◆ शास्त्रों में हाथी का महत्त्व ◆प्रेषक👉बाबूलाल शास्त्री टोक(राज.)
💐 “गजाननं गजं चैव पूजयेत् प्रतिपत्तये।”
निर्विघ्नता और समृद्धि के लिए गजानन और गज की पूजा करें।
💐 समुद्र से उत्पन्न होने के कारण श्री लक्ष्मी भगवती ऐरावत को बहुत स्नेह करती हैं। उसे अपने कोषागार के पास तथा उपवन में स्थान देती हैं। मङ्गल कलश को हाथी भर कर सिंचन करता रहता है। सभी प्रकार की समृद्धि का सूचक नाग (हाथी) होता है और कोष का रक्षक नाग (सर्प) होता है। नाग का अर्थ हाथी और सर्प दोनों होता है।
💐 श्रीसूक्त में भगवती महालक्ष्मी को “हस्तिनादप्रबोधिनीम्” कहा है अर्थात्
१. गजनिनाद से आगमन को सूचित करने वाली।
२. गजेन्द्र आदि के आर्तनाद से द्रवित होने वाली।
💐 नक्षत्रों में हस्त (हाथी) चार श्रेष्ठों में से एक है। इसमें सभी उत्तम कार्य होते हैं। यह कन्या राशि के भाग में आने के कारण ह्री (लज्जा), श्री, शोभा, गमन और शांति का प्रतीक है।
अतः भारत में मन्द-गमन (परिभ्रमण) के लिए हाथी, तीव्र गमन के लिए हरिणी और स्थिर शुभ गमन के लिए हंसिनी जानी जाती है–बिल्ली गमन (कैट्स वॉक) नहीं।
💐 मनुष्य में जो गुप्त काम प्रवृत्ति होती है वह१४ प्रकार की होती है। उसमें एक गज योनि प्रवृत्ति है। अत्यन्त गुप्त विधिसे, जलके भीतर, गुफामें, नियंत्रित रहकर कामोपभोग हाथी करता है। वैसा ही इस योनि वाला मनुष्य भी करता है। हाथी के शरीर से उत्कट गन्ध निकलता है। छितवन या मदार की तरह उत्कटगन्ध शरत्काल में हाथी के शरीर से निकलता है।इस पर भंवरे मंडराते रहते हैं।
💐 हाथियों की जलक्रीड़ा और वप्रक्रीड़ा शास्त्रों में चर्चित है। इसी कारण कभी कभी मगर और हाथी में युद्ध भी हो जाता है। वप्रक्रीड़ा पर्वत पर चढ़ कर बादलों को फूँक कर उड़ाना और बर्फ को छींटना होता है। यह हाथियों का प्रिय खेल होता है। क्रीड़ा पसंद हैं हाथी।
💐 सृष्टि के आरम्भ में आठ दिशाओं को स्थिर रखने के लिए आठ हाथियों को नियुक्त किया गया। इन्हें अष्ट दिग्गज कहते हैं —१ कुमुद २ ऐरावत ३ पद्म ४ पुष्पदंत ५ वामन ६ सुप्रतीक ७ अंजन और ८ सार्वभौम। ऐरावत के पुत्र का नाम अरिष्ट था। आपको श्रीगज की उपाधि देकर देवासुरसंग्राम में आपके नेतृत्व में युद्ध लड़ा गया था।
💐 मनुष्य के अत्यन्त निकट होता है हाथी। जितनी आयु युगके अनुसार मनुष्य की होती है उतनी ही आयु एक हाथी की भी होती है। इसमें पूर्व जीवन की स्मृति बहुत तीव्र होती है।मनुष्य की तरह ही ये भी दैवी लीला के संचालन में अपनी भूमिका का निर्वाह करते हैं।अहंकारी मनुष्य जो ईश्वर और पूज्य जनों का अपमान करता है वह हाथी के रूपमें जन्म लेता है। विद्या के अहंकार में झूमने वाले भी हाथी होते हैं। जैसे अहंकारियों का वध प्रतापी राजा करता है वैसे ही हाथियों का वध प्रतापी सिंह करता है।हाथी और सिंह की परस्पर नैसर्गिक शत्रुता होती है।
💐 हाथियों के हत्यारे अनेक जीवन तक दरिद्र होते हैं। उन्हें सिंह या मनुष्य से अकाल मृत्यु की प्राप्ति होती है। मनुष्य हाथी का वध लोभ और दुष्टताके कारण करता है।
