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Home›प्रवचन›धर्म के बिना किसी का कल्याण नहीं हो सकता है:आचार्य विमदसागर मुनिराज

धर्म के बिना किसी का कल्याण नहीं हो सकता है:आचार्य विमदसागर मुनिराज

By पी.एम. जैन
June 28, 2021
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धर्म के बिना किसी का कल्याण नहीं हो सकता है : आचार्य विमदसागर मुनिराज

इन्दौर । 27 जून । इस भव में नहीं तो अगले भव में, अगले भव में नहीं तो उसके अगले भव में धर्म तो करना ही पड़ेगा। धर्म के बिना किसी का कल्याण नहीं हो सकता है। व्यक्ति मंदिर में आकर धर्म कमाता है, पुण्य कमाता है और दुकान पर जाकर धन कमाता है। पर ध्यान रखना पुण्य के बिना पैसा नहीं आता, पुण्य कर्म का उदय हो तो कोयला भी सोना हो जाएगा। पाप कर्म का उदय हो तो सोना भी कोयला हो जाएगा। डाॅ. महेन्द्रकुमार जैन ‘मनुज’ ने बताया कि ये उपदेश इंदौर के अंजनी नगर में ससंघ विराजमान श्रमणचार्य श्री विमदसागर जी मुनिराज ने रविवार को एक धर्मसभा को संबोधित करते हुए दिये। उन्होंने आगे कहा कि सभी अपना अपना जीवन जीते हैं, आप भी हैं, जीते मुनिराज भी हैं, नारकी भी जीता है, देव भी जीता है, गाय भी जीती  है, शेर भी जीता है, सभी अपना अपना जीवन जीते हैं पर कोई अपने जीवन में पुण्य का सृजन करता है और कोई अपने जीवन में पाप अर्जित करता है। जो सम्यक् प्रकार से जीता है पुण्य अर्जित करता है अर्थात् सम्यक्दृष्टि की कभी दुर्गति नहीं होती और जिस की दुर्गति होती है वह सम्यक्दृष्टि नहीं होता है, ज्ञानी भी जीते हैं, अज्ञानी भी जीते हैं। हर व्यक्ति शुद्ध भोजन करना चाहता है, हर व्यक्ति अच्छे कपड़े पहनना चाहता है, साफ कपड़े पहनना चाहता है, पर साफ बातें करना नहीं चाहता, शुद्धता के साथ अपना जीवन जीना नहीं चाहता है। लोग एक्टिवा पर जीते हैं पर मुनिराज एक्टिव हो करके जीते हैं। आपका कर्म आप को हंसने नहीं देता है और साधु के कर्म उन्हें कभी रोने नहीं देते हैं, सदैव आनंदमय जीवन जीते हैं। गुरु का स्मरण विपत्ति में आता है, सुख में स्मरण करो तो विपत्ति ही क्यों आएगी। जहां है अहिंसा, वहां है प्रशंसा। जो चाहे अपनी प्रशंसा वह पाले धर्म अहिंसा। मुनिराज पालते हैं अहिंसा तो लोग करते हैं प्रशंसा। काजू खाने वाले की प्रशंसा होती है गुटखा खाने वाले की नहीं, बीड़ी पीने वाले की नहीं। धर्म चलाने वाला, धर्म को पालने वाला बंदूक नहीं चलाता, बंदूक चलाने वाला धर्म को नहीं पालता । जैनवादी किसी को दुःख पीड़ा देने का कार्य नहीं करते हैं। दयालु परिणामी होते हैं। अपने धर्म की ऐसी प्रशस्त भावना बनाएं कि हमारा कार्य प्रशस्त हो।

महेन्द्र कुमार जैन “मनुज”

22/2, रामगंज, जिंसी, इन्दौर 9826091247
mkjainmanuj@yahoo.com

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