बन्धानी हींग की जीवनी-पं.राधेश्याम शर्मा “आर्युवेद रत्न एवं ज्योतिष वार्चस्वपति”



हींग शाक की भाँति एक बारहमासी पौधा है। इस पौधे के विभिन्न वर्गों के भूमिगत प्रकन्दों व ऊपरी जडों से रिसने वाले शुष्क वानस्पतिक दूध को हींग के रूप में प्रयोग किया जाता है।
कच्ची हींग का स्वाद लहसुन जैसा होता है, लेकिन जब इसे व्यंजन में पकाया जाता है तो यह उसके स्वाद को बढा़ देती है।

हींग दो प्रकार की होती हैं- एक हींग काबूली सुफाइद (दुधिया सफेद हींग) और दूसरी हींग गेंहुआ रंग की होती है । हींग का तीखा व कटु स्वाद है और उसमें सल्फर की मौजूदगी के कारण एक अरुचिकर तीक्ष्ण गन्ध निकलती है। यह तीन रूपों में उपलब्ध हैं- ‘टियर्स ‘ , ‘मास ‘ और ‘पेस्ट’। ‘टियर्स ‘, वृत्ताकार व पतले, राल का शुद्ध रूप होता है इसका व्यास पाँच से 30 मि.मी. और रंग भूरे और फीका पीला होता है। ‘मास’ – हींग साधारण वाणिज्यिक रूप है जो ठोस आकार वाला होता है। ‘पेस्ट ‘ में अधिक तत्व मौजूद रहते हैं। सफेद व पीला हींग जल विलेय है जबकि गहरे व काले रंग की हींग तैल विलेय है। अपने तीक्ष्ण सुगन्ध के कारण शुद्ध हींग को पसंद नहीं किया जाता बल्कि इसे स्टार्च और गम मिलाकर संयोजित करके बन्धानी हींग के रूप में बेचा जाता है।


