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धर्म-कर्म
Home›धर्म-कर्म›दीक्षा महोत्सव का आयोजन हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ

दीक्षा महोत्सव का आयोजन हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ

By पी.एम. जैन
December 11, 2019
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मुमुक्षु नीलमकुमारी अशोक कुमारजी एंव   मुमुक्षु मनीषा कुमारी अशोककुमारजी की दीक्षा निमित्त  श्री मणि लक्ष्मी तीर्थ में त्रिदिवसीय  दीक्षा महोत्सव का आयोजन 6-8 दिसम्बर को किया गया ,जिसके अंतर्गत प्रथम दिवस को  सुबह श्री शक्रस्त्व महापूजन व दोपहर को आचार्य भगवंत श्री हँसकीर्ति सूरीश्वरजी द्वारा संयम की महत्ता पर व साधु कैसे समाज का हित करते हैं विषय पर विशिष्ट प्रवचन दिया गया। शाम को हर्षित शाह,भिवंडी  द्वारा सुंदर परमात्मा भक्ति करवाई गई।
द्वितीय दिवस को प्रात काल की बेला में दोनों मुमुक्षुओं का वरघोड़ा वाजते गाजते निकला जो दीक्षा मंडप में पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हो गया जहां पर चारित्र उपकरण वंद्नावली आयोजन किया गया जिसकी सबसे बड़ी विशेषता ये रही कि
युवाओं ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया वह तरह तरह के नियम पालने की प्रतिज्ञा लेकर दोनों मुमुक्षुओं के हाथ से चारित्र उपकरण की भेंट प्राप्त की।
इस कार्यक्रम को शब्दों के सौंदर्य से सजाया मनोज जैन चेन्नई व संगीत में पिरोया  हर्षित शाह ने ।
दोपहर को अंतिम वायणा व शाम को विदाई समारोह का आयोजन रखा गया जिसके अंतर्गत थाने से पधारे जैनम संघवी ने उनके जीवन व दीक्षा से सम्बंधित एक के बाद एक ,अनेक प्रश्नों की बौछार  मुमुक्षुओं पर की व अपनी कविताओं के माध्यम से सुंदर माहौल का सर्जन किया।
कार्यक्रम के अंत में, सेवा में सहयोग देने वाले सभी कार्यकर्ताओं  समितियों व
मणि लक्ष्मी तीर्थ  का  बहुमान किया गया व सकल श्री संघ द्वारा दोनों मुमुमुक्षुओ को वधाया गया।
 8 दिसंबर को शुभ मुहूर्त में दीक्षा विधि प्रारंभ हुई युवा संघ रत्न मनोज राठौड़ चेन्नई ने संचालन और पारस गड़ा मुंबई ने संगीत के माध्यम से दीक्षा का अद्भुत माहौल तैयार किया।
जैसे ही दोनों मुमुक्षु को रजो हरण प्रदान किया गया पूरा पंडाल खुशी से नाच उठा।
वेश परिवर्तन के बाद
मुमुक्ष नीलम बनी
पू.साध्वीजी ध्यान योग निधी श्रीजी व मुमुक्ष मनीषा बनी
पू.साध्वीजी परम योग निधी श्रीजी म.सा.।
इस दीक्षा महोत्सव कार्यक्रम को अपनी पावन उपस्थिति से और
गरिमामय बनाया प.पू.
आचार्य भगवंत श्री हँसकीर्ति सूरीश्वरजी म.सा. आदि ठाणा ने।
व पूज्य साध्वी श्री अनंतकीर्तिश्रीजी म.सा व पूज्य साध्वी श्री पुण्यनिधि श्रीजी आदि ठाणा ने।
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