जीव ग्रह बृहस्पति धनु राशि में वक्री शुभाशुभ योग-बाबूलाल शास्त्री”टोक राज.”
टोंक। देव गुरु बृहस्पति जो जीव कारक ग्रह है 30 जून को सुबह 5.21 बजे मकर राशि से वक्री होकर धनु राशि में उतराषाढ़ा के प्रथम चरण में प्रवेश करेंगे, राशि स्वामी बृहस्पति एवं नक्षत्र स्वामी सूर्य है, जो 19 सितम्बर को शाम 5.39 बजे पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र स्वामी शुक्र में मार्गी होगें। चंद्र देव चित्रा नक्षत्र तुला राशि, नक्षत्र स्वामी मंगल राशि स्वामी शुक्र भ्रमण कर रहे हैं, गुरु जीव प्राणी का कारक है, राहू केतु संक्रमण विषाणु, जनित रोग छिपी हुई बीमारियों के कारक माने गए हैं, गुरु के साथ राहू या केतु की युति होने से यह रोग होते हैं। मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के निदेशक बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि 20 सितम्बर तक केतु मूल नक्षत्र धनु राशि में रहेगें, राहू आद्रा नक्षत्र में जो फेफड़े, सर्दी, जुकाम एवं निमोनिया का कारक है भृमण करेंगे । वक्री गुरु के साथ-साथ बुध शनि भी वक्री होने से इनका दूषित प्रभाव पड़ेगा। अत: कोरोना वायरस के उपायों के साथ-साथ इन ग्रहों का निवारण एवं शांति करना आवश्यक होगा। भारत की वृष लग्न कुंडली में शुक्र देव स्व राशि के बैठे है, जो देश एवं देशवासियों को सुरक्षा एवं संकट से मुक्त कराने में सक्षम है जो सहायक होगें । बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि देव गुरु बृहस्पति वक्री होकर धनु राशि में भ्रमण करने का मेष, वृष, सिंह, कन्या, मीन, राशि के लिए शुभाशुभ फल, कर्क, वृश्चिक, मकर, कुम्भ के लिए सामान्य फल, मिथुन, तुला, धनु, राशि वालों को न्यूनतम फल मिलेगें। देश व राष्ट्र के हित में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए पूजा अनुष्ठान दान आदि करना चाहिए, जिससे अनिष्ठ फलों में कमी आयेगी।