इंदौर :- जीव दया के जीवंत प्रतीक,करुणा के सागर,विश्व वंदनीय, अपराजेय साधक
संत शिरोमणि दिगंबर आचार्य 108 श्री विद्यासागर महाराज के भारत की प्राचीन बहुमूल्य परंपरा को जीवंत बनाए रखने के प्रयास का प्रतिफल संपूर्ण विश्व को आज हथकरघा के रूप में प्राप्त हो रहा है।
आज हजारों युवा, बुनकर भाई-बहन, तिहाड़ जेल व अन्य जेलो के बंदी, छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हजारों प्रभावित लोग अपने स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए आचार्य श्री द्वारा प्रेरित इस प्रकल्प से जुड़कर कार्य कर रहे हैं।
भारत राष्ट्र जब कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है तब इन जवानों ने इससे बचने के लिए मास्क बनाना शुरु कर दिए हैं जो इंदौर में कई दिगंबर जैन मंदिर ऊपर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
आचार्य श्री संघ के ब्रह्मचारी श्री सुनील भैया एवं संजीव जैन संजीवनी ने बताया कि यह अहिंसक मास्क समाज के लोग अपने आसपास निशुल्क वितरण कर इस महामारी से आम जनता को जागरूक भी कर रहे हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बाद हथकरघा का पावन और अहिंसक कार्य को आचार्य श्री विद्यासागर महाराज अपने संघस्थ ब्रह्मचारी भाइयों एवं बहनों के द्वारा देश के जन-जन तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।
सक्रिय सम्यक दर्शन सहकार संघ के प्रमुख ब्रह्मचारी सुनील भैया इस कार्य के पुरोधा बनकर आचार्य श्री का स्वप्न साकार करने का जो प्रयास कर रहे हैं वह युगो युगो तक अविस्मरणीय रहेगा।
छत्तीसगढ़ के नक्सली प्रभावित क्षेत्रों, देश की तिहाड़ जेल व अन्य जेलों में
आचार्य श्री के मंगल आशीर्वाद से “सक्रिय सम्यक दर्शन सहकार केंद्र” के अंतर्गत भारत-पातका हथकरघा केंद्र के माध्यम से *”अपनापन साड़ी”* व अन्य अहिंसक वस्त्र निरंतर बनाए जा रहे हैं।
हथकरघा के इस प्रकल्प से जेल में बंदी अपराधियों को जीव दया की प्रेरणा मिली और वह अपने परिवार का लालन पोषण जेल में बंद होते हुए भी कर पा रहे हैं।
इसके लिए संस्था परिवार एवं बंदी के नाम एक जॉइंट खाता बैंक में खुलवाती है। बंदी हथकरघा केंद्र में जो भी कार्य कर राशि कमाते हैं वह ऑनलाइन उस जॉइंट खाते में जमा कर दी जाती है, जिससे उनके परिवार के सदस्य अपने बच्चों की शिक्षा व स्वास्थ्य पर खर्च कर सके।