नई दिल्ली- विश्व में कोरोना जैसी अनेकों बीमारियाँ आती रही हैं और समयानुसार उनका निदान भी हुआ है लेकिन इंसान से इंसान में फैलने वाली कोरोना महामारी तब तक ही पैर पसार रही है जब तक इंसान द्वारा ही, रामबाण औषधि का निर्माण नहीं हो पा रहा है| आयुर्वेद कहता है कि दवा से पहले परहेज महत्वपूर्ण होता है अगर आज हम परहेज के साथ अपनी जीवन यात्रा करेंगे तो बीमार होने की संभावना बहुत ही कम उत्पन्न होगी लेकिन कहते हैं कि “सोते हुए को जगाना आसान है किन्तु जागते हुए को जगाना कठिन कार्य है!” संसार में यह कहावत सदियों से प्रचलित है| कोरोना के दौरान भारत सरकार भी जनता को जगाते हुए जनहित में जारी निर्देशों का दृढ़ता और धैर्य के साथ पालन करने की बार-बार अपील कर रही है! लेकिन कुछ भारतीयों द्वारा सरकार के निर्देशित निर्देशों का पालन करने में विलम्ब करना जनहित, राष्ट्रहित और राष्ट्रधर्म को नहीं दर्शाता है जोकि दुखद है| ज्योतिष शास्त्र भी कहता है कि ग्रहचक्र की चाल के अनुसार ही समयचक्र में परिवर्तन आता है|
👉आज कई सदियों और दशकों उपराँत वह समय आ चुका है जिसके अन्तर्गत हमें अपनी दिनचर्या और जीवन शैली में परिवर्तन करना ही पडे़गा और भारतीय ऋषि-मुनियों की प्राचीनतम पद्धति को पुन: अपनाना होगा|
👉आधुनिकयुग की अधिक चकाचौंध से परहेज करना होगा! शादी-विवाह, अधिक भीड़भाड़ वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट और धार्मिक या अन्य कार्यक्रमों से बचना होगा! रहन-सहन व खान-पान में शुद्धता के साथ खाद्य वस्तुओं को मौसम के अनुसार समय मर्यादा(अवधि) तक प्रयोग करना चाहिए और दिन-रात की समय सीमा पर भी विशेष ध्यान केन्द्रित करना होगा! खाद्य पदार्थ के अन्तर्गत भक्ष्य,अभक्ष्य सम्बन्धित जानकारी पदार्थ की समय सीमा(मर्यादा) सहित जैन धर्म के ग्रंथों में सदियों से वर्णित है जिसे समस्त विश्व के नागरिकों को अपनाना हितकारी सिद्ध होगा|
👉लॉकडाउन के दौरान कोरोना के संकटकाल में हमें वही प्राचीन भारतीय ऋषि-मुनियों की पद्धति, जिसमें सूर्योदय से पूर्व उठना, माता-पिता, गुरू और अपने से ज्येष्ठ आदि को नमन करना, समय पर नित्यकर्म(शौच, दन्त मंजन, स्नान आदि) करके प्रभु स्मरण करना खाने-पीने से पूर्व पुन: हाथ-पैरों को अच्छी तरह धोकर, जमीन या लकड़ी के पट्टा पर बैठकर सुखासन में शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करना आदि शामिल हैं| ध्यान रखना👉 कुछ दशकों पूर्व लगभग समस्त मानवजाति जब अपने काम से वापिस अपने घर में प्रवेश करती थी तब सर्वप्रथम अपने हाथ-पैर-मुँह धोकर और कुल्ला करके ही अपने परिजनों से मिलती-जुलती थी लेकिन वर्तमान में कुछ अति अधुनिकतावादी लोग जूते-चप्पलों को रसोई घर में घसीट रहे हैं! सार्वजनिक जगहों पर थूक रहे हैं! भोजन और मूत्र विसर्जन के लिए जानवरों की पद्धति अपना रहे हैं| संक्षिप्त में कहूँ तो आज मानवजाति को उठना-बैठना, सोना इत्यादि के साथ-साथ व्यवहारिक धर्म में हाथ जोड़कर प्रणाम करने आदि की सही आदत डालना ही लॉकडाउन की सफलता के साथ-साथ आगामी निरोगी और सुखद जीवन के लिए सुखद परिणाम के संकेत हैं|
