माँ लक्ष्मी की कृपा से मनुष्य को धन-वैभव और सुख- सम्पदा की प्राप्ति होती है। माँ लक्ष्मी के आठ अलग-अलग रूप हैं, जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा गया है। अष्टलक्ष्मी की आराधना से मनुष्य की सभी समस्याओं का समाधान होता है और वह समृद्धि, धन,यश, ऐश्वर्य व संपन्नता प्राप्त करता है।
जानिए लक्ष्मी जी के इन आठ स्वरूपों के रहस्य-
1*धनलक्ष्मी-धनलक्ष्मी माँ का रूप अपने भक्तों की आर्थिक समस्याओं और दरिद्रता का नाश करके उसे धन-दौलत से परिपूर्ण कर देती हैं! धनलक्ष्मी की कृपा प्राप्ति से व्यर्थ का व्यय, कर्ज और समस्त आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है|मंत्र-ॐ धनलक्ष्म्यै नम: !!
2*यशलक्ष्मी- यशलक्ष्मी या ऐश्वर्य लक्ष्मी रूप में लक्ष्मी जी की आराधना करने से मनुष्य को संसार में मान-सम्मान, यश, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है! यश प्रदान करने वाली यह देवी भक्त को विद्वत्ता और विनम्रता के गुण प्रदान करती है और सांसारिक शत्रुता समाप्त करती हैं। मंत्र-ॐ यशलक्ष्म्यै नम: !!
3*आयुलक्ष्मी- लम्बी आयु और रोगमुक्ति जीवन यापन करने के लिए आयुलक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है। माँ का यह रूप शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति देता है और मनुष्य की आयु में वृद्धि करता है।
मंत्र-ॐ आयुलक्ष्म्यै नम: !!
4*वाहनलक्ष्मी-वाहन की इच्छा रखने वाले मनुष्य के लिए वाहनलक्ष्मी की आराधना करना श्रेष्ठ होता है ! वाहनलक्ष्मी की कृपा से वाहन सुख प्राप्त होता है और वाहनों का सुरक्षित व समुचित उपयोग भी होता है|
मंत्र-ॐ वाहनलक्ष्म्यै नम: !!
5*स्थिरलक्ष्मी-स्थिरलक्ष्मी की आराधना करने से माँ लक्ष्मी घर में अन्नपूर्णा रूप में स्थाई रूप में निवास करती हैं। इनकी कृपा से घर में किसी प्रकार की कमी नहीं होती और घर सदैव धन-धान्य से भरा रहता है|
मंत्र- ॐ स्थिरलक्ष्म्यै नम: !!
6*सत्यलक्ष्मी- सत्यलक्ष्मी की कृपा से मनुष्य को घर की लक्ष्मी अर्थात मन के अनुकूल पत्नी की प्राप्ति होती है, जो एक अच्छी मित्र, सलाहकार व जीवन संगिनी बनकर सदैव साथ देती है। मंत्र-ॐ सत्यलक्ष्म्यै नमः !!
7*संतानलक्ष्मी-संतानहीन दंपत्ति द्वारा संतानलक्ष्मी की आराधना करने से संतान की प्राप्ति होती है और उसका वंश वृद्धि करता है। संतानलक्ष्मी के रूप में देवी मााँ इच्छानुसार संतान देती है|
मंत्र- ॐसंतानलक्ष्म्यै नम:!!
8*गृहलक्ष्मी-गृहलक्ष्मी के रूप में माँ लक्ष्मी की आराधना करने से स्वयं के घर का सपना पूरा होता है।इसके अलावा घर सम्बंधित अन्य समस्याओं का हल भी शीघ्र ही हो जाता है। इस रूप में माँ सम्पदा प्रदान करती है।
मंत्र-ॐ गृहलक्ष्म्यै नम:!!
मतांतर से अष्टलक्ष्मी के भिन्न-भिन्न नाम व रूपों के बारे में बताया गया है,जो इस प्रकार भी हैं –
1.धनलक्ष्मी या वैभवलक्ष्मी
2.गजलक्ष्मी
3.अधिलक्ष्मी
4.विजयालक्ष्मी
5.ऐश्वर्य लक्ष्मी
6.वीर लक्ष्मी
7.धान्य लक्ष्मी
8.संतान लक्ष्मी।
इसके अलावा कहीं-कहीं पर-
1.आद्यलक्ष्मी
2.विद्यालक्ष्मी
3.सौभाग्यलक्ष्मी
4.अमृतलक्ष्मी
5.कामलक्ष्मी,सत्यलक्ष्मी
6 विजयालक्ष्मी
7.भोगलक्ष्मी
8.योगलक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है|
विशेष👉मेरे मतानुसार समस्त अष्टलक्ष्मियों में माँ संतानलक्ष्मी का विशेष महत्व होता है इसलिए कहा भी गया है कि👉“पूत सपूत तो क्यों धन संचय और पूत कपूत तो क्यों धन संचय”कहने का तात्पर्य है कि👉पुत्र सही और सुसंस्कारित है तो 1 रूपये से करोड़ों कर सकता है और पुत्र कुसंस्कारों से ग्रस्त है तो हमारे जोड़े हुए करोड़ों रूपयों की सम्पदा मिट्टी में मिला सकता है!
इसीलिए क्रमबद्ध तरीके से “कार्तिक माह” में सबसे पहले संतान लक्ष्मी हेतु माताओं के द्वारा “अहोई अष्टमी” का व्रत आदि किया जाता है उसके उपरांत “आरोग्य लक्ष्मी” जिसको हम धनतेरस कहते हैं यानी प्राकृतिक रूप से उगने वाली “जड़ीबूटियों”को मान्ययता दी जाती है! लेकिन👉आज अधिकाँश देखने को मिलता है कि अधिकतर व्यक्ति मात्र“माँ धनलक्ष्मी”की प्राप्ति हेतु ही अपने दिल-दिमाग में भावना संजोकर रखते हैं जबकि किसी व्यक्ति को पता तक नहीं होता कि शरद पूर्णिमा से लेकर दीपावली तक हमारे घर-परिवार में अष्टलक्ष्मियों में से इस बार दीपावली पर्वपर किस लक्ष्मी माँ का प्रवेश हुआ और किस-किस माँ की कृपा हम सभी पर अब तक बनी हुई है तथा इस बार किस लक्ष्मी माँ की नूूूतन कृपा-दृष्टि हम सभी पर बनेगी!
इसके लिए हमें लक्ष्मी जी को स्थिर-अस्थिर रखने हेतु अपनी भावनाओं को जीवमात्र के प्रति सदा शुद्ध-विशुद्ध रखना चाहिए क्योंकि लक्ष्मी माँ की साधना” कार्तिक पूूर्णिमा” के दिन पूर्णिता को प्राप्त होती है|मैं अल्पज्ञ सभी विद्वानगणों से त्रुटि इत्यादि के लिए🙏क्षमायाचना करता हूँ!👉पारसमणि जैन”ज्योतिष विचारक” एवं एडिटर इन चीफ”पारस पुँज” नई दिल्ली मो.9718544977