मड़ावरा में दो दिवसीय राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी का शुभारंभ संगोष्ठी में देश के प्रमुख विद्वान सम्मिलित


इस दौरान राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर राजस्थान में जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमत जैन उदयपुर ने नियम देशना में अंकित कालद्रव्य की सैद्धांतिक मीमांसा बिषय पर अपना शोधालेख प्रस्तुत करते हुए कहा कि जैनदर्शन के अनुसार जो जीवादि द्रव्यों के परिवर्तन में कारण होते हैं उसे कालद्रव्य कहते हैं।
इसके बाद संस्कृत भाषा के अध्येता डॉ नरेन्द्र गाजियाबाद ने आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज का जैन संस्कृति को अवदान तथा प्रतिष्ठाचार्य विनोद जैन रजवांस ने आचार्य विशुद्ध सागर जी और विद्वत संगोष्ठियां विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।

दोपहर में द्वितीय सत्र डॉ सुशील मैनपुरी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। सारस्वत अतिथि ब्र. जयकुमार निशांत भैया रहे।
इस सत्र का संचालन डॉ पंकज जैन भोपाल ने किया। इस सत्र में काशी हिंदू विश्वविद्यालय में जैन-बौद्ध दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो अशोक जैन वाराणसी, शास्त्रि परिषद के महामंत्री ब्र. जयकुमार निशांत भैया टीकमगढ़ ने पुरुषार्थ देशना में हिंसा अहिंसा का विवेचन, राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित डॉ विमल जी जयपुर, डॉ महेंद्र मनुज इंदौर, प्राचार्य निहाल चंद्र बीना आदि अपने शोधालेख प्रस्तुत किये।
इस दौरान पंडित शीतलचंद्र जैन, पंडित श्रीन्नदन, सुनील शास्त्री टीकमगढ़, डॉ आशीष वाराणसी, डॉ मयंक अलीगढ़, शोभाराम शास्त्री, संतोष शास्त्री सौरई , मनीष शास्त्री शाहगढ़ , ब्रजेश शास्त्री, प्रमोद शास्त्री, हर्षित शास्त्री, शुभम शास्त्री, निर्मल सिंघई आदि विद्वान प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी प्रियंक सराफ ने दी। संगोष्ठी संयोजक डॉ सुनील संचय ने बताया कि इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न स्थानों से प्रमुख विद्वान शामिल हो रहे हैं। 3 नवम्बर को प्रातः एवं दोपहर के सत्रों में विभिन्न आलेख प्रस्तुत किये जायेंगे। इसके बाद समापन में विद्वानों का सम्मान किया जाएगा