20वीं सदी के वात्सल्य मूर्ति आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज का रजत-समाधि महोत्सव एवं विद्वत विचार गोष्ठी


👈👈👈👈👈👈👈👈👈👈👈👈👈👈👈👈🙏🙏🙏🙏☝☝🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏परम पूज्य वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज के रजत – समाधि महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में श्री दिगम्बर जैन पंचायत समिति ललितपुर के तत्वावधान में एक दिवसीय विद्वत- विचार गोष्ठी, क्षेत्रीय विद्वत सम्मेलन और ललितपुर नगर गौरव मोक्षमार्गियों के माता -पिता का सम्मान समारोह का आयोजन नगर के अटा जैन मंदिर में भव्यता पूर्वक किया गया।
प्रातःकालीन प्रथम सत्र में सर्वप्रथम आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज की पूजन भक्ति भाव से मुनि श्री प्रांजल सागर जी महाराज और मुनि श्री प्रत्यक्ष सागर जी महाराज द्वारा सम्पन्न कराई गई। मंगलाचरण प्रतिष्ठाचार्य जयकुमार जैन बड़ागांव ने किया। दीप प्रज्ज्वलन बाहर आये विद्वानों द्वारा तथा आचार्यश्री के करकमलों में शास्त्र भेंट स्थानीय सभी विद्वानों तथा सिध्देश्वर जमोरिया परिवार ने किया।
इस अवसर पर आचार्य विमल सागर जी महाराज के रजत समाधि महोत्सव वर्ष पर आयोजित गोष्ठी में बोलते हुए आलोक शास्त्री बड़ामलहरा (केंद्रीय विद्यालय) ने कहा कि आचार्यश्री निमित्त ज्ञानी और वात्सल्य रत्नाकर थे। जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल ने स्वागत भाषण रखते हुए कहा कि आचार्यश्री ने मिथ्यात्व की ओर जा रहे जनमानस के लिए अपने शुभाशीष से सम्यक्त्व का सन्मार्ग दिखाया था। राजेश शास्त्री ने उनके जीवन के शिक्षाप्रद प्रसंगों पर प्रकाश डाला । संजीव शास्त्री महरौनी ने कहा कि आचार्यश्री का जन्म उत्तर प्रदेश में एटा जिले के कोसमा नामक गाँव में हुआ था । आपने अनेक भव्यों के लिए मोक्षमार्ग पर चलना सिखाया था। पंडित मनीष जैन टीकमगढ़ ने आचार्यश्री से संबंधित प्रेरक संस्मरण सुनाया। वयोवृद्ध विद्वान जीवनलाल शास्त्री ने आचार्यश्री पर संस्कृत में स्वरचित कविता पाठ किया।
इस अवसर पर पंडित शीतलप्रसाद जैन, पंडित दीप चंद्र टीकमगढ़, राजेन्द्र शास्त्री सरकनपुर प्रमोद शास्त्री टीकमगढ़, सचिन शास्त्री चिन्मय, शीलचंद्र शास्त्री, पंडित श्रीन्नदन टीकमगढ़, अनिल शास्त्री सागर, शुभम शास्त्री बड़ामलहरा रत्नप्रभा जैन, अखिलेश शास्त्री डिकोली आदि विद्वानों ने आचार्यश्री के विराट व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।
प्रातः प्रथम सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ विद्वान महेंद्र कुमार जैन प्राचार्य मुरैना ने तथा दोपहर सत्र की अध्यक्षता प्रतिष्ठाचार्य पवन दीवान मुरैना ने की। संचालन सम्मेलन के संयोजक डॉ. सुनील संचय और डॉ निर्मल शास्त्री ने किया। आभार जैन पंचायत के महामंत्री डॉ अक्षय टडैया और मनोज बबीना ने वक्त किया।
विद्वत सम्मेलन के पुण्यार्जक सिद्धेश्वर जमोरिया परिवार और नगर गौरव सम्मान समारोह के पुण्यार्जक नरेश मुक्ता परिवार रहे।

आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी महाराज ने अपनी अमृतमयी वाणी में संबोधित करते हुए कहा कि साधुओं का मानव जाति पर बहुत बड़ा उपकार है, संतों की श्रृंखला में वात्सल्य रत्नाकर आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज हुए जिनका पूरे देश की जैन समाज रजत समाधि महोत्सव वर्ष मना रही है।वे सहज, सरल संत थे। वे जन-जन के संत थे। आत्म कल्याण के साथ-साथ अनवरत दूसरों के कल्याण और पीड़ा हरने में कुशलता रखते थे। आपकी त्याग, तपस्या, करुणा, वात्सल्य से अनेकों दुखियों के दुख दूर हुए। आपकी ध्यान साधना लोगों के लिए विस्मयकारी थी।आज हमें आवश्यकता है उनके बताए हुए सदमार्ग पर चलने की । उनकी प्रेरणा से अनेक लोककल्याणकारी कार्य हुए जो उन्हें हमेशा जीवंत बनाये रखेंगे। नगर गौरव सम्मान पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि ललितपुर जैन समाज सौभाग्यशाली है जो यहाँ से इतनी अधिक संख्या में भव्य जीव जैनेश्वरी दीक्षा लेकर मोक्षमार्ग पर चल रहे हैं। यहाँ की समाज मुनि भक्त समाज है। संतों के प्रति अटूट श्रद्धा भक्ति रखती है।

इस अवसर पर दोपहर के सत्र में नगर गौरव 53 मोक्षमार्गियों के गृहस्थ अवस्था के माता-पिताओं का जैन पंचायत समिति के तत्वावधान में ‘नगर गौरव’ सम्मान से प्रशस्ति पत्र, अंग वस्त्र प्रदान कर मुनि श्री प्रत्यक्ष सागर जी के निर्देशन में जैन पंचायत के पदाधिकारियों और पुण्यार्जक परिवार द्वारा सम्मानित किया गया।
इसके बाद आयोजन में सम्मिलित सभी विद्वानों को सम्मानित किया गया।
सम्मान समारोह में जैन पंचायत के अध्यक्ष अनिल अंचल, महामंत्री डॉ अक्षय टडैया, धार्मिक आयोजन समिति के संयोजक मनोज बबीना, शीलचंद्र अनौरा, अखिलेश गदयाना, अटा मंदिर के प्रबंधक द्वय कपूरचंद लागौन,भगवान दास कैलगुवा, सिद्धेश्वर जमोरिया, नरेश मुक्ता, अनन्त सराफ, अमितप्रिय जैन, गेंदालाल सतभैया, चंदन जैन,आंनद साइकिल, शादीलाल एडवोकेट वीणा जैन, सुलोचना बुखारिया, अमित पुल्ली, अजय जैन, एडवोकेट सनत जैन आदि ने सभी को सम्मानित किया।
ये विद्वान हुए शामिल : प्राचार्य महेंद्र मुरैना, पंडित पवन दीवान मुरैना, डॉ निर्मल शास्त्री टीकमगढ़, डॉ सुनील संचय (सम्मेलन संयोजक), सुनील शास्त्री सोजना, अनिल शास्त्री सागर, जयकुमार शास्त्री बड़ागांव , मनीष शास्त्री शाहगढ़, पंडित मनीष संजू टीकमगढ़, प्रदीप जैन टीकमगढ़, ऋषभ वैद्य बड़ागांव, मुकेश शास्त्री, पंडित आलोक मोदी, राजेश शास्त्री, मनोज शास्त्री आहार, अखलेश शास्त्री डिकोली, राजेन्द्र शास्त्री सरकनपुर, अलोक शास्त्री केवी , गजेंद्र शास्त्री कुंडलपुर, संजीव शास्त्री महरौनी, कैलाश शास्त्री मैनवार, राकेश भारिल्ल टीकमगढ़, पंडित अरविंद जैन, पण्डित जयकुमार सिरोन, सुरेशचंद्र टीकमगढ़, राजकुमार टीकमगढ़, राजेश शास्त्री टीकमगढ़ , प्राचार्य रवि जैन आहार, जीवनलाल शास्त्री,पं. ज्ञानचंद्र मदन, दीपचंद शास्त्री, पंडित श्रीन्नदन जैन टीकमगढ़, पंडित गुलाबचंद, पंडित शीतलचंद्र, पंडित निहालचंद्र, खेमचंद्र शास्त्री, पंडित संतोष अमृत, शीलचंद्र शास्त्री, वीरेंद्र शास्त्री , शुभम शास्त्री बड़ामलहरा, प्रमोद शास्त्री, सचिन शास्त्री चिन्मय, पंडित राकेश वैसा, पंडित राजकुमार मवई, वीरचन्द्र नेकौरा, मुकेश शास्त्री चंद्रपुरा, सोमचंद्र, अंकित आदि विद्वान उपस्थित रहे।


