10लाख से ज्यादा बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ म. प्र. सरकार द्वारा आंगनबाड़ी में अण्ड़ा देने का प्रस्ताव


सोने की चिड़िया भी कहा जाता था। यहाँ की पूर्व की संस्कृति है ।👉यहाँ साधनों की नहीं साधना की ,चित्र की नही चरित्र की,वासना नहीं उपासना की, पूजा आराधना स्तुति की जाती है।
म.प्र.सरकार ने नन्हे मुन्ने नो निहालो का भविष्य दाव पर लगाया है उनको मांसाहारी बनाने का कुचक्र चलाया है|
मध्य्प्रदेश सरकार द्वारा आंगनबाड़ी में अध्ययनरत 6 वर्ष तक के 10 लाख मासूम बच्चों को एवं गर्भवती महिलाओं को हर हप्ते में तीन बार अण्डा दिया जाएगा। कुपोषण की आड में आगामी 1अप्रेैल 2020 से यह नियम लागू किया जाएगा।इस कुचक्र पर सरकार 133 करोड़ रूपये खर्च करेगी।👉जानकारी के लिए बता दें कि पूरे भारत मे 9 राज्यो में अण्डा देना शुरू हो चुका है। यह हमारीभारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्यों को तार- तार कर उस पर कुठाराघात किया जा रहा है।

यदि हम बच्चों को अभी से अण्डा खिलायेंगे तो बाद में सम्भव है वो मांस और शराब का सेवन भी करने लगें।
👉हिंदुस्तान के हिंदुत्व और जैन के जैनत्व की संस्कृति अब खतरे में पड़ गई हैं। उसकी रक्षा के लिये हम सब को राष्ट्रीय संन्तो के साथ संगठित होकर विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से इस पर तुरन्त प्रभाव से रोक लगाने की माँग करना चाहिए।

