Paras Punj

Main Menu

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

logo

Paras Punj

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा
धर्म-कर्म
Home›धर्म-कर्म›15 जून👉श्रुत पंचमी : दुर्लभ जैन ग्रंथ एवं शास्त्रों की रक्षा का महापर्व-डॉ. सुनील जैन ‘संचय’ ललितपुर

15 जून👉श्रुत पंचमी : दुर्लभ जैन ग्रंथ एवं शास्त्रों की रक्षा का महापर्व-डॉ. सुनील जैन ‘संचय’ ललितपुर

By पी.एम. जैन
June 11, 2021
691
0
Share:
15 जून  को श्रुत पंचमी महापर्व है। जैन परंपरा में आगम को भगवान महावीर की द्वादशांगवाणी के रूप में प्रस्तुत किया गया है।  श्रुत परंपरा जैन -धर्म -दर्शन में ही नहीं वैदिक परंपरा में भी चरमोत्कर्ष पर रही है। इसी के फलस्वरूप वेद को श्रुति के नाम से संबोधित किया जाता रहा। 
श्रुत पंचमी का महत्त्व : जैन समुदाय में इस दिन का विशेष महत्व है।  भगवान महावीर ने जो ज्ञान दिया, उसे श्रुत परंपरा के अंतर्गत अनेक आचार्यों ने जीवित रखा। गुजरात के गिरनार पर्वत की  गुफा में पूज्य आचार्य श्री धरसेनाचार्य ने पुष्पदंत जी एवं भूतबलि जी मुनियों को सैद्धांतिक देशना दी जिसे सुनने के बाद मुनियों ने एक ग्रंथ रचकर ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी को प्रस्तुत किया।
दिगंबर जैन परंपरा के अनुसार प्रति वर्ष जेष्ठ शुक्ल पंचमी तिथि को श्रुत पंचमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन जैन आचार्य धरसेन के शिष्य आचार्य पुष्पदंत एवं आचार्य भूतबलि ने ‘षटखंडागम शास्त्र’ की रचना पूर्ण की थी। उसके बाद से ही भारत में श्रुत पंचमी को पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। इसका एक अन्य नाम ‘प्राकृत भाषा दिवस’ भी है। 
 ज्ञान आराधना का पर्व : श्रुत पंचमी पर्व ज्ञान की आराधना का महान पर्व है, जो जैन भाई-बंधुओं को वीतरागी संतों की वाणी सुनने, आराधना करने और प्रभावना करने का संदेश देता है। इस दिन मां जिनवाणी की पूजा अर्चना सभी  करते हैं। श्रुत पंचमी के पवित्र दिन मंदिरों और अपने घरों में रखे हुए पुराने ग्रंथों की साफ-सफाई कर, धर्मशास्त्रों का जीर्णोद्धार करना चाहिए। उनमें जिल्द लगानी चाहिए। शास्त्रों और ग्रंथों के भंडार की साफ-सफाई करके उनकी पूजा करना चाहिए।
ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले इस श्रुत पंचमी के दिन बड़ी संख्यां में जैन धर्मावलंबी  पालकी पर जैन धर्म के प्राचीन ग्रंथ रखकर गाजे-बाजे के साथ मां जिनवाणी तथा धार्मिक शास्त्रों की शोभायात्रा निकालते हैं। इस यात्रा में जैन धर्म में आस्था रखने वाले लोग सम्मिलित होते हैं और भाग लेते हैं। इस अवसर पर गोष्ठी और प्रवचनों का भी आयोजन होता है।
श्रुत पंचमी के दिन जैन मंदिरों में प्राकृत, संस्कृत, प्राचीन भाषाओं में हस्तलिखित प्राचीन मूल शास्त्रों को शास्त्र भंडार से बाहर निकालकर, शास्त्र-भंडारों की साफ-सफाई करके, प्राचीनतम शास्त्रों की सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें नए वस्त्रों में लपेटकर सुरक्षित किया जाता है तथा इन ग्रंथों को भगवान की वेदी के समीप विराजमान करके उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
