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Home›Uncategorized›जीवन संगिनी यानी धर्म पत्नी की अंतिम विदाई-मुझे जाने दो

जीवन संगिनी यानी धर्म पत्नी की अंतिम विदाई-मुझे जाने दो

By पी.एम. जैन
October 8, 2020
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अगर पत्नी है तो दुनिया में सब कुछ है। राजा की तरह जीने और आज दुनिया में अपना सिर ऊँचा रखने के लिए अपनी पत्नी का शुक्रिया करें! आपकी सुविधा असुविधा आपके बिना कारण के क्रोध को संभालती है! तुम्हारे सुख से सुखी है और तुम्हारे दुःख से दुःखी है! आप रविवार को देर से बिस्तर पर रहते हैं लेकिन इसका कोई रविवार या त्योहार नहीं होता है। चाय लाओ, पानी लाओ, खाना लाओ। यह ऐसा है और वह वैसा है! कब अक्कल आएगी तुम्हे? ऐसे ताने मारते हो। उसके पास बुद्धि है और केवल उसी के कारण तो आप जीवित है! वरना दुनियाँ में आपको कोई भी नहीं पूछेगा! अब जरा इस स्थिति की सिर्फ कल्पना करें-

एक दिन *पत्नी* अचानक  रात को गुजर जाती है !घर में रोने की आवाज आ रही है ,पत्नी का *अंतिम दर्शन* चल रहा था!

उस वक्त पत्नी की आत्मा जाते जाते जो कह रही है उसका वर्णन:-
मैं अभी जा रही हूँ अब फिर कभी नहीं मिलेंगे
तो मैं जा रही हूँ।
जिस दिन शादी के फेरे लिए थे उस वक्त साथ साथ जियेंगे ऐसा वचन दिया था पर इस तरह अचानक अकेले जाना पड़ेगा यह मुझ को पता नहीं था।
मुझे जाने दो।
अपने आँगन में अपना शरीर छोड़ कर जा रही हूँ।  
बहुत दर्द हो रहा है मुझे,
लेकिन मैं मजबूर हूँ अब मैं जा रही हूँ। मेरा मन नहीं मान रहा पर अब में कुछ नहीं कर सकती।
मुझे जाने दो।
बेटा और बहु रो रहे है देखो। 
मैं ऐसा नहीं देख सकती और उनको दिलासा भी नहीं दे सकती हूँ। पोता  बा  बा बा कर रहा है उसे शाँत करो, बिल्कुल ध्यान नही दे रहे है। 
हाँ और आप भी मन मजबूत रखना और बिल्कुल ढीले न होंना।
मुझे जाने दो।
अभी बेटी ससुराल से आएगी और मेरा मृत शरीर देखकर बहुत रोएगी तब उसे संभालना और शाँत करना। और आप भी  बिल्कुल नहीं रोना।
मुझे जाने दो।
जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। जो भी इस दुनियाँ में आया है वह यहाँ से ऊपर गया है। धीरे धीरे मुझे भूल जाना, मुझे बहुत याद नहीं करना और इस जीवन में फिर से काम मे डूब जाना! अब मेरे बिना जीवन जीने की आदत जल्दी से डाल देना।
मुझे जाने दो।
आप ने इस जीवन में मेरा कहा कभी नही माना है। अब जिद्द छोड़कर व्यवहार में विनम्र रहना! आपको अकेला छोड़कर जाते मुझे बहुत चिंता हो रही है। लेकिन मैं मजबूर हूँ।
मुझे जाने दो।
आपको BP और डायबिटीज है गलती से भी मिठा नहीं खाना अन्यथा परेशानी होगी।  
सुबह उठते ही तो दवा लेना न भूलना! चाय अगर आपको देर से मिलती है तो बहु या बच्चों पर गुस्सा न करना! अब मै नहीं हूँ यह समझ कर जीना सीख लेना।
मुझे जाने दो।
बेटा और बहू कुछ बोले तो
चुपचाप सब सुन लेना। कभी गुस्सा नहीं करना। हमेशा मुस्कुराते रहना कभी उदास नहीं होना। 
मुझे जाने दो।
अपने बेटे के बेटे के साथ खेलना। अपने दोस्तों  के साथ समय बिताना। अब थोड़ा धार्मिक जीवन जीना ताकि जीवन को संयमित किया जा सके ! अगर मेरी याद आये  चुपचाप रो लेना लेकिन कभी कमजोर नहीं होना।
मुझे जाने दो।
मेरा रूमाल कहाँ है, मेरी चाबी कहाँ है अब ऐसे चिल्लाना नहीं सब कुछ ध्यान से रखने और याद रखने की आदत डालना। सुबह और शाम नियमित रूप से दवा ले लेना। अगर बहु या बच्चें भूल जायें तो खुद से याद कर लेना। जो भी खाने को मिले प्यार से खा लेना और गुस्सा नहीं करना।
मेरी अनुपस्थिति खलेगी पर कमजोर नहीं होना।
मुझे जाने दो।
बुढ़ापे की छड़ी भूलना नहीं और  धीरे धीरे से चलना।
यदि बीमार हो गए और बिस्तर में लेट गए तो किसी को भी सेवा करना पसंद नहीं आएगा।
मुझे जाने दो।
शाम को बिस्तर पर जाने से पहले एक लोटा पानी माँग लेना।  प्यास लगे तभी पानी पी लेना।
अगर आपको रात को उठना पड़े तो अंधेरे में कुछ लगे नहीं उसका ध्यान रखना।
मुझे जाने दो।
शादी के बाद हम बहुत प्यार से साथ रहे। परिवार में फूल जैसे बच्चें दिए। अब उन फूलों की सुगंध मुझें नहीं ंमिलेगी।
मुझे जाने दो।
उठो सुबह हो गई अब ऐसा कोई नहीं कहेगा। अब अपने आप उठने की आदत डाल देना किसी की प्रतीक्षा नही करना।
मुझे जाने दो।
और हाँ …. एक बात तुमसे छिपाई है मुझे माँफ कर देना।
आपको बिना बताए बाजू की पोस्ट ऑफिस में बचत खाता खुलवाकर 15 लाख रुपये जमा किये हैं मेरी दादी ने सिखाया था कि एक एक रुपया जमा करके कोने में रख दिया करना। इसमें से पाँच पाँच लाख बहु और बेटी को देना और अपने खाते में पाँत लाख रखना आपके लिए हैं।
मुझे जाने दो।
भगवान की भक्ति और पूजा करना भूलना नहीं अब फिर कभी नहीं मिलेंगे !!
मुझसे कोई भी गलती हुई हो तो मुझे माँफ कर देना।
 *मुझे जाने दो*
 *मुझे जाने दो*
 लेख सोर्स-सोशल मीडिया
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