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इतिहास
Home›इतिहास›सिन्धु सभ्यता मे जैन पंरपरा पर सार गर्भित वक्तव्य

सिन्धु सभ्यता मे जैन पंरपरा पर सार गर्भित वक्तव्य

By पी.एम. जैन
February 17, 2022
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आज सिन्धु सभ्यता मे जैन पंरपरा पर सार गर्भित वक्तव्य डा0 मैनुअल जोजेफ जी ने  दिया  इष विषय पर वर्षों के गहन अध्ययन को सार रूप मे समाहित करते हुए सिन्धू घाटी की सीलो प्राप्त दिगम्बर प्रतिमाओं प्रतीकों के माध्यम से बहुत तथ्यपूर्ण रूप से बताया कि सिन्धु घाटी के ये प्रतीक अन्य धर्म एवं परपराओं के कम जैन परंपराओं के अधिक  निकट है जिषको उन्होने चित्रो और संदर्भो सहित प्रस्तुत किया तथा यह भी कहा कि वर्तमान  परंपराएं कहीं न कहीं उषी से निकली है तथापि इनका संबंध श्रमणों विशेष कर जैनो के पक्ष को प्रस्तुत करता है क्योंकि महावीर से पहले पार्श्व नेमि और ऋषभ उसी परंपरा के प्रतिनिधि है तथा योग पर विशेष बल देते हुये जैन धर्म के पांच (सत्य अहिंसा असत्येय  अपरिग्रह और ब्रम्हचर्य) आदि विशेष गुणो को पतंजलि ने भी स्वीकारा है।
इषी क्रम मे मुख्यअतिथि डा रेणुका पोरवाल जी ने अपने उद्बोधन मे कहा
 मथुरा के कुछ प्रतीकों का साम्य सिन्धु सभ्यता मे देखा जा सकता है जिषे मैने अपनी पुस्तक मे और लेखो के माध्यम से कहा है
 डा जोजेफ ने बहुत सुंदर सार्थक चर्चा  करी और  इस दिशा मे और शोध करने के लिए नई दृष्टि और प्रेरणा दी है।
अध्यक्षीय उद्बोधन मे डा नीलम जैन जी ने अपने विस्तृत वक्तव्य मे विषय पर प्रकाश डालते हुये कहा कि यह सभ्यता कितनी विशाल और प्राचीन है इससे सभी भारतीय परंपराओ की जडें जुडती है अपनी अनेक विदेशो की यात्रा का अनुभव चिंतन बताते हुये बताया कि माया सभ्यता पर मैने काफी अध्ययन किया है और कई परंपराये हमे समान दिखी स्वरूप थोडा जरूर बदलता है काल क्षेत्र भाषा कला के प्रभाव से पर मूल एक समान  है।
बहुत ही सुंदर संचालन आयोजन की सहसंयोजक  डा ममता जैन ने किया और आपने इष विषय मे रुचि रखने वाले युवाओ एवं शोधार्थियों को विशेष रूप से जोडकर इष आयोजन को सफल बनाया ।
कार्यक्रम के संयोजक शैलेंद्र जैन ने इस वेबीनार मे शामिल सभी वरिष्ठ जनो एवं युवा साथियों का आभार प्रकट किया तथा इषी विषय पर प्रकाशित पुस्तक (जैन मूर्तियों का उद्भव और विकास( डा ब्रजेश रावत)   को कुंद कुंद ज्ञानपीठ से ज्ञानोदय पुरुस्कार मिलने पर बधाई दी तथा सभी को पुस्तक को दिखाते हुये उसकी जानकारी दी।
श्री वी सी साब  ,डा अशोक जैन, डा शोमेश श्रीवास्तव, डा प्रभाकिरण जैन, डा  यतीश जैन, आर पी जैन कपूर चंद जैन एवं अनेक विद्वान शोधार्थी युवा आदि ने शामिल होकर आयोजन को सफल बनाया।
शैलेंद्र जैन,अध्यक्ष
श्रीआदिनाथ मेमोरियल ट्रष्ट।
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