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Home›धर्म-कर्म›शारदीय नवरात्रि अष्टमी-नवमी पुजन विजय दशमी योग-संकलन👉बाबूलाल शास्त्री टोक (राज.)

शारदीय नवरात्रि अष्टमी-नवमी पुजन विजय दशमी योग-संकलन👉बाबूलाल शास्त्री टोक (राज.)

By पी.एम. जैन
October 24, 2020
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इस वर्ष  शारदीय नवरात्रि माता रानी के साधको द्वारा श्रद्धाभक्ति के साथ मनाया जा रहा है परन्तु इस वर्ष लोगों के मन में अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर उलझन की स्थिति बनी हुई है। क्योकि इन 2 दिनों का नवरात्र में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है। इन दिनों में सुहागन महिलाएं माता को भेंट देती हैं और पूरे 9 दिन व्रत रखकर घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना करती हैं। इन दो दिनों में बहुत से ऐसे लोग भी व्रत रखते हैं जो पूरे नवरात्र का व्रत नहीं रख पाते हैं या पूरे नवरात्र कन्या पूजन नहीं कर पाते हैं।
इस वर्ष इन तिथियों को लेकर उलझन की स्थिति इसलिए है क्योंकि 23 तारीख शुक्रवार सप्तमी सुबह 6.57 बजे उपरांत अष्टमी और 24 तारीख शनिवार को अष्टमी  सुबह 6.59 बजे तक उपरांत नवमी तिथि लग रही है।  25 तारीख को नवमी सुबह 7.42 बजे तक उपरांत दशमी लग रही है। इसलिए  यह जानना आवश्यक है कि किस दिन कौन सी तिथि मान्य होगी?
इस विषय में हमारे शास्त्र और धर्मग्रंथ का प्रमाण यथोचित दिया जा रहा है
जिसके अनुसार
शास्त्रों में बताया गया है कि जिस दिन सूर्योदय के समय आश्विन शुक्ल अष्टमी तिथि हो उस दिन श्रीदुर्गाष्टमी और महाष्टमी का व्रत पूजन किया जाना चाहिए। लेकिन शर्त यह भी है कि यह अष्टमी तिथि सूर्योदय के कम से कम 1 घड़ी यानी 24 मिनट तक होनी चाहिए। सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि को महाअष्टमी नहीं मानना चाहिए। लेकिन दूसरे दिन अष्टमी तिथि 24 मिनट से भी कम हो तब इस तिथि में सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि को महाष्टमी का व्रत पूजन कर लेना चाहिए। इन्हीं बातों को धर्मसिंधु ज्योतिषीय ग्रंथ में इस प्रकार कहा गया है।
”अथ महाष्टमीघटिकामात्राप्यौवयिकी नवमी युता ग्राह्या।।
सप्तमी स्वल्पयुता सर्वथा त्याज्या।।
यदा तु पूर्वत्र सप्तमीयुता परत्रोदये नास्ति घटिका न्यूना वा वर्तते तदा पूर्वा सप्तमीविद्धापि ग्राह्या।।”
👉क्योकि देश के कुछ भागों में 24 अक्टूबर को अष्टमी तिथि एक घड़ी से भी कम है ऐसे में उन भागों में अष्टमी तिथि का व्रत पूजन 23 अक्टूबर को किया जाना शास्त्र सम्मत होगा। लेकिन जहां भी सूर्योदय सुबह 6 बजकर 35 मिनट से पहले होगा वहां पर 24 अक्टूबर शनिवार को अष्टमी की पूजा होगी।
👉इस नियम के अनुसार गुजरात, जम्मू, पंजाब, राजस्थान, उत्तर पश्चिमी हिमाचल प्रदेश में अष्टमी तिथि 23 अक्टूबर को होगी जबकि अन्य भागों उत्तराखंड दिल्ली, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान, मध्यपूर्वी महाराष्ट्र के साथ भारत के अन्य भागों में 24 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी तिथि मान्य रहेगी। यहां 24 अक्टूबर को नवमी तिथि का व्रत पूजन भी किया जाना शास्त्र सम्मत होगा लेकिन हवन संबंधी कार्य नवमी युक्त दशमी तिथि को यानी 25 अक्टूबर रविवार को किया जाना शास्त्र के अनुसार उचित रहेगा।
श्रीहरिहर पञ्चाङ्ग ऋषिकेश के अनुसार
नवरात्र अष्टमी तिथि आरंभ 23 अक्टूबर शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 57 मिनट पर
हो रही है तथा
नवरात्र अष्टमी तिथि समाप्त 24 अक्टूबर शनिवार को सुबह 6 बजकर 59 मिनट तक है
इसके बाद नवमी तिथि आरंभ हो रही है, अष्टमी पुजन रात्रि वाले 23 अक्टूबर शुक्रवार को पुजन किया जाना है,
धर्मसिन्धु के मतानुसार नवमी और दशमी तिथि इनमें अष्टमी  एवं महानवमी 24 अक्टूबर शनिवार नवमी 25 अक्टूबर रविवार सुबह 7.42  बजे तक नवमी उपरांत दशमी विजयदशमी विजय मुहुर्त दोपहर 2.18 बजे से 3,04 बजे तक बताया गया है।26 अक्टूबर सोमवार को दशमी तिथि सुबह 9,00 बजे तक है अतः पंचाग की तिथि गणना अनुसार अनुष्ठान पुजन किया जाना श्रेष्ठ है
है माँ जगदम्बे शरणागत की रक्षा करो, 🙏🙏
सकलन- महर्षि बाबूलाल शास्त्री टोक राजस्थान
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