{ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण और संवर्द्धन किया जाए विलक्षण कलाकृतियों का गढ़ है नवागढ़}
ललितपुर। महरौनी तहसील के अंतर्गत विश्वविख्यात नवागढ़ जैन तीर्थक्षेत्र क्षेत्र जहां प्राचीन पुरातात्विक संपदा, चंदेल बावड़ी एवं कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध है वहीं हजारों वर्ष प्राचीन शैलचित्रों की संस्कृति एवं रॉक कट इमेज, चरण चिन्ह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनें हुए हैं।
प्रचारमंत्री डॉ सुनील संचय ने बताया कि- प्रागैतिहासिक नवागढ़ अतिशय क्षेत्र जैन धर्म के 18वें तीर्थंकर भगवान अरनाथ स्वामी के अतिशय से संपन्न है। जहां हजारों श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए, संयम साधना की वृद्धि करने के लिए एवं अपने जीवन को मंगलमय बनाने के लिए भगवान की अर्चना पूजा करने आते हैं।नवागढ़ क्षेत्र से 3 किलोमीटर पश्चिम में फाइटोन (फाइवस्टोन) पहाड़ी के निकट जैन पहाड़ी पर कच्छप शिला के आधार एवं छत में अंकित शैल चित्रों की श्रंखला जो चितेरों की चंगेर के नाम से प्रसिद्ध है । इस ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने में क्षेत्र के निर्देशक ब्र. जय निशांत भैया जी नवागढ़ तीर्थक्षेत्र कमेटी के साथ निरंतर प्रयासरत हैं।
बेमिसाल विरासत की खान है नवागढ़ क्षेत्र :
डॉक्टर मारुति नंदन प्रसाद तिवारी एमिरेट्स प्रोफेसर काशी हिंदू विश्व विद्यालय वाराणसी, श्री डॉ गिरिराज कुमार सेक्रेटरी रॉक आर्ट सोसायटी आगरा, यशवंत मलैया कोलोराडो विश्वविद्यालय अमेरिका ने यहां की पुरातात्विक धरोहर को देखते हुए कहा, हमने कई क्षेत्रों पर अन्वेषण किए, जहां जैन मूर्तियां प्राप्त हुई, परंतु नवागढ़ ऐसा विलक्षण क्षेत्र है , जहां जैनमूर्तियां,कलाकृतियां,शैलाश्रय का विशाल भंडार तो है ही यहां की ऐतिहासिकता, पुरा पाषाण कालीन औजार , रॉक कट मार्क, रॉक कट इमेज, शैलचित्र यह बताते हैं कि नवागढ़ केवल धार्मिक क्षेत्र ही नहीं था यहां पुरापाषाण काल 500000 वर्ष पूर्व से संस्कृति के आयाम स्थापित किए गए हैं। इसके विस्तार ,सम्पन्नता, कला वीथिका , विद्या अध्ययन केंद्र गुरुकुल होने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। अन्य क्षेत्रों पर ऐसी पुरातात्विक धरोहर देखने को नहीं मिली। चित्रांकन जो नष्ट हो गए हैं :
इतिहासविद एवं पुरातत्वविद के अनुसार नवागढ़ विद्या अध्ययन ,व्यवसाय एवं राजनीतिक नगर था जहां प्राचीनतम संस्कृति का सद्भाव विशेषण प्राप्त हो रहा है। डॉक्टर मारुति नंदन प्रसाद तिवारी बनारस एवं डॉ एसएस सिन्हा वाराणसी ने बगाज टोरिया पर स्थित चट्टान पर उत्कीर्ण अभिलेख को देखकर कहा यहां कोई विशाल उपासना गृह होना चाहिए जो प्राकृतिक प्रकोप से नष्ट हो गया है। इसी टोरिया के पश्चिम में आचार्य शैलाश्रय को उद्घाटित करते हुए साबू पाहल का अभिलेख ,अंबिका एवं चमर धारणी मूर्ति के साथ और भी कलाकृतियां प्राप्त हुई थी, जिनका साक्षी संपूर्ण ग्राम है ।
डॉक्टर तिवारी ने आचार्य शैलाश्रय का गंभीरता से निरीक्षण करते हुए बताया था कि यहां अत्यंत समृद्ध शाली चित्रांकन रहा होगा। जिसकी कला विशिष्ट रही होगी। वह धरोहर आज रखरखाव के अभाव में नष्ट हो गई है। यह बहुत गंभीरता से विचारनीय है । डॉ यशवंत मलैया कोलोराडो यूनिवर्सिटी अमेरिका, सुरेश जैन आई ए एस भोपाल,श्री जे के जैन कमिश्नर सागर ने ऐसी अमूल्य धरोहर को संरक्षित करने की सलाह दी है।
शैलचित्र नष्ट होने की कगार पर :
