नाम के लिए नहीं महान के लिए करें दान -पी.एम.जैन “दिल्ली”
👉यह है “विधि का विधान”1रूपया या101से लेकर लाखों का करें दान और बनें महान!🙏
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नई दिल्ली -: आज की दुनिया में अधिकाँश तौर पर देखने को मिलता है कि दुनिया के कुछ व्यक्ति दान केवल अपने नाम के लिए करते हैं लेकिन हमें दान देते वक्त यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हम दान स्वयं के नाम के लिए दे रहे हैं या महान बनने की प्रक्रिया में सम्मिलित होने के लिए दान दे रहे हैं| दान देने के संदर्भ में विधि का विधान बहुत ही सूक्ष्मता से दर्शाता है कि 👉”दान देते वक्त दातार के एक हाथ से दूसरे हाथ को भी पता नहीं लगना चाहिए कि किस हाथ की मुठ्ठी ने दान दिया है|” लेकिन मान्यवर आज का प्रचलन कुछ और ही है जोकि सर्वविदित है|

👉आज के पंचमकालिया दौर में जैसे हम कन्यादान के उपरांत कन्या की सुद-खबर रखते हैं उसी भाँति दान कैसा भी हो लेकिन दान दातार को दृश्य-अदृश्य रूप से उस पर अपनी दृष्टि बनाये रखनी चाहिए|
👉लेख के माध्यम से मैं अल्पज्ञ समाज को जाग्रत करना चाहता हूँ कि दुनिया में एक ही ग्राम-कस्बा या कॉलोनी इत्यादि में चंद दूरी के दायरे में ही कई-कई नवनिर्मित मठ-मंदिरों का निर्माण किया जाता है जोकि सामाजिक आपसी फूट या एक ही धर्म में अनेक मतों को दर्शाता है|
👉मैंने देखा है और आपने भी देखा होगा कि महान से महान भगवंतों के मंदिर निर्माण के दौरान कुछ दान दातारों के नाम की बड़ी -बड़ी पटशिला व्यक्तिगत रूप से मंदिर जी के मुख्य द्वार या आजू-बाजूओं पर चिपका दी जाती हैं! मान्यवर ऐसे दान को नाम-दान से जोड़ेंगे या फिर महान से महान भगवंतों के साथ सम्मिलित होकर महान बनने की प्रक्रिया से जोड़ेंगे?. निर्णय आपका!!

🙏सर्वसमाज से निवेदन है कि ऐसी प्राचीन जैनधर्म की धरोहर के जीर्णोध्दार में सहयोग करके पुण्यार्जन अवश्य करें| सम्पर्क करें👉युवाध्यक्ष गौरव जैन (निक्की भाई कामाँ) मो. नं. 9166790970
नोट👉वीडियो अवश्य देखें और शेयर करके अनुमोदना पुण्य के भागीदार भी बनें👇👇👇👇👇👇👇