हाथी दांत और हड्डी से बनने वाले सामान महंगे होते हैं। मनुष्य ही एक ऐसा हत्यारा प्राणी है जो बहुधा निरर्थक प्राणी वध करता रहता है। देवालय, राजा की गजशाला, धनाढ्यों के उपवनों में जिन हाथियों को सम्मान, स्नेह, प्यार मिला करता था वे अब उन्हीं स्थानों पर प्रताड़ित हो रहे हैं।
💐 क्या पाल्य प्रिय हाथी को मोटे लौह जंजीर में बांधना उचित है। उसे समय पर भोजन पानी न देना, टहलाने पर रोक लगा देना अत्याचार नहीं है?केरल में यह खेल अनेक वर्षों से चल रहा है। भारतवर्ष से अश्व और गज धन को तेजी से समाप्त किया गया है। मनुष्य इतना निर्दय हो गया है कि वह अब सब का वध करने लगा है।ऐसे में उसका वध भी मच्छर, चीटियां वायरस करेंगे। पशुओं को मारकर उनके शरीरको सड़ने के लिए छोड़ा जाएगा तो मनुष्य के शव को भी घसीट कर गड्ढे में फेंकने की व्यवस्था प्रकृति करेगी ही। मृत्यु के जितने तरीके हम जानवरों पर अपनाते हैं प्रकृति उतनी ही विधियों को हमारे ऊपर लागू करती है।
💐 वास्तु शास्त्र के अनुसार ईशान कोण में हाथियों की पूजा की जाती है। पंचमी तिथि में इनकी पूजा का विधान है। एक जमाना था जब हाथियों की वृद्धि के लिए विशाल पूजन क्रम आयोजित होता था और आज उन्हें मारा काटा जा रहा है। हाथियों को मन्त्र सुनना बहुत प्रिय है। वे मंदिरों में घण्टा भी बजाते रहे हैं और महोत्सवों में सूंढ से फव्वारा भी करते हैं। अपने स्वामी, महावत, मन्त्रज्ञ और चिकित्सक को हाथी बहुत स्नेह करते हैं।
💐 नंदी और हाथी के कान में मनोरथ कहने से पूरा होता है ऐसी अवधारणा और शास्त्र कथन दोनों ही है—
“करिणं तु समारुह्य वदेत् कर्णे तु कालवित्।” (अग्निपुराण)
💐 हाथी के जंघे पर चढ़ कर उसके अभिवादन में उत्तम भावों, शब्दों को कहने की परम्परा रही है–
“शुभ-गम्भीर-शब्दै: स्याजघनस्थोsभिवादयेत्।”
💐 राजा के द्वारा जिस गजराज की मृत्यु के बाद धूमधाम से अन्त्येष्टि क्रिया सम्पन्न होती थी उसे आज निरर्थक मार कर फेंक दिया जा रहा है। इस स्वतन्त्र देश में शासक वर्ग किसी भी कार्य को उत्तम ढंग से करने को तैयार ही नहीं है। पता नहीं ऐसी निष्क्रियता क्यों छाई है?
💐 हाथियों को २० या १८ नाखून होते हैं।
💐 दाहिना दांत ऊंचा और थोड़ा बड़ा होता है।
💐 हाथियों में सात गुण पाए जाते हैं— वर्ण, बल, रूप, काम, कांति, शरीर और संगठन।
💐 कंधा थपथपवाना हाथी को पसंद है।
💐 सिर पर तेल रखने से हाथी का सिरदर्द कम होता है।
💐 हाथी और अश्व राजदरबार के श्रेष्ठतम पशु माने जाते हैं। हाथी की आवाज गड़गड़ाहट लिए होती है। मेघ के गरजने जैसा। ये झुंड में रहना पसंद करते हैं। इनका लगातार रोना राष्ट्र और राजा के लिए अशुभ होता है।
💐 इनके भोजन के फल, वृक्ष, पत्तियां, औषधियाँ, रसायन आदि अलग अलग होते हैं। मङ्गल कलश रखकर श्रीसूक्त का पाठ इनके सानिध्य में करने से भगवती प्रसन्न होती हैं।
💐 ऐसे मांगलिक पशुओं की निर्मम हत्या करने से देश, समाज और व्यक्ति का विनाश होता है। क्या हम इस देश को असभ्य, क्रूर और हत्यारों की मांग के ऊपर छोड़ देंगे किवे जो चाहे करें। नहीं ! यह पृथ्वी सभीके जीवन के लिये बनी है। केवल मनुष्य ही इस पर रहने का अधिकारी नहीं है। ये सभी की माता है और सभी प्राणियों में जीव तत्त्व है। अतः अश्व, गज, ऊंट, श्वान, नाग आदि सभी की रक्षा होनी चाहिए।👉प्रेषक-बाबूलाल शास्त्री,टोक(राज.)7