डोंगरा खुर्द जिला ललितपुर में त्रिदिवसीय श्रीमज्जिनेन्द्र वेदी प्रतिष्ठा कलशारोहण श्रद्धा पूर्वक हुआ संपन्न


डॉ. सुनील संचय एवं दीपक जैन डोंगरा ने बताया कि- अंतिम दिन लगभग 500 वर्ष प्राचीन मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान को नवीन वेदी पर श्रद्धा-आस्था पूर्वक विधि विधान के साथ विराजमान किया गया। प्रतिदिन प्रातः काल श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा, पूजन हुआ शाम को मंगलमय आरती हुई। भक्ति भाव से नृत्य करके प्रभु की आराधना की गई। विश्व शांति महायज्ञ हुआ।ध्वज स्थापित किया गया। शिखर कलशारोहण किया गया। समस्त कार्यक्रम कोविड 19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए सम्पन्न किये गए । कार्यक्रम को यूट्यूब व जैनम चैनल आदि के माध्यम से लाइव ऑनलाइन प्रसारण भी किया गया जिससे कोविड 19 की परिस्थितियों के चलते श्रद्धालुओं ने घर बैठे उक्त आयोजन का लाभ लेकर पुण्यार्जन किया।



कार्यक्रम में ध्वजारोहण भजनलाल, दीपक जैन शिक्षक सपरिवार ने किया वहीं आयोजन के प्रमुख पात्र सौधर्म इंद्र डॉ. राजकुमार जैन , महायज्ञनायक प्रसन्न मलैया, कुबेर राजकुमार सिंघई, माहेन्द्र इंद्र दीपक जैन शिक्षक, ईशान इंद्र नरेंद्रजैन राजश्री को बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मूलनायक आदिनाथ भगवान को वेदी पर विराजमान करने का सौभाग्य चंद्रकुमार मलैया परिवार को, मंदिर जी के शिखर पर कलशारोहण का सौभाग्य अनिल मलैया डोंगरा को ,ध्वजारोहण का सौभाग्य विमला बाई, सतेंद्रकुमार ,शैलेन्द्र कुमार जैन को प्राप्त हुआ। पार्श्वनाथ भगवान को वेदी पर श्रीजी विराजमान करने का सौभाग्य अशोक कुमार ,अंशुल,आयुष जैन डोंगरा बाले ललितपुर को प्राप्त हुआ।मंदिर जी में दो नवीन शिखर बनवाने का सौभाग्य क्रमशः सप्पू जैन राजू जैन इंदौर और चंद्रकुमार अमित अभिषेक मलैया ललितपुर को प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर मुनि श्री विमलसागर जी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे आचार्य भगवंतों ने पुण्य को बढ़ाने के लिए चार साधन बताये हैं दान, पूजा, शील और उपवास। इसमें से दान करने पर स्वर्ग के सुख प्राप्त होते हैं। उक्त चारों को करने से गुरु और भगवान दोनों प्रसन्न होते हैं। मुनिश्री ने कहा कि छोटा सा किया गया पुण्य अनंत गुना फल प्रदान करता है । जैसे वट का छोटा सा बीज फलीभूत होकर विशाल बरगद का वृक्ष बन जाता है।जिनेन्द्र भगवान की पूजा करने का फल अद्वतीय है। ऐतिहासिक उदाहरण बताते हुए उन्होंने आगे कहा कि एक दिन भगवान को कमल समर्पित करने के प्रभाव से ग्वाला विशाल वैभव को धारण करने वाला कर्कट नाम का राजा हुआ था। सांसारिक वैभव अस्थिर व अस्थायी होता है। उन्होंने कहा कि यह एक पल में प्राप्त और अगले ही पल समाप्त हो सकता है। यही संसार की लीला है। इसलिए यह वैभव प्राप्त होने पर भी कभी संतोष का त्याग नहीं करें और न ही अहंकार को पास में फटकने दें।
इस अवसर पर मलैया परिवार द्वारा मंदिर जी को समर्पित लिए गए नवीन विमान में श्रीजी को विराजमान कर ग्राम में विमान निकाला गया जिसका ग्राम में जगह -जगह भव्य स्वागत किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में अमित भैया ललितपुर, नरेंद्र जैन राजश्री ,अजय जैन ,अक्षय जैन,संजय जैन,दीपकजैन,अप्पू,सोनू,चुन्नू,आकाश,अब्बू,राजू,पवन,अमित मलैया,प्रसन्न,जिनेन्द्र,अनुराग,अमन,
सौरभ,गौरव,गुल्लू,जयकुमार,रोबिन,अंकित का विशेष योगदान रहा। समाज के अध्यक्ष डॉ. राजकुमार जैन ने आभार व्यक्त किया।
धन्यवाद!
दीपक जैन – 9452602605
डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर
डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर
