भिंड। 15 जनवरी। भिंड नगर के हृदय स्वरूप दिगम्बर जैन चैत्यालय मंदिर में राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री विरागसागर जी महाराज के सान्निध्य में त्रि-दिवसीय कार्यक्रम बड़े ही महोत्सव पूर्व क्षणों के साथ अंतिम चरण में पहुंच रहा है। इस कार्यक्रम के दौरान 15 जनवरी को चैत्यालय मंदिर के मूलनायक भगवान आदिनाथ स्वामी की वेदिका में स्वर्ण नक्काशी युक्त चांदी का परिकर लगाया गया। मंदिर के शिखर पर कलशारोहण एवं ध्वजा चढ़ाई हुआ। इसी बीच मंदिर की सभी वेदियों पर महा मस्तकाभिषेक विधान हुआ प्रतिदिन भगवान व गुरुदेव की बड़े ही धूमधाम से संगीत मय पूजन आरती हुई। इन सभी कार्यक्रम में भिंड की समस्त दिगंबर जैन समाज ने बढ़-चढ़कर भाग लिया तथा दिल खोलकर दान भी दिया।
इस अवसर पर पूज्य गुरुवर गणाचार्य विरागसागरजी ने उपस्थित धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा आज हम सभी जिसे भारत देश के नाम से जानते हैं जिसमें हम सभी रहते हैं इस भारत देश का पुराना नाम अजनाभ वर्ष है। जो कि प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ-ऋषभदेव के पिता नाभिराय जिनका अपर नाम अजानबाहु था उन्हीं के नाम परे पड़ा था। इस धरा पर प्रथम राजा भगवान् ऋषभदेव थे, प्रथम विवाह भी ऋषभदेव का ही हुआ था तभी से महोत्सव पूर्ण विवाह होना प्रारंभ हुए। आज जगत में जो संपूर्ण विधाएं प्रचलित हैं इनके विधाता अर्थात् सिखाने वाले उपदेशक भगवान आदिनाथ ऋषभदेव थे। उन्होंने हर सर्वप्रथम असि, मसि, कृषि, वाणिज्य, कला का उपदेश दिया। उनका सूत्र था ऋषि बनो या कृषि करो। आगम शास्त्रों में विश्वकर्मा नाम से भगवान ऋषभदेव की स्तुति की गई है। जगत में आचरित श्रावक धर्म व मुनि धर्म के उपदेशक भी आदिनाथ भगवान थे। ऐसे प्रभु आदिनाथ भगवान की प्रतिमा हमारे चैत्यालय मंदिर की मूलनायक है। संपूर्ण भिंड में आज जो सुख समृद्धि है वह आदिनाथ भगवान की ही महिमा है। न केवल जैन समाज अपितु संपूर्ण भिंड वासियों की भगवान आदिनाथ के प्रति अटूट श्रद्धा भक्ति है। भक्तों के दुख दर्द को दूर कर सुख शांति देने वाले आदिनाथ भगवान ही हैं। अतः हम सभी तन मन धन से भगवान की भक्ति करें।
पूज्य गुरुदेव की आज्ञानुसार वेदिका पर भगवान विराजमान शिखर पर कलशरोहन एवं कार्यक्रम का भव्य जुलूस 18-01-2020 को निकाला जाएगा। कार्यक्रम का सार स्वरूप कार्य भगवान आदिनाथ शो मी को पुनः वेदिका पर विराजमान करने का सौभाग्य श्रीमान संजय जी ( टीपू ), दुबेश जैन परिवार ने प्राप्त किया।