प.पू. सराकोद्धारक आचार्यश्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज (ससंघ) का कोटा नगरी में अल्प प्रवास अविस्मरणीय रहा👉पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार “कोटा” (राज)


कर रहे है।

गुरुदेब वात्सल्य तप त्याग संयम और साधना की साक्षात मूर्ति ही है। हालांकि इस अल्प प्रवास से कोटा के भक्तों का मन नही भरा । सभी की ऐसी मंगल भावना है कि एक बार पुनः कोटा पधारे ।कोटा की धरती पर उनका मंगल चातुर्मास हो वह दिन जरूर आये। जब गुरुदेव एक हाथ मे मयूर पिच्छीका उठाते है ओर सबको मंगल आशीष देते है तो सभी भक्तों का मन गद गद हो भाव विभोर हो जाता है। मुझे भी गुरुदेव के समक्ष मंगलाचरण करने का सुअवसर मिला उनको जैन गजट पत्रिका भेट की । उनका खूब आशीष मिला। ह्रदय उनके प्रति नत सभी का मस्तक हो गया।*अविस्मरणीय झलकियां*चरणों मे कोटिशः नमन*वन्दन*
*पारस जैन*”पार्श्वमणि”पत्रकार कोटा*
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