इस दिन जैन धर्मावलंबी पीले वस्त्र धारण करके जिनवाणी की शोभा यात्रा निकालकर पर्व को मनाते हैं, साथ ही अप्रकाशित दुर्लभ ग्रंथों/  शास्त्रों को प्रकाशित करने के उद्देश्य से समाज के लोग यथाशक्ति दान देकर इसका निर्वहन करते हैं।
श्रुतपंचमी पर्व ज्ञान की आराधना का महान् पर्व है, जो मानव समाज को वीतरागी संतों की वाणी, आराधना और प्रभावना का सन्देश देता है। इस पवित्र दिन श्रद्धालुओं को श्री धवल और महाधवलादि ग्रंथों को सम्मुख रखकर श्रद्धाभक्ति से महोत्सव के साथ उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए और सिद्धभक्ति का पाठ करना चाहिए।
करें शास्त्र की रक्षा : अज्ञान के अन्धकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले इस महापर्व के सुअवसर पर पुराने ग्रंथों, शास्त्रों और सभी किताबों की देखभाल करनी चाहिए। उनमें जिल्द लगवानी चाहिए, शास्त्रों और ग्रंथों के भण्डार की सफाई आदि करके शास्त्रों की पूजा विनय आदि करनी चाहिए।
 यदि एक मंदिर गिर भी जाता है तो उससे भी सुंदर दूसरा मंदिर निर्मित करवा सकते हैं ,मूर्ति के टूटने पर दूसरी मूर्ति विराजमान करवा सकते हैं लेकिन पांडुलिपियों का एक पृष्ठ भी नष्ट होता है तो उसके स्थान पर दूसरा पृष्ठ नहीं लगा सकते हैं। 
अमूल्य निधि षट्खण्डागम :
प्रथम शती के जैनाचार्य पुष्पदन्त और भूतबलि ने अपने विद्यागुरु आचार्य धरसेन से प्राप्त आगमज्ञान के आधार पर ‘‘षट्खण्डागम (छक्खंडागम) नामक महान् आगम ग्रन्थरत्न की रचना शौरसेनी प्राकृत भाषा में की। आचार्य धरसेन ने पुष्पदन्त और भूतबलि को पूर्ववर्ती आचार्यों द्वारा प्राप्त वह ज्ञान दिया जिनकी परम्परा भगवान् महावीर स्वामी तक पहुँचती है।
 पुष्पदन्त और भूतबलि ने उन्हीं आगम सिद्धान्तों को लिखा जो धरसेनाचार्य से प्राप्त हुआ था और धवला टीकाकार ने भी उनका विवेचन पूर्व मान्यताओं और पूर्व आचार्यों के अनुसार ही किया है जैसा कि उनकी टीका में स्थान स्थान पर प्रकट है। पुष्पदन्त व भूतबलि की रचना तथा उस पर वीरसेन की टीका इसी पूर्व  की मर्यादा को लिये हुए है |
दक्षिण भात में जन्में चरित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री शांति सागर जी महाराज ने षटखंडागम जैसे महान ग्रंथ को ताम्रपत्र पर उत्कीर्ण करा कर सुरक्षित किया।
भारतीय संस्कृति का अक्षय भंडार है जैन साहित्य : जैन परंपरा का साहित्य भारतीय संस्कृति का अक्षय भंडार है । जैन आचार्यों  ने ज्ञान -विज्ञान की विविध विधाओं पर विपुल मात्रा में स्व- परोपकार की भावना से साहित्य का सृजन किया।  आज भी अनेक शास्त्र भंडारों में हस्तलिखित प्राचीन ग्रंथ विद्यमान हैं ।जिनकी सुरक्षा, प्रचार-प्रसार, संपादन, अनुवाद निरंतर हो रहा है। प्राचीनकाल में मंदिरों में देव प्रतिमाओं को विराजमान करने में जितना श्रावक पुण्य लाभ मानते थे उतना ही शास्त्रों को ग्रंथ भंडार में विराजमान करने का भी मानते थे । यह श्रुत पंचमी महापर्व हमें जागरण की प्रेरणा देता है कि हम अपनी जिनवाणी रूपी अमूल्य निधि की सुरक्षा हेतु सजग हों तथा ज्ञान के आयतनों को प्राणवान स्वरूप प्रदान करें।