डॉक्टर मारुति नंदन प्रसाद तिवारी वाराणसी लखनऊ, डॉ ए पी गौड़ लखनऊ, डॉ एस के दुबे झांसी, डॉक्टर के पी त्रिपाठी टीकमगढ़,श्री हरि विष्णु अवस्थी टीकमगढ़ यहां तक की जनपद के जिलाधिकारी रहे माननीय मानवेंद्र सिंह जी ने भी इस का निरीक्षण करते हुए इसके संरक्षण की अनिवार्यता को स्वीकार किया। उन्होंने नवागढ़ पहुँचकर खुद अवलोकन किया था तथा इसके संरक्षण हेतु इसे संरक्षित इमारत के रूप में लेने के लिए सचिव संस्कृति विभाग को पत्राचार भी किया था । परंतु दुर्भाग्य रहा यह कार्य संपादित नहीं हो सका । जनपद के पुलिस अधीक्षक एमएम बेग ने भी इस धरोहर का अवलोकन कर इसे अतिप्राचीन बताया।
हाल ही में क्षेत्र निर्देशक ब्रह्मचारी जय कुमार निशांत ने नष्ट होती चंदेल बावड़ी के संरक्षण का कार्य आरंभ किया था । वहां से प्राप्त विपुल प्राकृतिक धरोहर से शासन-प्रशासन अचंभित हुआ और उसने संरक्षण की प्रक्रिया जिलाधिकारी के निर्देशन में आरंभ की है ।
आशा एवं विश्वास : नवागढ़ समिति पूर्णरूपेण प्रात धरोहर को संरक्षित करने के लिए तत्पर है। एनआरएलसी लखनऊ के माध्यम से विगत 3 वर्षो से लगातार प्राचीन धरोहर का संरक्षण किया जा रहा है । इस कार्य में सभी का सहयोग प्राप्त हो रहा है समिति को विश्वास है शासन-प्रशासन निश्चित रूप से काल्वित होते हुए इन धरोहर के संरक्षण हेतु आवश्यक प्रक्रिया करके इनका संरक्षण जरूर करेगी।
रखरखाव का अभाव : जंगल में पहाड़ियों के बीच महत्वपूर्ण ऐतिहासिक शैलचित्र वर्षा एवं ग्रीष्म से जर्जरित होने के साथ ग्रामीण बच्चों के द्वारा भी विकृत किए जा रहे हैं । डॉ एस के दुबे संग्रहालय अधिकारी झांसी , श्री नरेश पाठक पुरातत्वविद ग्वालियर , श्री हरि विष्णु अवस्थी वरिष्ठ इतिहास , टीकमगढ़ ने ब्रह्मचारी निशांत भैया जी के आग्रह पर इन का अवलोकन समय-समय पर किया है। डॉक्टर दुबे का कहना है हार्ड रॉक पर शैल चित्रों का बनाया जाना अत्यंत विलक्षण है।इनको श्वेत आधार पर प्राकृतिक रंगों से बनाया गया है, जिसमें सम चतुष्कोण, वृषभ, सूर्य, पहाड़ , सरोवर , बावड़ी एवं साधना कुटी को विभिन्न आयामों में चित्रित करने का सार्थक प्रयास किया गया है।
संरक्षण एवं संवर्द्धन की मांग : नवागढ़ तीर्थक्षेत्र कमेटी के निर्देशक ब्र.जय निशांतभैया , अध्यक्ष सनत जैन एडवोकेट , महामंत्री योगेंद्र बबलू , कोषाध्यक्ष नरेंद्र सराफ,राजकुमार जैन चुना, मंत्री अशोक जैन, सुरेंद्र जैन, उपाध्यक्ष वीरचंद्र जैन, शिखरचंद्र एवं प्रचार मंत्री डॉ सुनील संचय आदि ने शासन-प्रशासन एवं पुरातत्व विभाग से अनुरोध किया है कि हजारों साल प्राचीन ललितपुर जिले की एकमात्र पुरातात्विक शैलचित्र एवं रॉक कट इमेज की धरोहर को संरक्षित किया जाना अनिवार्य है ।अतः आवश्यक कार्यवाही की पहल होनी चाहिए।
इनका कहना है :
–ललितपुर जिले के विशेष पुरातात्विक स्थान नवागढ़ में स्थित शैलाश्रय , शैलचित्र , उत्कीर्ण कायोत्सर्ग मुद्रा , चरण चिन्ह एवं रॉक कपमार्क के संरक्षण की ओर ध्यान देते हुये संरक्षण प्रशासन द्वारा किया जाय, क्योंकि यह प्राकृतिक प्रकोप के साथ ग्रामीण बालकों के क्रीड़ा स्थल एवं आमोद प्रमोद स्थल बन गए हैं ।कुछ चित्रांकन ग्रामीण बच्चों द्वारा नामांकित करने से नष्ट हो चुके हैं, कुछ बारिश आदि के कारण क्षरण को प्राप्त हो रहे हैं ।कहीं ऐसा ना हो जब तक हम इसके संरक्षण के लिए क्रिया शुरू करें यह काल्वित होकर कथानक का विषय बन जाएँ। -ब्रह्मचारी जय निशांत भैया जी, निर्देशक नवागढ़ तीर्थक्षेत्र कमेटी
-कहीं ऐसा ना हो हमारी उपेक्षा से यह बहुमूल्य सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धरोहर नष्ट हो जाए।
-एडवोकेट सनत जैन, अध्यक्ष नवागढ़ तीर्थक्षेत्र कमेटी
-हजारों वर्ष प्राचीन शैल- चित्रों में से अधिकांश चित्र तो प्राकृतिक प्रकोप से नष्ट हो गए हैं कुछ चित्र शेष हैं जो नष्ट होने की कगार पर है । शासन -प्रशासन ऐसी अमूल्य धरोहर के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए आगे आना चाहिए।- 👉डॉ. सुनील संचय, मंत्री उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड तीर्थक्षेत्र कमेटी|