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धर्म-कर्म
Home›धर्म-कर्म›भारत में प्रथम बार आचार्य शांतिसागरद्वय की मूर्ति प्रतिष्ठापना-ब्र.सुमत भैया जी

भारत में प्रथम बार आचार्य शांतिसागरद्वय की मूर्ति प्रतिष्ठापना-ब्र.सुमत भैया जी

By पी.एम. जैन
February 21, 2020
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गिरनार। ऐसा अवसर कभी-कभी देखने को मिलता है कि एक परम्परा के आचार्य अपनी परम्पराचार्य के साथ-साथ दूसरी परम्परा के आचार्य कीे भी उनके योग्य बहुमान के साथ मूर्ति प्रतिष्ठा करके लघु मंदिर बनवाकर अपने विशाल मंदिर-धर्मशाला परिसर में सबसे आगे बीचोंबीच स्थापित करवायें। एह कार्य किया है प्रशममूर्ति आचार्य श्री शांतिसागर जी (छाणी) परम्परा के चतुर्थ पट्टाचार्य गिरनारगौरव आचार्य श्री निर्मलसागर जी महाराज ने। आपने विश्वशांति निर्मल ध्यान केन्द्र गिरनार के समवशरण मंदिर परिसर में ठीक बीचोंबीच  आचार्यद्वय की प्रतिमाओं प्रतिष्ठापना करवाकर समाज के बीच एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है।
बीसवीं शती के श्रमण परम्परा के पुनरुद्धारक चारित्रचक्रवती आचार्य श्री शांतिसागर जी (दक्षिण) के मुनि दीक्षा शताब्दी समारोह की स्मृति स्वरूप एवं उत्तर भारत में मुनि परम्परा को पुनरुज्जीवित करने वाले प्रशममूर्ति आचार्य श्री शांतिसागर जी (छाणी) के समाधि हीरक महोत्सव के स्मृति स्वरूप दिनांक 14 एवं 15 फरवरी 2020 को आचार्यद्वय की मूर्तियों की प्रतिष्ठा- गुणारोपण, मातृकान्यास, मंत्रन्यास, अधिवासना, नेत्रोन्मीलन, मुखोद्घाटन, सूरिमंत्रदान आदि सभी क्रियायें स्वयं व मुनिश्री नयनसागर जी महाराज सहित अपने संघ के पावन सान्निध्य में स्वयं के द्वारा सम्पन्न करवाई। सम्पूर्ण प्रतिष्ठाविधि डाॅ. पं. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’, इन्दौर एवं पं. भरत काला मुंबई ने सम्पन्न करवाईं। समस्त कार्यक्रम का निर्देशन ब्र. शान्ताबेन तथा संयोजन ब्र. सुमत भैया- अधिष्ठाता- विश्वशांति निर्मल ध्यान केन्द्र गिरनार ने किया। प्रांगण के बीच में एक सुंदर छतरी बनवाकर दोनों प्रतिमाओं को प्रशस्तिपूर्वक पूर्ण विधि से एकसाथ छतरी में विराजमान करवाया गया। विराजमान करने से पूर्व वेदीप्रतिष्ठा की गई। साथ-साथ यागमंडल विधान व विश्व-शांति-हवन भी किया गया। लगभग साढ़े तीन फीट की पद्मासन दोनों प्रतिमाओं को सांगानेर-जयपुर के श्री पदमचंदजी सुकेश इंडस्ट्रीज सपरिवार ने अपने पिता स्मृतिशेष श्री बाबूलाल- श्रीमती रामदुलारी जैन की स्मृति में प्रतिष्ठा करवाकर विराजमान करवाया। इस प्रतिष्ठा महोत्सव में पात्र थे- यज्ञनायक- श्री पदमचंद जैन सपत्नीक, सौधर्म इंद्र-श्री ज्ञानचन्द जैन मुबई, इसी तरह आगे के इन्द्र क्रमशः- श्री नेमिचंद जैन, श्री मानमल जी बड़जात्या-मुंबई, सुकेश जैन, राहुल जैन, मयूर जैन अशोक जैन, राजकुमार जैन बड़जात्या रूपनगढ़, भागचंद जैन, श्री अभयकुमार जैन इहमदाबाद सभी सपरिवार। प्रतिमा स्थापना के बाद पुण्यार्जक श्री पदमचंद जी जैन द्वारा कलशारोहण हुआ। इन कार्यक्रमों से पहले आचार्यश्री ससंघ के सान्निध्य में समवशरण मंदिर एवं मानस्तंभ के सामने श्री ज्ञानचंद जी श्री पदमचंद जी आदि के द्वारा ध्वजारोहण किया गया। सम्पूर्ण पूजाविधि डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’ ने सम्पन्न करवायी।
-ब्र. सुमत भैया, गिरनार
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