जैन पांडुलिपियां हमारी अमूल्य धरोहर:ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले इस श्रुत पंचमी के दिन बड़ी संख्यां में जैन धर्मावलंबी  पालकी पर जैन धर्म के प्राचीन ग्रंथ रखकर गाजे-बाजे के साथ मां जिनवाणी तथा धार्मिक शास्त्रों की शोभायात्रा निकालते हैं। इस यात्रा में जैन धर्म में आस्था रखने वाले लोग सम्मिलित होते हैं और भाग लेते हैं। इस अवसर पर गोष्ठी और प्रवचनों का भी आयोजन होता है।  जैन प्राचीन पांडुलिपियों में हमारी सभ्यता आचार-विचार और अध्यात्म विकास की कहानी समाहित है । उस अमूल्य धरोहर को हमारे पूर्वजनों ने अनुकूल सामग्री एवं वैज्ञानिक साधनों के अभाव में रात-दिन खून पसीना एक करके हमें विरासत में दिया है। इस पर्व पर संकल्प लें कि पांडुलिपियों का सूचीकरण करके व्यवस्थित रखवाया जाय, लेमिनेशन करके अथवा माइक्रोफिल्म तैयार करवा कर सैकड़ों हजारों वर्षों तक के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है और अप्रकाशित पांडुलिपियों को  प्रकाशित किया जाए । मां जिनवाणी को संरक्षित करने, उसका हम संरक्षण  और संवर्द्धन करने के लिए आगे आएं।
कोविड 19 में ऐसे मनाएं पर्व :
कोविड 19 के  कारण चल रहे हमें सामूहिक कार्यक्रमों से बचना चाहिए, पर्व को ऑनलाइन के माध्यम से मना सकते हैं विशेष सावधानी, कोविड 19 को गाइडलाइंस का पालन करते हुए मंदिर जी में भी मनाया जा सकता है, सुरक्षा की दृष्टि से  यह पर्व घर-घर में परिजनों के साथ उत्साह से मनाएं।  घर-घर में जिनवाणी की पूजा श्रद्धा पूर्वक की करें तथा ऑनलाइन के माध्यम से विशिष्ट विद्वान, संतों के विशेष व्याख्यान में शामिल हों । धार्मिक चैनलों पर लाइव संतों, विद्वानों के प्रवचन सुनें। इस पावन दिवस पर श्रद्धालु अपने घर पर षट्खण्डागम,श्री धवल महाधवलादि ग्रंथों को विराजमान कर श्रद्धा व भक्ति के साथ उनकी पूजा-अर्चना विधि विधान से करें और सिद्धभक्ति का पाठन करें।
हमारा दायित्व :
1.  ग्रंथों  को  धूप में रखें ।
2. श्रुत पंचमी पर शास्त्रों के वेष्टन (वस्त्र) परिवर्तित करें ।
3. पर्व के दिन सरस्वती (जिनवाणी) पूजन का  विशेष कार्यक्रम आयोजित  करना चाहिए ।
4. जिनवाणी को रथ, पालकी या मस्तक पर विराजमान करके धूमधाम से शोभायात्रा निकालकर धर्म की प्रभावना करना चाहिए ।
5. इस दिन को प्राकृत दिवस के रूप में भी मनाएं। प्राकृत भाषा के विकास हेतु योजनाएं और क्रियान्वयन हो।
6. जिनवाणी सजाओ प्रतियोगिता, निबंध आलेखन आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन करें, जिसमें प्रतियोगियों को पुरस्कृत करें।
7. धर्म सभा का आयोजन करके बालक-बालिकाओं एवं श्रावक-श्राविकाओं को श्रुत पंचमी पर्व एवं श्रुत संरक्षण का महत्व बताना चाहिए । युवा पीढ़ी को खासतौर से इस दिन का महत्व बताएं।
8. शास्त्र, ग्रंथ, हस्तलिखित प्राचीन अप्रकाशित पांडुलिपियों का संरक्षण, संवर्द्धन एवं प्रकाशन करके शास्त्र भण्डार का संवर्द्धन करना चाहिए।

