मैं व्यक्तिगत किसी पंडित महापुरुष का विरोधी नहीं हूॅं मैं सिर्फ़ ऐसे परचूनियों से बचने का सुझाव दे रहा हूॅं जिनके पास-पंचांग ज्ञाता-पंचांगकर्ता की बनावटी पदवी, पूजा-पाठ (कर्मकाण्ड) ज्योतिष, वास्तु, भूत-भविष्य, ग्रहों को शाॅंत करने की ताकत, देवी-देवताओं को इंसानी खोपड़ियों पर खिलाने की कला, संतान प्राप्ति की जड़ी-बूटी, वशीकरण, करोड़ों किलोमीटर दूर बैठे ग्रहों को वश में करना,शाॅंत करना (जबकि नजदीक बैठी खुद की बीवी न तो वश में होती और न ही शाॅंत होती है), नज़र दोष, जादू-टोना, भूत-प्रेत भगाना, झाड़-फूॅंक, सौतन से छुटकारा,प्यार में इज़ाफा, मनचाहा प्यार दिलाना, गर्लफ्रेंड के बाप को मर वाना ,मूठ चलाना, मूठ उतारना, घात चढ़ाना-ऊतारना, ज़मीन से गड़ा माल निकलवाना, प्रतिष्ठाचार्य, ज्योतिषाचार्य, वास्तुशास्त्री, तांत्रिकाचार्य, मुहूर्ताचार्य आदि-आदि सब कुछ मिलता है और यह मिलावट का मिक्स मसाला बनाकर जोर-शोर से गारंटी कार्ड के साथ प्रचार-प्रसार में संलग्न हो जाते हैं जिसके कारण देश की जनता भ्रमित होती है,संशय पैदा होता है साथ ही साथ एकता का ह्रास होता है। कहने का तात्पर्य है कि- हम अनुभव रहित सिर्फ टिप्पू किस्म के ऐसे *परचूनी पंडितों* से बचेंगे तभी सही मार्ग चुनेंगे और सही मार्ग चुनने के लिए किसी स्पेश्लिस्ट का चुनाव कीजिए।
उपरोक्त कथन के अनुसार किसी ने सही कहा है-*”कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा”।
*“पंडिताई पल्ले पड़ी पूर्व जन्म का पाप औरन कूं उपदेश दें और कोरे रह गए आप”।।