नई दिल्ली-: यह चंद्रग्रहण भारत के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में भी दिखाई देगा! भारत में यह ग्रहण अपनेे निर्धारित समय रात 11 बजकर 20 मिनट से 2 बजकर 34 मिनट तक दिखाई देगा लेकिन उपछाया ग्रहण होने के कारण👉वैष्णव परम्परा में किसी भी तरह के धार्मिक कार्य नहीं रोके जाऐंगे! इस उपछायिक चंद्रग्रहण की कुल अवधि लगभग तीन घंटे रहेगी| ग्रहण काल में चंद्रमा कहीं से कटा हुआ नहीं होगा बल्कि अपने पूरे आकार में नजर आयेगा|
👉यह चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा! शास्त्रों में उपछाया चंद्रग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता है इसलिए इस दिन कोई भी कार्य करने पर प्रतिबंध नहीं होगा! इस ग्रहण काल में चंद्रमा वृश्चिक राशि में ज्येष्ठ नक्षत्र में लगने वाला है|वृश्चिक राशि के लोगों को चंद्रग्रहण के समय सावधानी बरतने की जरूरत है भयभीत होने की नहीं है|
👉आजकल सोशल मीडिया पर माह में 3 ग्रहण की चर्चा जोर-शोर से चल रही है! जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रग्रहण पूर्णिमा को लगता है और सूर्यग्रहण अमावस्या के दिन होता है तो इस बार 5 जून और 5 जुलाई के दिन पूर्णिमा(5 जुलाई गुरूपूर्णिमा)है और 21जून के दिन अमावस्या है जिसमें सूर्यग्रहण लगेगा|👉निष्कर्ष पूर्णिमा से पूर्णिमा 2 उपछाया चन्द्रग्रहण और एक अमावस्या का सूर्यग्रहण कुल मिलाकर 3 ग्रहण होंगे|
क्या होता है उपछाया ग्रहण?
5 जून को उपछाया चंद्रग्रहण है!चंद्रग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किये बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं| चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण चंद्रग्रहण माना जाता है! उपछाया ग्रहण को वास्तविक चंद्रग्रहण नहीं माना जाता है| ज्योतिष शास्त्र में भी उपछाया को ग्रहण का दर्जा नहीं दिया गया है|