लखनऊ 16 मार्च।। भारतीय संस्कृति मे ऋषभदेव# विषय पर किया गया इसमें प्रमुख वक्ता प्रो विजय कु जैन ने कहा कि ऋग्वेद आदि वेदों और पुराणो में सैकडों प्रमाण उपलब्ध हैं जिनसे नाभि ऋषभ भरत और जैन धर्म की प्राचीनता स्वयं सिद्ध है तथा आदिदेव महादेव रुद्र प्रजापति केशी व्रात्य हिरण्यगर्भ आदि शब्दों से ऋषभ की भी स्तुति की गई है,
डा संगीता सिंह ने कहा कि इछ्वाकुवंशि ऋषभ भरत और अन्य चार तीर्थंकरों की जन्म भूमि अयोध्या ही है तथा इषी इछ्वाकु वंश में श्रीराम का जन्म हुआ आज भी अयोध्या इनके जन्म स्थान वहीं हैं जिनमे उनके प्राचीन चरण हैं,
अध्यक्ष डा भगवान सिंह ने कहा कि ऋषभदेव का भारतीय संस्कृति के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है इनके पुत्र भरत से हमारा देश भारत प्रसिद्ध हुआ,मुख्य अतिथि डा प्रभाकिरण जैन ने कहा कि अयोध्या कि महिमा अद्वितीय है अलग अलग काल में अलग अलग नामों से जानी जाति रही है और वह रामायण काल से पहले से ही विश्व विश्रुत हो गई थी तथा सभी भारतीय धर्मों से उषका संबंध रहा है,संयोजक शैलेंद्र जैन ने बताया कि ऋषभदेव का जीवन सभी प्रकार की सम्पूर्णता का वह सुमेरु है जिसके एक तहफ वैदिक ग्यान की गंगा बहती है तो दूसरी तरफ जैन परंपरा की सरयु का उद्गम होता है इन दोनो का अध्यन किये बिना भारतीय परंपराओं की सम्यक जानकारी नहीं हो सकती तथा इन दोनो धाराओं के केंद्र में ऋषभ देव हैं जिन्हे सभी ने ससम्मान उल्लेखित किया और इनके द्वारा बताया मार्ग सभी के लिये कल्याणकारी है इसी उषे सर्वोदय तीर्थ कहा गया है