धूप दशमी के अवसर पर समाज जन करेंगे समस्त मंदिरों के टीवी के माध्यम से इंदौर के मंदिरों के लाइव दर्शन।
“इंदौर :- दिगंबर जैन युवा प्रकोष्ठ धूप दशमी (28 अगस्त) के अवसर पर समाज जनों को घर बैठे इंदौर के समस्त मंदिरों के दर्शन पारस चैनल के माध्यम से कराएगा।
दिनांक 28 अगस्त को दोपहर 2:00 बजे से पारस चैनल के माध्यम से समस्त समाज जन इसका प्रसारण पारस टीवी चैनल पर देख सकते हैं।
इस बारे में बताते हुए युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रिंसिपल टोंग्या, नवीन गोधा एवं दिगंबर जैन सामाजिक संसद के अध्यक्ष श्री राजकुमार पाटोदी ने बताया कि महामारी के चलते समाज जन इंदौर की परंपरा अनुसार प्रत्येक मंदिर में दर्शन करने नहीं जा सकते हैं इसलिए इंदौर एवं समस्त विश्व को इंदौर के जैन मंदिरों के दर्शन करवाने के लिए व्यवस्था की गई है।
दिगंबर जैन सामाजिक संसद के परम संरक्षक श्री प्रदीप सिंह कासलीवाल की प्रेरणा से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
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बुधवार को 26 अगस्त को पर्यूषण पर्व का चौथा दिन उत्तम शौच धर्म का
मन की निर्मलता के लिए बनावटीपन छोड़ो” आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज
मन से क्रोध, लोभ्,अहंकार और ईष्या भाव नहीं गए तो मन में निर्मलता नहीं हो सकती है। आपकी सोच यदि शौच(शुद्ध) नहीं है तो तीर्थों पर जाने और नदी के तट पर नहाने से शुद्धता नहीं आएगी। तुम्हारी शुद्धता चैतन्य के घाट पर होगी।
तीर्थ बंदना कर लो या ढेर सारे तीर्थ बना दो पर स्वयं कभी तीर्थ नहीं बन पाओगे।
आंतरिक शुद्धता के लिए असहजता और बनावटीपन का कोई स्थान नहीं है।
आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज ने ऑनलाइन श्रद्धालु और शिविरार्थियों को पर्युषण पर्व के चौथे दिन “उत्तम शौच धर्म” पर संबोधित करते हुए कहा
दिगंबर जैन समाज के संजीव जैन संजीवनी ने बताया कि आचार्य श्री विशुद्ध सागर महाराज अभी भगवान महावीर की जन्मस्थली वासोकुंड, वैशाली, पटना (बिहार) में चातुर्मास कर रहे हैं
जिसका ज्ञान और चारित्र निर्मल है वह शौच धर्म में लीन है।
आज संपूर्ण विश्व दिगंबर साधु को शुद्ध सात्विक चारित्र के प्रतीक के रूप में देख रहा है। दिगंबर साधु के नाम पर मठ और डेरे नहीं बनाए जाते। यह एकमात्र संस्कृति है जो मठ शून्य है।
जैन समाज वह समाज है जिसने महाराणा प्रताप को अपने डूबते राज्य को बचाने के लिए दान दिया था।
सबसे ज्यादा टैक्स देने वाली और टैक्स देने को धर्म और टैक्स चुराने को चोरी मानने वाली जैन समाज ही है।
युवाओं अपने विचारों को, अपनी सोच को पवित्र कर लो। जैसे विचार होते हैं वैसा चिंतन होता है। जब चिंतन बदलता है तो चित्त बदलता है इससे चरित्र की शुद्धि बनती है।
भारत सरकार लोगों से अपील करती है कि “पानी की बूंद बूंद बचाओ।” जैन दर्शन बताता है कि पानी की एक बूंद में असंख्य जीव होते हैं पानी को बिना विवेक उपयोग करोगे तो हिंसा होगी।
तुम्हारे यहां कोई नौकर है तो उसका अपमान कभी मत करना वह भी भगवान आत्मा है परिस्थितिवश वह तुम्हारे यहां नौकरी कर रहा हैं।
अपनी सासू की बिटिया का भी सम्मान करो।
👉संजीव जैन “संजीवनी”