गुढ़ा, महरौनी। ऑनलाइन प्रवचन के माध्यम से पूज्य जनसंत विरंजन सागर जी महाराज ने कहा कि मिलकर बैठो और बांट कर खाओ, यही सच्चा मानव धर्म है। जो अकेला खाता है, वह पापी है तथा जो बांटकर खाता है वह धर्मात्मा है। जैसे बादल की धन्यता बरसने में है, पुष्प की धन्यता सुगंध में है, सूर्य की धन्यता प्रकाश फैलाने में है। उसी प्रकार मनुष्य की धन्यता जो उसके पास है, उसे बांट देने में है। जो भाग्यवान है, वह बांटता है और बांटने से ही मनुष्य भाग्यवान बनता है। इस जीवन में जो तुम्हारे पास है, उसे बांटने में लगा दो और इस अवसर का लाभ उठाओ चाहे वह धन हो या प्रेम हो, बांटने में कंजूसी मत करो। उसे अपने हाथ से बांटो ताकि दान का श्रेय आपके उत्तराधिकारी को नहीं, आपको मिल सके। पुण्य के उदय से प्राप्त शक्तियों को जो बांटता है, वह सदा नदी की तरह मधुर बना रहता है और संग्रह करने वाला समुद्र की तरह कटुता का पात्र बन जाता है। अंशुल भैया संघस्थ व डॉ सुनील संचय ने बताया कि प्रतिदिन यह ऑनलाइन मंगल प्रवचन जनसंत वाणी यू ट्यूब चैनल के माध्यम से होते हैं, जिससे श्रद्धालु घर बैठे लाभ लेते हैं!-डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर