अपने से भी तो पूछ कर देखें क्या हम भी अपने हैं?- डा.निर्मल जैन *जज*

कोई किसी का नहीं होता, यह कह देना आम हो गया है। लेकिन कभी अपने से भी तो पूछ कर देखें -क्या हम भी अपने हैं, खुद के लिए। चकाचौंध भरे इस दौर में कोई किसी का नहीं बनना चाहता। हर कोई दूसरे से यही उम्मीद करता है कि सामने वाला व्यक्ति उसका बन जाये। ऐसे में आज के जमाने में खुद का बन जाना भी बहुत बड़ी उपलब्धि है।
हमारी जिंदगी में सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण रिश्ता वो होता है जो हमारा हमारे साथ होता है। हम अपने दिन का कितना समय दूसरों के बारे में सोचने में निकाल देते हैं कि दूसरे लोग क्या सोचेंगे? क्या उन्हें हम पसंद हैं, क्या वो खुश हैं वगैरह, वगैरह। लेकिन क्या खुद कभी एक मिनट रुक कर ये भी सोचते हैं कि हम खुद कैसा महसूस कर रहे हैं, क्या हम खुश हैं, क्या हम अपना ध्यान रख रहे हैं? शायद नहीं सोचते। क्योंकि हम अपनी दुर्बलताओं का सामना न कर पाने के कारण अपने आप के साथ रहने से डरने लगे हैं। अपने में बहुत सी कमियों के बाद भी हम अपने से प्रेम करते हैं तो दूसरों में ज़रा सी कमी से हम उनसे कैसे घृणा कर सकते हैं? अपने आप से भागता हुआ आदमी जल्द थक जाता है। किसी खत पर लिखे गलत पते की तरह अपने मुकाम पर कभी पहुंचता ही नही।
दिन में एक बार अपने आप से बात करो वरना तुम दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण आदमी से बात नहीं कर पाओगे। ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है। -स्वामी विवेकानंद जी ।
थोड़ा समय निकाल कर अपने साथ भी बैठें। जिंदगी की व्यस्तता ने हमें रुचियों से दूर कर दिया है उन्हे वापस तलाशें। ‘कलम में बहुत ताकत होती है’। कुछ लिखते रहना हमें अपनी फीलिंग्स जाहिर करने से लेकर तनाव कम करने तक का मौका देता है। ऐसा कर हम खुद को बेहतर समझना शुरू कर सकते हैं। उन चीजों को समय देना जरूरी है जो हमें खुशी देती हैं। अपनी तुलना दूसरों के साथ नहीं करें, हमें जीवन में जो कुछ मिला है हमें उसके लिए आभारी होना चाहिए।
अमेरिका की विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गेरी लुपयन कहते हैं कि -तेज़ आवाज़ में ख़ुद से बात करना आपको भले अजीब लगे, लेकिन है ये कामयाबी का नुस्खा। वो अपनी रिसर्च की बुनियाद पर कहते हैं कि ऐसा करने से आपको बहुत फायदा हो सकता है।
कामनाओं के असीम विस्तार के चलते हम सभी की जिंदगी ‘बिज़ी’ हो गयी है, सभी समय की कमी महसूस करते हैं। लेकिन हमें अपने लिए समय निकालने की वाकई बहुत जरूरत है। अगर हम खुद को प्यार नहीं कर पाते हैं या खुद का सम्मान नहीं कर सकते हैं तो हम किसी का को न प्यार कर सकते हैं न सम्मान कर सकते हैं। खुद के साथ कनेक्ट करने के लिए, खुद को समझने के लिए और खुद को प्यार करने के लिए समय निकालना बेहद जरूरी है।
एनी विल्सन कहती हैं -हम हमेशा चाहते हैं कि हमारे आसपास वो लोग रहें जो हमसे ज़्यादा ज्ञानी हों, जिनसे हमें कुछ सीखने को मिल सके। सबसे अहम ये है कि जो खासियत हम दूसरों में तलाशते हैं, वो हम अपने अंदर हासिल कर सकते हैं। आख़िर ख़ुद को इंसान सबसे अच्छे से जानता है। जब हम ख़ुद से बाते करने लगते हैं तो बहुत हद तक हम अपने अंदर ही उन्हें तलाश लेते हैं।