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कविता शीर्षक :-“भारतीय” :- जैनआचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर महाराज
कविता शीर्षक :-“भारतीय” :- जैनआचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर महाराज
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पी.एम. जैन
May 3, 2021
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आज 03 मई, सोमवार, को सम्मेदशिखर तीर्थ, झारखंड में, दोपहर में सामयिक के बाद गुरुदेव ने स्वानुभव से एक बहुत ही सुंदर कविता लिखी..जिसका विषय है भारतीय
*भारतीय*
अहो हंसात्मन् !!
देश राष्ट्र में ,
अखण्डता का,
सूत्रपात करो।
परस्पर में
प्रेम स्नेह
वात्सल्यता की
गंगा बहाओ
ईर्ष्या डाह की
ज्वाला मत जलाओ
मानव को मानवता
ही सिखलाओ
मानव को दानवता
नहीं सिखाओ
परस्पर में
जीव जीव का
उपकार करें
नहीं कोई
किसी का
संहार करे
दया करुणा
अहिंसा का
आश्रय ले
मानवता का
जयनाद करे
साम्प्रदयिकता का
नाम लेकर
राष्ट्रीय एकता का
न अपमान करें
हम भारतीय
इतनी ही
पहचान रहे।।
जो है सो है….
दिगम्बराचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज
…हम भारतीय ही है….
द्वारा;-
🖊️🖊️🖊️अनुराग भैया सीहोरा…
संजीव जैन “संजीवनी
“
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