प.पू. सराकोद्धारक आचार्यश्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज (ससंघ) का कोटा नगरी में अल्प प्रवास अविस्मरणीय रहा👉पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार “कोटा” (राज)
कोटा(राज)-:परम् पूज्य सराकोद्धारक आचार्यश्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज मुनि 108 ज्ञेय सागर जी महाराज (ससंघ)* *का चर्मण्यवती के पावन तट पर स्थित धर्मप्राण एवं शिक्षण नगरी कोटा के उप नगरों में अल्प प्रवास रहा ।परन्तु इस अल्प प्रवास में भी गुरुदेब ने जो कोटा वालो को दिया वो किसी अमूल्य निधि से कम नही है । सर्व प्रथम कोटा केंद्रीय कारागृह में मंगल पप्रवचन उदबोधन हुवे उसके बाद उन्होंने समस्त सी. ए. , वकीलों , प्रोफेसरों , बैंकर्स, के सेमिनार लेकर अपना दिव्य मार्गदर्शन सबको दिया। में तो यह मानता हूँ कि गुरुदेव दिगम्बर जैन समाज के परम पूज्य आचार्य 108 श्री विद्यानदं जी महाराज जो अब नही है उनकी कमी को पूरा
कर रहे है।
गुरुदेब वात्सल्य तप त्याग संयम और साधना की साक्षात मूर्ति ही है। हालांकि इस अल्प प्रवास से कोटा के भक्तों का मन नही भरा । सभी की ऐसी मंगल भावना है कि एक बार पुनः कोटा पधारे ।कोटा की धरती पर उनका मंगल चातुर्मास हो वह दिन जरूर आये। जब गुरुदेव एक हाथ मे मयूर पिच्छीका उठाते है ओर सबको मंगल आशीष देते है तो सभी भक्तों का मन गद गद हो भाव विभोर हो जाता है। मुझे भी गुरुदेव के समक्ष मंगलाचरण करने का सुअवसर मिला उनको जैन गजट पत्रिका भेट की । उनका खूब आशीष मिला। ह्रदय उनके प्रति नत सभी का मस्तक हो गया।*अविस्मरणीय झलकियां*चरणों मे कोटिशः नमन*वन्दन*
*पारस जैन*”पार्श्वमणि”पत्रकार कोटा*
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