9.सोशल मीडिया पर इसके महत्व को प्रसारित करें।

साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता है। क्योंकि यदि आज हम गौतम गणधर की वाणी को सुन रहे हैं, पढ़ रहे है तो वह श्रुत की है। यदि शास्त्र नहीं होते तो हम उस प्राचीन इतिहास को नहीं जान सकते थे।
-डॉ. सुनील जैन संचय
ज्ञान-कुसुम भवन
नेशनल कान्वेंट स्कूल के सामने, नई बस्ती, गांधी नगर, ललितपुर 284403 उत्तर प्रदेश
9793821108
Suneelsanchay@gmail. com
Previous Article

गाय/संतों से समृद्धि : 11-12-13 June,2021 : ...

Next Article

Patilaa pasand शुद्ध एवं बंधानी हींग

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

Related articles More from author

  • धर्म-कर्म

    अद्भुत चर्या के धनी हैं सनातन संतमणि बाबा सियाराम जी

    June 19, 2020
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    सूरिमंत्र अनेक और भ्रम भी अनेक

    January 3, 2020
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    जैन समुदाय के लोग प्रायश्चित के तौर पर अपने गुरू-प्रभु के समक्ष इस तरह करते हैं👉 निज आलोचना

    August 23, 2020
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    आरती के बाद क्यों बोलते हैं 👉कर्पूरगौरं मंत्र

    August 3, 2019
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    परम पूज्य आचार्य श्री एवं परम पूज्य आर्यिका माता जी की 42 साल बाद खुरई में हुई ऐतिहासिक मुलाकात

    January 14, 2019
    By पी.एम. जैन
  • धर्म-कर्म

    नवरात्रि क्या है?और नवरात्र का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य👇👇

    September 28, 2019
    By पी.एम. जैन

  • प्रवचन

    धर्म के बिना किसी का कल्याण नहीं हो सकता है:आचार्य विमदसागर मुनिराज

  • आवश्यक सूचना

    हथकरघा-🎪*आओ दिल्ली को बनाये अहिंसामय*🎪

  • ज्योतिष

    पृथ्वी से अन्य ग्रहों की दूरियाँ

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • शिखर जी प्रकरण पर संत गर्जना- जनबल से झुकती है सरकार, 18 दिसम्बर को लालकिला मैदान पर आओ 50 हजार
  • पांच सौ वर्षों के बाद नवरंगपुर मुनिराजों का मंगलप्रवेश

Find us on Facebook

विज्ञापन

मेन्यू

  • होम
  • देश
  • विदेश
  • राज्य
  • बिजनेस
  • मनोरंजन
  • खेल
  • ज्योतिष
  • हेल्थ
  • धर्म-कर्म
  • लेख-विचार
  • अपराध
  • राजनीति
  • शिक्षा

ताजा खबरे

  • 17 जनवरी को शनिदेव का कुम्भ राशि में प्रवेश जानिए शुभाशुभ योग
  • वैदिक ज्योतिष से जानिए इन पांच कारणों से आती है नौकरी-बिजनेस में बाधा, ये हो सकते हैं उपाय
  • दिखाओ चाबुक तो झुक कर सलाम करते हैं, हम वो शेर हैं जो सर्कस में काम करते हैं।-डॉ. निर्मल जैन (जज)
  • श्री सम्मेद शिखर जी प्रकरण- नवबर्ष पर समस्त जैन समाज की पहली जीत
  • 🌺नव वर्ष संकल्प🌺 नए साल को एक नयी परिपाटी प्रारंभ करें-डॉ.निर्मल जैन(जज से.नि.)
  • शास्त्रि-परिषद का विद्वत् शिक्षण प्रशिक्षण शिविर का द्वितीय दिवस
  • अहिंसा संविधान की मूल भावना-अशोक गहलोत मुख्यमंत्री (राजस्थान)
  • अंग्रेजी नूतन वर्ष 2023 पर विशेष : कलेंडर बदलिए अपनी संस्कृति नहीं -डॉ सुनील जैन, संचय, ललितपुर
  • Home
  • Contact Us