Home›देश›आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से चल रहे हथकरघा प्रकल्प में हजारों कैदी और नक्सल पीड़ित हो रहे हैं लाभान्वित-:बाल ब्रह्मचारी श्री सुनील भैया जी
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से चल रहे हथकरघा प्रकल्प में हजारों कैदी और नक्सल पीड़ित हो रहे हैं लाभान्वित-:बाल ब्रह्मचारी श्री सुनील भैया जी
इंदौर:- सक्रिय सम्यक दर्शन सहकार संघ की स्थापना आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के मंगल आशीर्वाद से हथकरघा व हस्तशिल्प के विकास के लिए बाल ब्रह्मचारी श्री सुनील भैया ने अपने चार अन्य संघस्थ ब्रह्मचारी भाइयो के साथ मानव सेवा के लिए की है।
इस संस्था के माध्यम से छत्तीसगढ़ में एवं देश की तिहाड़ जेल समेत कई जेलो में हथकरघा केंद्र, भारतीय परंपरा को जीवित रखने एवं जरूरतमंद लोगों को रोजगार देने की भावना से चलाए जा रहे हैं।
दिनांक 13 फरवरी को छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के नारी ग्राम में हथकरघा हस्तशिल्प एवं अम्बर चरखा भवन का भव्य शिलान्यास संपन्न हुआ है।
इस सेंटर के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार प्रदान किए जाने की व्यवस्था की गई है।
यह सेंटर समाज द्वारा खरीदी गई 5 एकड़ भूमि पर संचालित किया जायेगा इसमें 10-10 हजार वर्ग फुट के तीन मंजिला, 4 भवन तैयार किए जाना है ।
हजारों लोगों को इस प्रकल्प से रोजगार मिलेगा।
अभी एक भवन बनकर तैयार हुआ है जिसमें करीब 1000 लोग प्रतिदिन कार्य कर रहे हैं।
इन सेंटरों में जो लोग काम करेंगे वह कम से कम ₹300 प्रतिदिन एवं अधिकतम ₹3000 प्रतिदिन तक अपने कार्य की गुणवत्ता के आधार पर आय अर्जित कर सकेंगे।
यहां कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को दोनों समय का भोजन निशुल्क समाज द्वारा प्रदान किया जाता है।
यहां पुरुष- महिला और 18 से 20 साल की सैकड़ों बच्चियां कार्य करती हैं।
संस्था के प्रमुख बाल ब्रह्मचारी श्री सुनील भैया जी ने छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थापित इस सेंटर के बारे में बताते हुए बताया कि आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण यहां हथकरघा बुनकरों की तादाद बहुत ज्यादा है आधुनिकता के वशीभूत हथकरघा के प्रति लोगों का रुझान कम होने से यहां के हजारों बुनकर बेरोजगार हो गए थे एवं बंदूक उठाकर नक्सलवाद की ओर बढ़ चले थे।
बुनकर समाज के कुछ समाजसेवियों को आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के हथकरघा को लेकर किए जाने वाले कार्यों की जब जानकारी मिली तो उन्होंने अपने प्रतिनिधि के रूप में श्री पुरुषोत्तम और इमरान को आचार्य श्री से मिलने भेजा।
जिन्होंने आचार्य श्री के समक्ष आजीवन मांसाहार और शराब त्याग करने का संकल्प लिया।
आचार्य श्री को वहां की विकट परिस्थितियों में जीवन यापन कर रहे लोगों की जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत ही अपने संघस्थ ब्रह्मचारी भाइयों और समाज जनों को वहां भेज कर नारी ग्राम में बंद पड़ी 40 हथकरघा मशीनों को चालू करवाने हेतु प्रेरित किया इससे करीब 80 लोगों को रोजगार मिला।
इसको देखकर हजारों हजारों लोग प्रतिदिन उन सेंटरों पर आकर रोजगार मांगने लगे। लोगों की भलाई के उद्देश्य के लिए चार जगह और इस तरह के प्रयास किए गए जो सफलता पूर्वक चल रहे हैं।
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जेलों में हथकरघा केंद्र
जेलों में जो कैदी हथकरघा केंद्रों में काम करते हैं उनके व्यवहार और आचरण में सकारात्मक परिवर्तन को देखते हुए देश भर की कई जेलों के अधीक्षकों ने अपनी-अपनी जेलों में हथकरघा केंद्र स्थापित करने हेतु निवेदन किया है।