👉प्राकृतिक आपदा हो या कोरोना जैसी महामारी, हमें चुनौतियों से घबराना नहीं चाहिए बल्कि अपनी सूझबूझ(विवेकता) से उसका मुकाबला करने हेतु निदान खोजना चाहिए और पुन: संकटकाल उत्पन्न न हो इसके लिए सरकार सहित समस्त जनता को रणनीति बनानी चाहिए|👉गलती हम करें और दोष प्रकृति(भगवान) को दें यह उचित नहीं है|
👉आज इंटरनेट की दुनिया में मुझे लगता है कि “अभिमन्यु की भाँति आज का नवजात शिशु भी अपनी गर्भावस्था में ही मोबाईल चलाना सीख लेता है!” वर्तमान में शिशुओं और नवयुवक पीढ़ी को मोबाईल व टी.वी आदि पर उटपटांग वीडियो गेम और उटपटांग टी.वी सीरियल की जरूरत नहीं है बल्कि शारीरिक तौर पर खेले जाने वाले गेम ,योगा और संस्कारित करने वाले टी.वी सीरियल, नैतिकशिक्षा, स्वच्छता अभियान इत्यादि की विशेष आवश्यकता है!
👉देश सहित विदेशी सरकारों से मैं अपील करता हूँ कि प्रकृति(पर्यावरण) के साथ-साथ जीवमात्र के निरोगी जीवन हेतु देश दुनिया में 1 माह में कुछ समय की अवधि तक अधिक प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों और अनावश्यक वाहनों को बंद रखने पर विचार करना चाहिए क्योंकि प्रकृति की रोग प्रतिरोधक क्षमता(इम्युनिटी) बढे़गी तो पृथ्वी पर भी समस्त जीवमात्र में रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वत: ही पैदा होगी|
👉आज कोरोना वैश्विक महामारी के इस संकटकालीन दौर में नवग्रह श्रृंखला के तहत ज्योतिष शास्त्र में न्यायाधीश, दण्ड़ाधिकारी की पदवी से विभूषित शनिग्रह को कुछ महत्व दे रहा हूँ 👉24 जनवरी 2020 से शनि ग्रह आगामी ढ़ाईवर्ष तक वक्री-मार्गी होते हुए “पृथ्वीतत्व” स्वराशि मकर में ही भ्रमणशील रहेंगे जिसके चलते👉”जाग जाओ” और “दाल रोटी खाओ और प्रभु के गुण गाओ” ही नहीं बल्कि उनके गुणों को अपने जीवन काल में अपनाओ भी क्योंकि इधर राहू 23 सितम्बर 2020 को संसारिक सुख-साधन देने वाले शुक्रग्रह की स्वराशि वृषभ में डेढ़ वर्ष के लिए और उधर केतु, भूमि स्वामी मंगल ग्रह की राशि वृश्चिक में डेढ़ वर्ष के लिए भम्रणशील रहेंगे जोकि किसी प्राकृतिक आपदा को न्यौता दे सकते हैं साथ ही सुखद बात यह भी है कि राहू-केतु का राशि परिवर्तन कोरोना महामारी हेतु चिकित्सकों को जनहित में औषधि भी प्राप्त कराऐगी|
👉देश दुनिया की मानवजाति को अहंकार इत्यादि जैसी अनेकों अनैतिक विकृतियों का त्याग करते हुए महान से महान भारतीय ऋषि-मुनियों और भगवंतों जैसी महानात्माओं के अतिरिक्त वर्तमान के महापुरूषों द्वारा निर्धारित जीवनचर्या- दिनचर्या का अनुसरण करना ही चाहिए साथ ही साथ प्रकृति हो या अन्य जीवमात्र हो उनके प्रति भी “भगवान महावीर स्वामी द्वारा जनहित में दिया गया “जीओ और जीने दो” का संदेश नि:संकोच अपनाना चाहिए|”👉21 वीं सदी के वात्सल्यमूर्ति जैनाचार्य 108 श्री ज्ञानभूषण जी महाराज”रत्नाकर”
संकलन👉 वाणी प्रखर क्षुल्लिका 105 श्री ज्ञानगंगा माता जी