप में “मंगलाष्टक”(अर्हन्तो भगवंत इन्द्रमहिता: , सिद्धाश्च सिद्धीश्वरा: ….) का सस्वर पाठ किया तथा “जैनम् जयतु शासनम् – विश्वकल्याणं कारकं” एवं “जय जिनेन्द्र” कहकर प्रार्थना को पूर्ण किया ।डॉ. इन्दु जी ने “भगवान महावीर के क्षमा, मैत्री , प्रेम, समता और अहिंसा के संदेश को पूरे देश में पहुंचाया।अच्छे संदेश के साथ प्रार्थना की सुंदर प्रस्तुति के लिए डॉ. इन्दु को सभी व्यक्तियों ने बधाई दी ।
●गांधी जयन्ती “सर्वधर्म प्रार्थना” के बाद जब राष्ट्रपति जी सभी धर्म के प्रतिनिधियों से मिलते हुए डॉ.इन्दु से मिले तब “जैन धर्म का प्रतिनिधित्व कर रहीं डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव ने माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी श्री से “उत्तम क्षमा” और “मिच्छा मे दुक्कडम” भी कहा ।
●सम्पूर्ण सृष्टि में क्षमा, मैत्री , समता, सभी जीवों के प्रति एकात्मकता और अहिंसा की भावना का संचार हो, यही सर्व धर्म प्रार्थना का सार है ।
🙏गांधी जी को याद करते हुए, सुविख्यात,पद्मश्री पंडित अजय चक्रवर्ती जी के गायन ने हम सभी को अभिभूत कर दिया । कार्यक्रम में कई राजनीतिक , सामाजिक, साहित्यिक तथा अपने-अपने क्षेत्र में श्रेष्ठ रूप मेंं कार्य कर रहे व्यक्तियों से मिलना भी प्रेरणादायक रहा।
●150वीं गाँधी जयंतीे के पावन अवसर पर , वर्ष भर से कई कार्यक्रम पूरे देश में आयोजित हो रहे हैं इसी क्रम में सर्व धर्म के प्रतिनिधियों का “सम्मान समारोह” आयोजित हुआ। विगत कई वर्षों से सर्वधर्म प्रार्थना में “जैन धर्म” का प्रतिनिधित्व करते हुए पूरे देश में अहिंसा परमो धर्म: , जियो और जीने दो, सत्य , उत्तम क्षमा ,अनेकान्त , “परस्परोपग्रहो जीवानां” , विश्वशांति , प्रेम, मैत्री, एकता एवं सर्वधर्म समभाव आदि का संदेश जन-जन के मन तक पहुँचाने के लिए डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव को “FAITH LEADER” के रूप में सम्मानित किया गया । गौरव की बात है कि डॉ. इन्दु को “FAITH LEADER” के रूप में, “गाँधी स्मृति दर्शन समिति” के निदेशक दीपंकर श्री ज्ञान जी ने स्वाधीनता का प्रतीक “चरखा” ,गाँधी जी के आशीर्वाद स्वरूप प्रदान किया ।
जब डॉ. इन्दु जी को सम्मान प्राप्त होने की बधाई दी गई तो एक संवाद के दौरान उन्होंने कहा कि “मुझे जैन प्रतिनिधि के रूप में मिले इस चरखे को लेते हुए गर्व की अनुभूति हो रही थी। चरखा हाथ में लेने के बाद उसे देखती ही रही और गाँधी जी को नमन करते हुए , मैंने मन ही मन नमोस्तु किया जन-जन के👇👇👇
गुरुवर आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज को ,क्योंकि वर्तमान समय में उनकी ही प्रेरणा से”हथकरघा” के माध्यम से हज़ारों लोगों को रोजगार मिला है ।भारत वर्ष में जन-जन का मानस स्वदेशी वस्त्रों से जुड़ रहा है । जेलों में भी हथकरघा खोलकर ,वहाँ के कैदियों को रोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ उनकी विचारधाराओं में सकारात्मक परिवर्तन किया जा रहा है।वर्तमान समय में जो “जीओ और जीने दो” “अहिंसा परमो धर्म:” के सिद्धांत एवं “भारतीय संस्कृति के सिद्धांत को हर व्यक्ति के मानस में स्थापित किया ,ऐसे गुरुवर जिन्होंने चरखे की उपयोगिता को जीवंत किया हो उन्हें याद करके बारंबार नमोस्तु करती हूँ । गाँधी जी ने अपने गुरु श्रीमद् राजचंद जैन जी से भगवान महावीर के अहिंसा दर्शन के सिद्धांत को समझा था । गाँधी जी ने “अहिंसा परमो धर्म:” के सिद्धांत को पहले स्वयं के जीवन में अपनाया फिर उसे जन-जन तक पहुँचाया । इस बार पूरा देश गाँधी जी की जन्मजयंती मना रहा है तो क्यों न हम सभी भी संकल्प लें कि अपने जीवन में मन – वचन – काय से ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे किसी भी जीव को आघात पहुँचे । जीवन सभी को प्यारा है अत: “जीओ और जीने दो” के सिद्धांत को जीवन में अपनाकर, हम गाँधी जी को सदा के लिए अपने हृदय में स्थापित कर सकते हैं ।
उनकी सकारात्मक विचारों की अनुमोदना करते हुए “”FAITH LEADER” के रूप में मिले,सम्मान के लिए उन्हें, हम सभी की ओर से हृदय से बधाई और स्वर्णिम भविष्य की अनेक शुभकामनाएं ।
सर्वोदय विश्व भारती प्रतिष्ठान
नई दिल्ली ।