उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ध्यान और आस्था के साथ कार्य करें। :-आचार्य विद्यासागर महाराज
इंदौर:- एक वैज्ञानिक ध्यान लगाकर अपना आविष्कार कर लेता है विज्ञान को कुछ आधार चाहिए होता है। वह साक्ष्य नहीं, ध्यान चाहता है आप लोगों के पास भी ध्यान की सामग्री है परंतु आप लोग विज्ञान के युग में बहकर ध्यान को भूलते चले जा रहे हैं।
आज यह बात आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने तिलक नगर,(इंदौर) में धर्म सभा में उपस्थित हजारों लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि
आपको सब कुछ उपलब्ध हो सकता है आपके पास क्षमता (विद्यमान) भी हैं बस्तु उतनी ही है, वही है, परंतु किस की आवश्यकता कितनी मात्रा में है इसको ध्यान से समझना होगा।
खाने योग्य चीज भी अधिक मात्रा में खाओगे तो वह नुकसान करेगी देखने योग्य चीज भी अधिक मात्रा में देखोगे तो भी गलत करोगे।
अति होने से (इति) अंत हो जाता है और अंत के बाद प्रारंभ होता है।
अंत के बाद प्रारंभ और प्रारंभ के बाद अंत, घूम कर आ जाता है इसलिए थोड़े से इतिहास के पन्ने पलट लो तो भारत भी वही है, विज्ञान भी वही है, आप भी वही हो ।
अब विश्व का पूरा का पूरा ध्यान भारत की ओर आ रहा हैं और भारत का ज्ञान और ध्यान किस ओर जा रहा है यह सोचने की आवश्यकता है।
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सभी इंदौर स्थित कालोनियों एवं नगरों के लोग आचार्य श्री को श्रीफल चढ़ाकर अपने यहां आने का अनुरोध कर रहे हैं इस पर आचार्य ने कहा कि〰〰〰〰〰〰〰〰〰
आप लोग इंदौर को छोड़ कर, अपनी अपनी कॉलोनी और नगरों की बात करते हैं, मेरा सब और जाना तो संभव नहीं है और ना ही ऐसा हो सकता है कि इंदौर मेरे इर्द-गिर्द घूमने लगे कि सारे नगर और कॉलोनी मेरे आस पास आ जाएं।
आप यदि अपना ध्यान मेरी और लगा ले तो पाएंगे कि मेरा आशीर्वाद का हाथ आप सब लोगों के लिए उठा हुआ है। मैं सबको देख सकूं यह तो संभव नहीं है परंतु आप मेरी और देखे यह संभव है।
मुझे ध्यान लगाने की नहीं आपको ध्यान लगाने की आवश्यकता है।
बहुत समय तक आप मेरे समीप रहे इतना समय आपके पास कहां है?
लेकिन आपके लिए, एक दिन में आधा मिनट ही पर्याप्त है आप जब और जहां चाहो, रात में भी, वहां मुझे देख सकते हो बस ध्यान लगाने की आवश्यकता है।
ध्यान की जब आवश्यकता होती है तो उसके साथ आस्था भी जुड़ जाती है, और रास्ता बिल्कुल साफ हो जाता है।
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कई मंदिरों के पंचकल्याणक होना है इसकी योजना आचार्य श्री को बताई गई, उसके बारे में आचार्य श्री का कहना था कि〰〰〰〰〰〰〰〰〰
योजना आप लोगों की है धीरे-धीरे सभी योजनाओं का संयोजन भी हो जाएगा। इतना याद रखें कि हमें इंदौर में 10 दिन हो चुके हैं ,हम भविष्य की चिंता नहीं करते पर आप अतीत को भूल जाते हैं और जो अतीत को भूल जाता है वह भविष्य का निर्माण नहीं कर सकता।
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प्रवचन की शुरुआत करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि”कभी-कभी” और “कहीं-कहीं” यह दो शब्द ऐसे हैं जो हमारे भौगोलिक और ऐतिहासिक सारी विचारधाराओं में क्रांति लाने का कारण बन सकते हैं “कभी-कभी” को काल की दृष्टि से और “कहीं-कहीं” को भौगोलिक दृष्टि से समझा जा सकता है।
कहीं-कहीं और कभी-कभी, किसी स्थान पर जाने के उपरांत वस्तु अपना स्वरूप बदलकर जमीन आसमान का अंतर कर लेती है। कभी-कभी कोई ऐसा प्रसंग मिल जाता है तब दिमाग में चल रहे सारे विचार शांत हो जाते हैं। दिमाग बिल्कुल खाली हो गया हो, ऐसा प्रतीत होता है।
यह भारत भूमि है इसके लिए हमें साक्षी देने की कोई आवश्यकता नहीं है। साक्षी का अर्थ होता है “आंखों के सामने”।
किसी भी न्यायालय में आप जाएं सर्वप्रथम आपको साक्षी चाहिए।
घटनास्थल पर व्यक्ति था कि नहीं था इसके बारे में नहीं जानना है, सिर्फ साक्ष्य चाहिए। इसी के आधार पर न्यायालय अपना फैसला देते हैं।
आज साक्षी को याद तो रखा है परंतु असली क्या साक्षी है यह बहुत महत्वपूर्ण होता है।
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प्रवचन के पहले चल रही बोलियो एवं आचार्य श्री के चरण स्पर्श करने को हो रही धक्का-मुक्की के विषय में आचार्य श्री बोले
अभी प्रवचन से पहले यहां बहुत बोलियां हो रही थी। आना-जाना, धूमधड़ाका,धक्का मुक्का सब कुछ। वही लोग अब शांत बैठे है मैं भी बैठा हूं स्थान भी वही है सब कुछ वही है यह परिवर्तन क्यों आता है? यह परिवर्तन नहीं आता है। हमारा ध्यान बदल जाता है अब आप सभी का ध्यान मेरी और है।
अपना ध्यान बदल कर ही हम सब कुछ पा सकते हैं।
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समाज के संजीव जैन “संजीवनी” ने बताया कि सभा से पहले आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन आनंद गोधा एवं विकास पाटनी परिवार ने किया एवं पूजन खातीवाला टैंक समाज व तुकोगंज दिगंबर जैन समाज द्वारा की गई।
दोनों समाज के महिला-पुरुष परंपरागत वेशभूषा में स्टेज के समक्ष व्यवस्थित रूप से बैठे हुए थे।
धर्म सभा का संचालन ब्रह्मचारी सुनील भैया जी एवं सचिन जैन ने किया।
दयोदय चेरिटेबल ट्रस्ट के मनोज बाकलीवाल, अशोक दोशी, मनीष जैन, कमल अग्रवाल ने बताया कि कल भी प्रवचन तिलक नगर मैं स्थित “दयोदय धर्म पंडाल” में सुबह 8:30 बजे से होंगे।
👈संजीव जैन “संजीवनी”
अंक जनवरी 2020 आप सभी मित्रों का हार्दिक अभिनन्दन करता है👇👇👇