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सागर जेल में सर्वप्रथम 2 वर्ष पहले हथकरघा केंद्र की स्थापना की गई आज इसमें करीब 125 कैदी काम कर रहे हैं एक कैदी कम से कम ₹300 और अधिकतम ₹900 तक अपनी मेहनत के हिसाब से पाता है इससे वह अपने परिवार को सजा काटते हुए भी व्यवस्थित रख पा रहा है।
आज सागर जेल में जितनी भी दरिया/ फर्श कैदियों द्वारा बनाए जाते हैं वह सभी एक्सपोर्ट किए जाते हैं।
बनारस जेल में भी 9 अत्याधुनिक हथकरघा मशीन लगाई गई हैं जिनसे उच्च क्वालिटी की बनारसी साड़ियां बन रही हैं। जो देश के प्रतिष्ठित व अभिजात्य वर्ग की पहली पसंद बनी हुई हैं।
तिहाड़ जेल दिल्ली के नंबर 1 शाखा में आचार्य श्री द्वारा प्रेरित हथकरघा केंद्र का शुभारंभ किया गया तो वहां उपलब्ध 2200 कैदियों ने एक साथ गीता और विद्यासागर महाराज के चित्र के सामने शपथ ली कि वे जब तक जीवित रहेंगे तब तक मांसाहार और शराब का सेवन नहीं करेंगे व ताउम्र शाकाहारी रहेंगे।
इस अवसर पर वहाँ उपस्थित समाज के सैकड़ों लोग एवं दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन कैदियों की भावना देखकर भाव भिवोर हो उठे थे।
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आज तिहाड़ जेल की 16 शाखाओं में से 5 शाखाओं में इस तरह के हथकरघा केंद्र चल रहे हैं एवं हजारों कैदी इससे रोजगार पा रहे हैं।
जगदलपुर जेल में भी कैदियों के लिए हथकरघा केंद्र की स्थापना हुई है।
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शिवपुरी, टीकमगढ़ एवं पुणे (महा) की जेलों में मार्च महीने में हथकरघा केंद्रों की स्थापना कर दी जाएगी।
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हथकरघा केंद्रों के कारण कैदियों में सकारात्मक परिवर्तन को देखते हुए हरियाणा राज्य की 6 जेलो में भी जेल अधीक्षक और कैदी हथकरघा केंद्र लगवाने हेतु आचार्य श्री से निवेदन कर रहे हैं अभी वहां आचार्य श्री की फोटो लगा ली गई है और प्रतिदिन वहां के कैदी उस फोटो के समक्ष प्रार्थना करते हैं।
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जेलों में लगने वाले हथकरघा केंद्रों का संपूर्ण खर्च समाज करता है वहन।
जेलों में कैदियों के लिए हथकरघा मशीनें व कच्चा माल संस्था द्वारा प्रदान किया जाता है एवं उनके द्वारा तैयार माल भी संस्था उनसे लेती है इसके बाद में उनको पारिश्रमिक प्रदान किया जाता है।
अभी इन जगहो पर जैन मंदिरों में पहने जाने वाली धोती-दुपट्टा और साड़ी का उत्पादन किया जाता है। जिनकी डिमांड निरंतर बढ़ती जा रही है।
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पारिश्रमिक प्रदान करने के लिए खुलवाया जाता है परिवार के साथ कैदी का संयुक्त बैंक खाता।
जेलों में कैदी हथकरघा का काम करके जो आय अर्जित करते हैं वह उनके बैंक खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया जाता है जिससे उनके परिवार उस राशि का उपयोग अपने परिवार के जीवन यापन व बेहतरी के लिए करते हैं।
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जैन समाज के ऐसे आचार्य हैं जिन्होंने दिगंबर अवस्था में रहते हुए व संयम की कठिन साधना करते हुए भारतीय समाज की दिशा और दशा में सकारात्मक परिवर्तन किया है।
उनके आशीर्वाद पाने वाले भक्तों की भीड़ में राजनीतिक, व्यावसाहिक व सामाजिक शिखरों पर प्रतिष्ठित व्यक्तियों की बहुत बड़ी तादाद है। जो उनकी त्याग और तपस्या से प्रभावित हैं।
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छत्तीसगढ़ के विधायक द्वारा हथकरघा केंद्रों के लिए सरकारी जमीन उपलब्ध कराने के आग्रह को समाज द्वारा अस्वीकार किए जाने पर उनकी प्रतिक्रिया थी कि “सभी लोग हमारे पास मांगने आते हैं आचार्य विद्यासागर महाराज के भक्त कुछ ऐसे हैं जो हमसे लेने नहीं, हमको देने आए हैं।”